सुप्रीम कोर्ट ने आप नेता मनीष सिसोदिया को भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में दी जमानत
अग॰, 9 2024सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में जमानत देने का फैसला लिया है। सिसोदिया को इस मामले में 17 महीने से हिरासत में रखा गया था। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उन्हें 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 9 मार्च 2023 को। इस फैसले ने देशभर में आप समर्थकों के बीच खुशी की लहर दौड़ा दी है।
सिसोदिया का 17 महीने का संघर्ष
मनीष सिसोदिया का यह संघर्ष पिछले 17 महीनों से चल रहा था। गिरफ्तार होने के बाद उन्होंने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें निर्देश दिया है कि वे अपने पासपोर्ट को जमा करें और जमानत मिलने के बाद गवाहों को प्रभावित न करें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि सिसोदिया को जेल में लंबे समय तक रखने से उनके मौलिक अधिकारों का हनन होगा।
CBI और ED की दलील खारिज
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने CBI और ED की उन दलीलों को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि सिसोदिया की वजह से ट्रायल में देरी हो रही है। कोर्ट ने कहा कि देरी और लंबे समय तक कारावास आरोपी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। इस तरह की परिस्थितियों में जमानत देना जरूरी है ताकि आरोपी का अधिकार सुरक्षित रह सके।
आप की प्रतिक्रिया
आप के नेताओं ने इस फैसले को सत्य की जीत के रूप में देखा है। पार्टी सांसद राघव चड्ढा ने इस निर्णय पर खुशी जताते हुए कहा कि पूरे देश ने सिसोदिया की रिहाई का स्वागत किया है। आप राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस फैसले को केंद्र सरकार की तानाशाही के खिलाफ एक झटका बताया और सिसोदिया के लंबे समय तक कारावास की आलोचना की। दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा 'सत्यमेव जयते'। कुल मिलाकर, यह फैसला आप के लिए खुशी का माहौल लेकर आया है। पार्टी के नेतृत्व का कहना है कि न्याय की यह भावना अन्य कैद में बंद पार्टी नेताओं के लिए भी उम्मीद की किरण बनेगी।
भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामले की पृष्ठभूमि
मनीष सिसोदिया पर दिल्ली की कथित शराब नीति घोटाले के तहत भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगे थे। आरोप था कि उन्होंने नीतियों में बदलाव करते हुए अनियमितताओं के माध्यम से वित्तीय लाभ अर्जित किया। 26 फरवरी 2023 को CBI ने उन्हें गिरफ्तार किया और तत्पश्चात 9 मार्च 2023 को ED ने उन्हें हिरासत में लिया। इन मामलों के चलते उन्हें दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट का तर्क
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी को लंबे समय तक जेल में रखना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने विशेष रूप से इस बात का उल्लेख किया कि ट्रायल में देरी और आरोपी का लंबे समय तक कारावास होना उचित नहीं है। न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि सिसोदिया को जमानत देने से कानून की गरिमा ऊँची बनी रहती है।
आगे की राह
मनीष सिसोदिया को जमानत मिलने के बाद उनके भविष्य की राह में आप पार्टी के लिए बड़े अवसर खुल सकते हैं। आप ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देते हुए केंद्र सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया है। इससे आप के समर्थकों और जनता के बीच भी एक सकारात्मक संदेश गया है। पार्टी के नेताओं को उम्मीद है कि यह निर्णय अन्य कैद में बंद नेताओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा और उन्हें भी न्याय मिलेगा।
जमानत मिलने के बाद की चुनौतियाँ
अब जब मनीष सिसोदिया को जमानत मिल गई है, उनके सामने कई चुनौतियाँ भी खड़ी हो सकती हैं। सोश्ल मीडिया पर लोगों की नजरें उन पर होंगी कि वे कैसे अपने ऊपर लगे आरोपों को समाप्त करते हैं और अपने राजनीतिक करियर को फिर से पटरी पर लाते हैं।
इस फैसले ने न केवल आप समर्थकों को उत्साहित किया है, बल्कि देशभर के लोगों में भी न्याय की उम्मीद जगाई है। सिसोदिया की जमानत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कानून के समक्ष सब बराबर हैं और कोई भी व्यक्ति अपने मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।