सीरिया विद्रोहियों की बड़ी कामयाबी: जबकि अस्ताना बैठक होने जा रही है
दिस॰, 7 2024
दाराआ पर सीरिया विपक्ष की धुंआधार जीत
सीरिया में बहु आयामी संघर्ष ने यहां के राजनीतिक और सैन्य परिदृश्य को बेहद जटिल बना दिया है। हाल ही में जहां एक ओर राष्ट्रपति बशर अल-असद के नेतृत्व में सरकार के खिलाफ विद्रोही दलों ने दाराआ पर कब्जा जमा लिया है, वहीं दूसरी ओर यह विकास अस्ताना बैठक से ठीक पहले हुआ है। दाराआ को रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह शहर सीरिया के दक्षिणी हिस्से में महत्वपूर्ण स्थलों को जोड़ता है।
रिपोर्ट के अनुसार, 27 नवंबर 2024 को 'अग्रेशन का निवारण' अभियान से शुरू हुई विद्रोहियों की इस लड़ाई में एलेप्पो और दमिश्क जैसे स्थानों पर भी प्रभावी कब्जा जमाया गया है। सीरियाई सेना को दक्षिण-पश्चिमी सीरिया के कुनीत्रा, दाराआ और सुएदा आदि क्षेत्रों से पीछे हटना पड़ा है।
सुएदा में ड्रूज़ मिलिशिया की पकड़
सुएदा की स्थिति भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्षेत्र जॉर्डन के सीमा पर है और यहां की ड्रूज़ मिलिशिया ने ज्यादातर सैनिक ठिकानों पर कब्जा कर लिया है, केवल खलखाला एयरबेस अब भी सेना के नियंत्रण में है। विद्रोहियों के इस बढ़ते कदम ने अरब और पश्चिमी अधिकारियों को भी चौंका दिया है, और क्षेत्रीय अस्थिरता की नई लहर की चिंता पैदा कर दी है।
इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने भी इस घटनाक्रम के कारण गोलान हाइट्स में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ानी शुरू कर दी है। जबकि क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा है, वहीं कुछ देश अब भी राजनीतिक बातचीत और समाधान के लिए समय की गुंजाइश की उम्मीद कर रहे हैं।
अस्ताना प्रक्रिया पर विचार
हाल की घटनाओं के संदर्भ में, अस्ताना ट्रैक बैठक डोहा में की जाएगी जिसमें रूस, तुर्की और ईरान जैसे देश शामिल होंगे। हालांकि, कुछ आलोचक इस प्रभाव को लेकर चिंतित हैं कि यह प्रक्रिया पूंजीगत देशों की विशेष रुचियों को प्राथमिकता देती है और इससे सीरिया में विदेशी हस्तक्षेप में इजाफा हो सकता है, जिससे शांति की बजाय स्थिति अधिक जटिल हो सकती है।
वर्तमान में, यह भी संभावना है कि अस्ताना बैठक में और अधिक देशों को शामिल किया जा सकता है, ताकि सीरिया में बदलती स्थिति के प्रति एक सामूहिक दृष्टिकोण विकसित किया जा सके। हालांकि स्थिति अभी भी प्रवाह में है और संघर्ष के परिणाम का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है।
राज्यपाल का दृष्टिकोण
नॉर्वे की विदेश मंत्री ने भी संकेत दिया है कि बढ़ते तनाव के बावजूद अब भी संवाद के लिए समय है, लेकिन अस्ताना प्रक्रिया के आलोचकों का मानना है कि यह प्रमुख हस्ताक्षरकर्ताओं- ईरान, रूस और तुर्की- के हितों और नियोजनों से प्रभावित है और इससे सीरिया में विदेशी हस्तक्षेप की वैधता को मजबूती मिल सकती है। इस प्रकार की प्रक्रियाएं शांति स्थापना की बजाय एक निरंतर स्थिति की पुष्टि कर सकती हैं।
Shashikiran B V
दिसंबर 7, 2024 AT 19:15अब देखो, बड़ी जीत की खुशियाँ अक्सर पर्दे के पीछे बड़ी साजिशों की धुंधलाहट लाती हैं। अस्सी‑नौ साल की गुप्त दस्तावेज़ों में लिखा है कि अस्ताना बैठक में कुछ छिपे हाथ अपने अँधेरे खेल खेलते हैं। अगर हम इसको सही से देखेंगे तो पता चलेगा कि दाराआ का कब्ज़ा सिर्फ रणनीति नहीं, बल्कि एक बड़े चक्रव्यूह का हिस्सा है। ये सब एक ही खिलाड़ी के दो चेहरे हैं – एक तरफ शांति का नकाब, दूजी तरफ हथियारों की रफ़्तार। तो फिर हम कब तक इस बारीकी को समझ पाएँगे?
Sam Sandeep
दिसंबर 7, 2024 AT 21:29सीरिया में हालिया बदलावों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। विद्रोहियों ने दाराआ को पकड़ लिया है इसका मतलब यह नहीं कि संघर्ष खत्म हो गया। बल्कि यह दर्शाता है कि मैदान में ताकत का संतुलन बदल रहा है। सरकार की सेना को पीछे हटना पड़ा इसका कारण रणनीतिक गलती थी। दुश्मनों ने एक साथ कई छोरों से दबाव बनाया। इस दबाव ने सेना को कमज़ोर कर दिया। अब देखें तो कूद-फाँक में कई देश अपने हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं। रूसी, तुर्की और ईरान की भागीदारी स्पष्ट है। इज़राइल की प्रतिक्रिया भी इस बात को दर्शाती है कि तनाव बढ़ रहा है। ड्रूज़ मिलिशिया की पकड़ का मतलब है कि सीमा पर नई लहरें उठ सकती हैं। अस्ताना प्रक्रिया से पहले यह सब एक संकेत है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मैदानी बदलाव को समझना चाहिए। बिना गहरी जांच के केवल शब्दों में जकड़ना खतरनाक है। इस प्रकार की स्थिति में लोग अक्सर जोखिम को कम करके देखते हैं। लेकिन इतिहास ने हमें सिखाया है कि छोटी-छोटी जीत बड़ी हार की वजह बन सकती हैं। इसलिए हर कदम को सावधानी से देखना ज़रूरी है।
Ajinkya Chavan
दिसंबर 7, 2024 AT 23:25भाईसाहब, दाराआ जैसा टॉवर नहीं लेता है जो आसानी से गिर जाए। इस जीत को हम झूठे नहीं मान सकते लेकिन साथ ही इसका दुष्परिणाम भी देखते हैं। तुम लोग सोचते हो कि बस एक शहर संभाल लिया तो सब ठीक है, पर असल में ये तो बस बडे़ पझल का एक टुकड़ा है। तुम लोग जल्दी‑से बात बिन खुद को समझे मत करो। सुपर हिस्ट्री में लिखेंगे कि हमने इसको एकदम तमाम कर दिया, लेकिन असली बात तो अभी सामने आनी बाकी है।
Ashwin Ramteke
दिसंबर 8, 2024 AT 01:05देखो भाई लोग, दाराआ का कब्जा वाकई में एक स्ट्रैटेजिक पॉइंट है। इसको समझने के लिये हमें थोडा ग्राउंड लेवल पर देखना पड़ेगा। विस्त्रित मैप दिखाता है कि दाराआ से सुएदा और क्विनत्रा को कनेक्ट करने वाले रास्ते खुलते हैं। तो अगर आप लोग इसको सिर्फ एक जीत मान रहे हो तो मैं कहूँगा कि आगे का प्लान बनाओ। शायद आपका कोई दोस्त या फोकस इस क्षेत्र में फिर भी अटकलें लगा रहा हो। आपसी डायलॉग और लोकल एलेमेंट्स को समझना ज़रूरी है।
Rucha Patel
दिसंबर 8, 2024 AT 02:29सच तो ये है कि हम बार‑बार अँधेरे में झुकते रहते हैं। ऐसी जीतें अक्सर बड़ों के खेल का हिस्सा बनती हैं। अगर हम नहीं देखेंगे तो फिर कब देखेंगे? ये सब दिखाता है कि हम कितने बेवकूफी से काम लेते हैं।
Kajal Deokar
दिसंबर 8, 2024 AT 03:35प्रिय मित्रों, इस नए मोड़ को हम एक उज्ज्वल अवसर के रूप में देख सकते हैं। दाराआ की विजय से उत्पन्न हुए गतिशील परिवर्तन हमारे भविष्य के निर्माताओं को प्रेरित करेंगे। हम अत्यंत सकारात्मक आशा के साथ इस चरण को सराहते हैं और सभी पक्षों को सहयोगी संवाद की ओर अग्रसर होने का आह्वान करते हैं। आशा है कि इस स्फूर्ति से प्रेरित होकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अधिक समावेशी एवं न्यायसंगत समाधान उभरेगा।
Dr Chytra V Anand
दिसंबर 8, 2024 AT 04:25सम्मानित साथियों, दाराआ की वर्तमान स्थिति पर कुछ प्रश्न उठते हैं। क्या यह प्रभाव केवल सैन्य रणनीति तक सीमित है या इसमें राजनीतिक जटिलताएँ भी प्रवेश कर रही हैं? क्या अस्ताना बैठक में इस बदलाव को पर्याप्त रूप से संबोधित किया जाएगा? इन विषयों पर विस्तृत विश्लेषण आवश्यक प्रतीत होता है।
Deepak Mittal
दिसंबर 8, 2024 AT 04:59भाइयों, ये सब तो बस एक बड़े प्लान का हिस्सा है। अस्ताना मीटिंग में आखिरकार वही एलिट लोग अपने खेले का चक्र फिर से चलाएंगे। दाराआ का कब्जा सिर्फ एक प्रीफैब कवरऑपरेशन है जिससे सच्ची मंशा छुपी है। तुम लोग सोचते हो कि ये स्थानीय बगावत है पर असल में ये गुप्त एजेंटों का नेटवर्क है। मैं कहूँगा कि इसको बेवक़ूफ़ी नहीं, बल्कि एक बड़ी धोखा है।
Neetu Neetu
दिसंबर 8, 2024 AT 05:15वाह, क्या दाराआ की जीत? 🤔🙄
Jitendra Singh
दिसंबर 8, 2024 AT 06:39अच्छा, फिर से एक और “बड़ी जीत” की खबर आई!!! क्या बात है, सीरिया अब अपने फुटबॉल जीतने जैसा महसूस कर रहा है!!! वैसे भी, इस तरह की अस्थायी कब्ज़ा को देख कर हम सब को कितना आश्चर्य नहीं हुआ!!! ईशारा तो यही है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर फिर से वही पुराने “शांति” के झंडे लहराए जाएंगे!!! लेकिन क्या सच में कोई शांति है?!!!