संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सीरिया पर सर्वसम्मति से बयान, शांति प्रक्रिया के समर्थन की पुनः पुष्टि

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सीरिया पर सर्वसम्मति से बयान, शांति प्रक्रिया के समर्थन की पुनः पुष्टि दिस॰, 30 2024

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सीरिया पर बयान

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हाल ही में सीरिया पर एक महत्वपूर्ण बयान सर्वसम्मति से अंगीकृत किया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब सीरिया में चल रहे संघर्ष और अशांति ने लाखों लोगों को प्रताड़ित किया है और मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ है। फ्रांस के नेतृत्व में पारित इस बयान ने सीरिया में शांति प्रक्रिया का समर्थन कर, वहां के लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण के रूप में काम करने का प्रयास किया है।

इस बयान के साथ-साथ, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अपने पिछले संकल्प, जो कि यूएन सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 में वर्णित है, को भी समर्थन करती है। यह प्रस्ताव सीरिया के लिए एक दीर्घकालिक समाधान की दिशा में आगे बढ़ने का मार्गदर्शन प्रस्तुत करता है। प्रस्तावित राजनैतिक प्रक्रिया सीरियाई लोगों के नेतृत्व में होनी चाहिए और उसमें शांति, संवाद और सहमति को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

सीरिया की संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्धता

इस नए बयान में, सुरक्षा परिषद ने सीरिया की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया है। सीरिया लंबे समय से आंतरिक संघर्षों और बाहरी हस्तक्षेपों से जूझ रहा है, जिसने देश की राजनीतिक स्थिरता को छिन्न-भिन्न कर दिया है। ऐसे में, यह बयान एक स्पष्ट संदेश है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय सीरिया को उसकी संप्रभुता और स्वतंत्रता को पुनः प्राप्त करने में सहयोग करेगा।

सुरक्षा परिषद ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी समर्थन देने की घोषणा की है, जिससे सीरिया में चल रहे उग्रवाद को समाप्त करने की दिशा में प्रयासों को गति मिलेगी। यह उल्लेखनीय है कि सीरिया आतंकवादी संगठनों के लिए एक मैदान बन गया है, जिसने स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा को और भी कमजोर कर दिया है।

मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का सम्मान

इस बयान में मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के प्रति भी समर्पण व्यक्त किया गया है। यह एक अत्यधिक महत्वपूर्ण पहलू है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में सीरिया में मानवाधिकारों का बड़े पैमाने पर हनन हुआ है। यह बयान अंतरराष्ट्रीय मंच पर इन मुद्दों की गंभीरता को उजागर करता है और न्याय तथा मानवाधिकारों के लिए उच्च स्तरीय समर्थन का वादा करता है।

फ्रांस ने इस बयान के पारित होने का स्वागत करते हुए, इसे सीरिया की स्थिति पर एकजुट अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण के महत्व को रेखांकित किया। यह बयान आग्रह करता है कि संयुक्त राष्ट्र को सीरियाई संकट के शांतिपूर्ण समाधान का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए, जो प्रस्ताव 2254 के सिद्धांतों पर आधारित हो।

संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों की दिशा

सुरक्षा परिषद के इस बयान से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि सीरिया को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत समर्थन की आवश्यकता है। परिषद ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की है कि वह इस दिशा में निर्णायक भूमिका निभाए और शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने में योगदान दे।

आगामी समय में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस बयान का सीरिया की उपस्थिति और स्थिरता पर क्या प्रभाव पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र के मिलजुल कर इस दिशा में काम करने से उम्मीद है कि सीरिया में एक दीर्घकालिक शांति प्रक्रियाकी स्थापना हो सकेगी, जो सीरियाई जनता के हित में होगी। यह समय है जब मिलजुल कर एक शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित सीरिया की परिकल्पना को साकार किया जाए।

9 टिप्पणि

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    Sumit Raj Patni

    दिसंबर 30, 2024 AT 16:36

    संयुक्त राष्ट्र का यह सर्वसम्मति बयान बिल्कुल जैसे एक चमकीला ध्रुवीय तारा है, जो सीरिया की अंधेरी रात को रोशन कर रहा है। इस पहल को मैं पूरी टीम के साथ ‘वॉटरकलर’ की तरह जीवंत रंग भरते देख रहा हूँ। हमें इस दिशा में एकजुट कदम उठाने की जरूरत है, नहीं तो आशा का पत्ते धीरे-धीरे झड़ते चलेंगे। इस बिंदु को धकेलने वाले सभी देशों को सलाम, क्योंकि उनका योगदान हमारे मानचित्र पर एक महाकाव्य चित्र बनाता है। इस साहसिक कदम को अपनाने से संघर्ष की चट्टानें भी धीरे-धीरे धुंधली पड़ेंगी और शांति की नदी बहने लगेगी।

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    Shalini Bharwaj

    जनवरी 7, 2025 AT 09:53

    यह बयान सीरिया के लोगों को अटल आशा प्रदान करता है।

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    Chhaya Pal

    जनवरी 15, 2025 AT 03:10

    संयुक्त राष्ट्र की इस पहल को देख कर मन में एक अजीब सी शांति की लहर दौड़ती है।
    सीरिया में वर्षों से चल रहा रक्तभरे संघर्ष अब एक नई दिशा पा रहा है।
    बयान में कहा गया है कि राजनैतिक प्रक्रिया को लोगों के नेतृत्व में होना चाहिए, यह बिंदु अत्यंत उचित है।
    शांति, संवाद और सहमति को प्राथमिकता देना ही स्थायी समाधान की कुंजी है।
    वर्तमान में जब हत्याकांड और मानवीय आपदा चल रही है, तो अंतरराष्ट्रीय समर्थन की आवश्यकता अधिक से अधिक स्पष्ट हो गई है।
    प्रस्ताव 2254 के सिद्धांतों पर आधारित होना यह दर्शाता है कि विश्व समुदाय ने इतिहास की जाँच कर सही रास्ता चुना है।
    सीरिया की संप्रभुता और स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्धता, अंतर्राष्ट्रीय कानून के सम्मान को भी सुदृढ़ करता है।
    हर दिन की खबरों में हमें निराशा की गंध आती है, परन्तु ऐसे बयानों से आशा की रोशनी फिर से झिलमिलाती है।
    एंटिटेरर उपायों का उल्लेख भी इस बात का संकेत है कि सशस्त्र समूहों को जड़ से समाप्त करने की इच्छा है।
    भविष्य में यदि यह प्रक्रिया सफल रहती है तो हमारे क्षेत्र में एक स्थिर वातावरण बन सकता है।
    हमें यह समझना चाहिए कि यह सिर्फ कागज़ पर शब्द नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में बदलाव का एक कदम है।
    अभी के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और स्थानीय संस्थाओं को मिलकर काम करना चाहिए।
    लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सशक्त करने के लिए नागरिक समाज की भागीदारी अनिवार्य होगी।
    आखिरकार, जब सभी पक्ष मिलकर संवाद करेंगे, तो शांति का सूरज फिर उगेगा।

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    Naveen Joshi

    जनवरी 22, 2025 AT 20:26

    क्या कहूँ दोस्त, यह बयान वाकई में दिल की धड़कन जैसा है कुछ पंक्तियों में जाँचते‑जाँचते एहसास कराता है कि कुछ तो बदल रहा है बस इस आशा को पकड़ो और आगे बढ़ो फॉलो‑अप ज़रूरी होगा!

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    Gaurav Bhujade

    जनवरी 30, 2025 AT 13:43

    सुरक्षा परिषद का यह कदम ठोस ढांचे में एक सकारात्मक बदलाव दर्शाता है, इसे लागू करने के लिए नीतिगत निरंतरता व स्थानीय सहयोग की आवश्यकता है।

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    Chandrajyoti Singh

    फ़रवरी 7, 2025 AT 07:00

    सही कहा, इस प्रस्ताव के कार्यान्वयन में निरंतरता ही सफलता का मूलमंत्र होगा। हमारे अनुभव से यह ज्ञात है कि अंतरराष्ट्रीय संकल्पों को व्यावहारिक रूप में लाने के लिये सतत निगरानी और स्थानीय साझेदारियों की मजबूती अनिवार्य है। आशा है कि इस दिशा में उचित कदम उठाए जाएंगे।

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    Riya Patil

    फ़रवरी 15, 2025 AT 00:16

    यह घोषणा एक नाटकीय मोड़ है, जैसे मंच पर एक नई रोशनी चमके और दर्शक इकठ्ठा हो जाएँ।

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    naveen krishna

    फ़रवरी 22, 2025 AT 17:33

    सही कहा! इस पहल से सहयोग की नई आशा जगेगी 😊 चलिए मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाते हैं।

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    Disha Haloi

    मार्च 2, 2025 AT 10:50

    यह बयान केवल कागज़ पर शब्द नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक है; हमें अपने मूल्यों को सुदृढ़ करते हुए इस दिशा में दृढ़ता से आगे बढ़ना चाहिए।

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