संजय राऊत का बयान: मोदी के उत्तराधिकारी को लेकर RSS में हलचल, RSS-BJP का खंडन

संजय राऊत का बयान: मोदी के उत्तराधिकारी को लेकर RSS में हलचल, RSS-BJP का खंडन मार्च, 31 2025

शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख नेता संजय राऊत ने राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) मुख्यालय का दौरा किया था ताकि अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा कर सकें और उत्तराधिकार की योजना पर चर्चा कर सकें। राऊत ने यह भी कहा कि RSS, जो बीजेपी का वैचारिक मार्गदर्शक माना जाता है, मोदी का उत्तराधिकारी महाराष्ट्र से चुनेगी।

प्रधानमंत्री मोदी का संघ मुख्यालय का यह दौरा 30 मार्च, 2025 को हुआ था। यह उनकी प्रधानमंत्री के रूप में पहली और किसी भी मौजूदा प्रधानमंत्री की दूसरी यात्रा थी; पहली बार 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी ने ऐसा किया था। इस दौरान मोदी ने RSS को 'भारत की संस्कृति का बरगद का पेड़' बताया और एक नए नेत्र अस्पताल की इमारत की नींव रखी।

राऊत का दावा है कि यह दौरा मोदी के सेवानिवृत्ति का संकेत था और वह 'शायद अपनी सेवानिवृत्ति का आवेदन देने गए थे।' उन्होंने यह भी कहा कि RSS नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी कर रही है और उत्तराधिकारी महाराष्ट्र से होगा, जो राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य है।

हालांकि, BJP और RSS ने इन दावों को तुरंत खारिज कर दिया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मोदी 2029 से आगे भी प्रधानमंत्री बने रहेंगे और उनके कार्यकाल के बीच उत्तराधिकार की चर्चा करना भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। RSS के वरिष्ठ नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने राऊत के दावों को निराधार बताते हुए किसी भी प्रकार के उत्तराधिकार चर्चा का खंडन किया। BJP ने यह भी कहा कि पार्टी में कोई आयु-आधारित सेवानिवृत्ति नियम नहीं है, 80 वर्षीय केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी इसका प्रमाण हैं।

विपक्षी नेताओं, जैसे आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के हुसैन दलवाई ने राऊत के बयानों का समर्थन किया। हुसैन दलवाई ने कहा कि मोदी की आयु के कारण सेवानिवृत्ति की चर्चा संभव हो सकती है। चुनावों के मद्देनजर यह दौरा RSS और BJP के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए एक रणनीतिक कदम माना जा सकता है, हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि राऊत के बयानों का उद्देश्य BJP-RSS के गठबंधन को अस्थिर करना हो सकता है।

12 टिप्पणि

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    Chhaya Pal

    मार्च 31, 2025 AT 23:05

    संजय राऊत ने जो बयान दिया, वह वास्तव में भारत की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।
    उनका दावा है कि मोदी जी ने RSS के मुख्यालय का दौरा अपने संभावित सेवानिवृत्ति की तैयारी के लिए किया।
    यह बात पहले कभी नहीं सुनी गई थी, क्योंकि अधिकांश नेता इस तरह की योजनाओं को सार्वजनिक नहीं करते।
    अगर सच में यह ऐसा ही था, तो इससे पार्टी के भीतर शासक वर्ग की ऊर्जा पर बड़ा असर पड़ेगा।
    दूसरी ओर, RSS का यह संकेत कि उत्तराधिकारी महाराष्ट्र से चुना जाएगा, वह राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को भी बदल सकता है।
    महाराष्ट्र का चुनावी महत्व हमेशा ही राष्ट्रीय स्तर पर बहुत अधिक रहा है, इसलिए यह कदम बहुत रणनीतिक दिखता है।
    फिर भी, BJP और RSS दोनों ने इन दावों को तुरंत खारिज कर दिया, जिससे इस मुद्दे की वास्तविकता पर सवाल उठते हैं।
    किसी भी तरह से, इस तरह की रिपोर्टिंग से जनता को अंदरूनी बहसों की झलक मिलती है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भरोसा बना रहता है।
    भले ही यह सब अफवाहें हों, लेकिन राजनेताओं के बीच भरोसे का माहौल ही अक्सर इस तरह के झटकों से उजागर होता है।
    एक और बात यह है कि यदि वास्तव में मोदी जी की उम्र को लेकर चर्चा चल रही है, तो भविष्य की नीति दिशा पर भी असर पड़ेगा।
    भविष्य में यदि कोई युवा नेता शक्ति में आएगा, तो वह किस तरह की नीतियों को आगे बढ़ाएगा, यह निश्चित नहीं है।
    राजनीतिक विज्ञान के अनुसार, नेतृत्व परिवर्तन के समय पार्टी की संरचना में कई बदलाव होते हैं।
    यह बदलाव न केवल चुनावी रणनीतियों को, बल्कि प्रशासनिक कार्यों को भी प्रभावित करता है।
    इसलिए, चाहे यह कहानी कितनी ही अटपटे लगे, लेकिन इसका विश्लेषण करना जरूरी है।
    अंत में, यह देखना बाकी है कि इस विवाद का वास्तविक परिणाम क्या होगा और कौन सी पार्टी इस उलझन से बाहर निकल पाएगी।

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    Naveen Joshi

    अप्रैल 1, 2025 AT 00:45

    वाक़ई में, यह कहानी बड़ी ही अजीब लगती है।

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    Gaurav Bhujade

    अप्रैल 1, 2025 AT 02:25

    राजनीतिक माहौल में अक्सर इस तरह की आभासी योजनाएँ देखी जाती हैं।
    हालांकि, अगर यह वास्तव में पीएम की सेवानिवृत्ति का संकेत है, तो यह एक बड़ी घोषणा होगी।
    RSS की भूमिका भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह BJP के विचारधारा का मार्गदर्शक माना जाता है।
    हमको देखना पड़ेगा कि यह चर्चा आगे कैसे विकसित होती है और कौन सी पार्टी इसे सच मानती है।
    अंत में, जनता को भी इस मुद्दे पर एक स्पष्ट समझ चाहिए।

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    Chandrajyoti Singh

    अप्रैल 1, 2025 AT 04:05

    यह विचारणीय है कि यदि उत्तराधिकारी महाराष्ट्र से चुना जाता है, तो राज्य में राजनीतिक समीकरण कैसे बदलेंगे।
    महाराष्ट्र का सामाजिक‑आर्थिक महत्व इसे राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण बनाता है।
    परन्तु, BJP का कहना है कि उम्र के आधार पर कोई अनिवार्य सेवानिवृत्ति नहीं है।
    इसलिए, इस विषय को लेकर अधिक ठोस साक्ष्य की आवश्यकता होगी।
    सचाइयों तक पहुंचने के लिए सभी पक्षों को खुले तौर पर बात करनी चाहिए।

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    Riya Patil

    अप्रैल 1, 2025 AT 05:45

    समय की धारा में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं जहाँ निर्णयों का भार गहरा होता है।
    संयोजक शब्दों में कहा जाए तो इस प्रकार की घोषणा का प्रभाव गहरी धुन जैसा बन सकता है।
    मेरे विचार में, एक बजीली संरचना के भीतर यह बात निश्चित ही उठती है।
    जब तक स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता, तब तक अटकलें ही चलती रहेंगी।
    परन्तु जनता की आशा और अपेक्षा हमेशा इस तरह के मुद्दों में प्राथमिक स्थान रखती है।
    इसलिए, इस घड़ी में लोगों को संतुलित और सूचित रखना अत्यंत आवश्यक है।

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    naveen krishna

    अप्रैल 1, 2025 AT 07:25

    राऊत जी की बातें शायद कुछ खुशहाल चर्चाओं को प्रेरित कर रही हैं :)
    जैसे ही हम इस विषय पर चर्चा करते हैं, हमें तथ्य और भावनाओं के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए।
    अगर वास्तव में कोई योजना तैयार है, तो उसे सभी को बताना ही उचित होगा।
    इससे पार्टी के भीतर का माहौल भी शांति भरा रहेगा।

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    Disha Haloi

    अप्रैल 1, 2025 AT 09:05

    हमें इस बात को तुरंत स्पष्ट कर देना चाहिए कि RSS की कोई ऐसी योजनाबद्ध जवाबदेही नहीं है!
    अगर मोदी जी को रिटायरमेंट की बात करनी थी, तो उन्होंने खुद ही सीधे जनता को बता दिया होता।
    यह सब गुप्त संचालन केवल विपक्षी दल के लिए ही फायदेमंद है।
    देश के हित में, ऐसे बेतुके अफ़वाहों को खत्म करना चाहिए।
    हमारी राष्ट्रीय इकाई को इन अराजकताओं से मुक्त रखना हमारा कर्तव्य है।

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    Mariana Filgueira Risso

    अप्रैल 1, 2025 AT 10:45

    सच में, भारत में किसी भी प्रधानमंत्री के लिए कोई उम्र‑सीमा निर्धारित नहीं है।
    जैसे कि वर्तमान में 80‑वर्षीय जे.आर. मांकाजी अभी भी केंद्रीय मंत्री के पद पर हैं, यह स्पष्ट करता है कि कार्य क्षमता ही मुख्य मापदंड है।
    इसलिए, सेवानिवृत्ति के बारे में अटकलें लगाना उचित नहीं, जब तक कि खुद प्रधानमंत्री ने आधिकारिक तौर पर इशारा न किया हो।
    वास्तविकता में, पार्टी के भीतर एक मजबूत नेतृत्व संरचना होती है जो लगातार कार्यरत रहती है।
    अगर वास्तव में उत्तराधिकार की योजना है, तो वह पारदर्शी रूप से सार्वजनिक होनी चाहिए।

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    Dinesh Kumar

    अप्रैल 1, 2025 AT 12:25

    एक स्थिर राजनीतिक माहौल ही विकास की नींव रखता है।
    यदि संजय राऊत के बयान से पार्टी में भ्रम नहीं आया, तो हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए।
    सकारात्मक दृष्टिकोण से देखे तो यह एक मौका है कि जनता को स्पष्टता प्रदान की जाए।
    हमें आशावादी रहना चाहिए और इस प्रकार के मुद्दों को सुलझाने में मिलजुलकर काम करना चाहिए।

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    Hari Krishnan H

    अप्रैल 1, 2025 AT 14:05

    राजनीतिक सन्दर्भ में, एक राज्य की महत्त्वपूर्ण भूमिका कभी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।
    महाराष्ट्र, अपनी जनसंख्या और आर्थिक शक्ति के कारण, हमेशा ही केंद्र के साथ करीबी सहयोग में रहा है।
    अगर वहां से उत्तराधिकारी चुना जाता है, तो यह राष्ट्रीय स्तर पर एक नई ऊर्जा ला सकता है।
    आइए इस संभावित बदलाव को एक अवसर के रूप में देखें, जिससे सभी पक्षों को लाभ हो।

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    umesh gurung

    अप्रैल 1, 2025 AT 15:45

    वास्तव में, इस तरह की जानकारी का प्रसार, जनता के बीच गूमी हुई शंका को दूर करने के लिए अत्यावश्यक है; क्योंकि, जब तक स्पष्ट सूचना नहीं मिलती, तब तक अटकलें ही चलती रहती हैं।
    सभी संस्थाओं को मिलकर एक सुस्पष्ट बयान देना चाहिए, जिससे भ्रम समाप्त हो सके; यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मूल सिद्धांत है।
    समय की कसौटी पर देखा जाए तो, पारदर्शिता ही सबसे बड़ा सशस्त्र बल है, जो किसी भी राजनीतिक तर्क को संतुलित कर सकता है।

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    sunil kumar

    अप्रैल 1, 2025 AT 17:25

    विचारधारा के सामंजस्य और रणनीतिक नियोजन के परिप्रेक्ष्य में, यदि हम 'सेवानिवृत्ति-परिचर्चा' को एक पॉज़िटिव पिवट पॉइंट के रूप में देखें, तो यह न केवल पार्टी के इंटर्नल डायनामिक्स को पुनः परिभाषित करेगा, बल्कि राष्ट्रीय पॉलिसी फ्रेमवर्क में भी एक नयी कंडीशनिंग लाएगा।
    जैसे कि 'फ्यूचर-लीडरशिप ट्रांसिशन फ्रेमवर्क' में अक्सर बताया जाता है, भूमिकात्मक सैंपलिंग और एजाइल मैनेजमेंट मॉडल्स को अपनाकर इस प्रक्रिया को स्मूद बनाया जा सकता है।
    इसलिए, इन एंटी-एजाइल स्पेक्ट्रम को एकीकृत करने की आवश्यकता है, ताकि स्टीयरिंग कमिटी के भीतर एक कॉन्फिडेंशियल लीडरशिप पाथवे तैयार हो सके।

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