साइक्लोन मोंथा: आंध्र प्रदेश तट पर 28 अक्टूबर को 100 किमी/घंटा तेज हवाओं के साथ टकराएगा, कई राज्य अलर्ट पर

साइक्लोन मोंथा: आंध्र प्रदेश तट पर 28 अक्टूबर को 100 किमी/घंटा तेज हवाओं के साथ टकराएगा, कई राज्य अलर्ट पर अक्तू॰, 28 2025

28 अक्टूबर, 2025 की शाम या रात के समय, साइक्लोन मोंथा आंध्र प्रदेश के तट पर टकराने वाला है — और ये कोई साधारण तूफान नहीं है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आधिकारिक रूप से चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यह तूफान गहरा चक्रवाती तूफान बनकर 90-100 किमी/घंटा की लगातार हवाओं के साथ, अधिकतम 110 किमी/घंटा तक की गुस्सैल हवाओं के साथ काकिनाडा के आसपास, मच्छिलीपटनम और कलिंगपटनम के बीच तट पर उतरेगा। ये वो रात है जब पूरा दक्षिणी तटीय भारत सांस रोके बैठेगा।

क्या है साइक्लोन मोंथा की असली खतरनाक बात?

साइक्लोन मोंथा को थाईलैंड ने नाम दिया है — ये 2025 का पहला बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवात है। इसकी शुरुआत 12.2°N, 85.3°E पर हुई थी, जो काकिनाडा से 620 किमी दक्षिण-पूर्व में था। अब ये तेजी से उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है, और अगले 12 घंटे में इसकी गति 15 किमी/घंटा रहेगी। ये बात अजीब है: इस तूफान के आसपास ऊर्ध्वाधर हवाओं का बहुत अधिक विचलन है — जो आमतौर पर चक्रवात को कमजोर कर देता है। फिर भी, गर्म समुद्र का पानी और बाहरी हवाओं का बहाव इसे जीवित रख रहा है।

महेश पालावत, स्काइमेट वेदर के मौसम विशेषज्ञ, कहते हैं: "ये तूफान अगर थोड़ा भी कमजोर हुआ तो वो सीमा से बाहर निकल जाएगा — लेकिन अभी तक ये उस लाइन पर चल रहा है।" उनका कहना है कि तट पर उतरने से पहले ही ये कुछ कमजोर हो सकता है, लेकिन फिर भी 90 किमी/घंटा से ज्यादा की गुस्सैल हवाएं बरकरार रहेंगी। ये बात खतरनाक है क्योंकि ऐसी हवाएं छतों को उड़ा सकती हैं, बिजली के खंभे गिरा सकती हैं, और बारिश के साथ जमीन को बहा सकती हैं।

आंध्र प्रदेश: तैयारियां अभी शुरू हुई हैं

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नरेंद्र चंद्रबाबू नायडू ने आदेश दिया है — किसी की भी जान न जाए। इसके लिए राज्य सरकार ने काकिनाडा, कोनासीमा, पश्चिमी गोदावरी, एलूरू और पूर्वी गोदावरी जिलों को हाई अलर्ट पर रखा है।

सिविल सप्लाई मंत्री नडेंडला मनोहर ने काकिनाडा के कलेक्ट्रेट में एक बैठक की, जहां उन्होंने बताया कि 269 रिहाबिलिटेशन सेंटर तैयार हो चुके हैं। इनमें खाना, पानी, दवाएं और बिजली के जनरेटर उपलब्ध हैं। 30 राष्ट्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया बल (NDRF) और 50 राज्य आपातकालीन प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें तैनात हैं। ट्रैक्टर, भूमि खोदने वाले मशीनें और ईंधन की भरपूर आपूर्ति भी तैयार है।

IMD ने आंध्र प्रदेश के 26 जिलों में से 23 पर लाल और नारंगी चेतावनी जारी की है। विशाखापत्तनम, अनाकापल्ली और पश्चिमी गोदावरी में दो दिन के लिए स्कूल बंद कर दिए गए हैं। अगर आप इन जिलों में रहते हैं, तो आज रात बिजली बंद कर दें। जहां भी पानी जमा हो रहा है, वहां से बाहर निकल जाएं।

अन्य राज्यों में भी तूफान का असर

ये तूफान सिर्फ आंध्र प्रदेश तक सीमित नहीं है। ओडिशा के तटीय इलाकों में भी बहुत भारी बारिश की उम्मीद है। यहां लाइफगार्ड्स ने लोगों को समुद्र में जाने से रोक दिया है। तमिलनाडु के चेन्नई, तिरुवल्लूर और रानिपेट जिलों पर नारंगी चेतावनी है।

पश्चिम बंगाल के लिए तो ये बड़ी बात है। IMD ने बताया कि उत्तरी और दक्षिणी 24 परगना, पूर्वी और पश्चिमी मेदिनीपुर, जर्गाम, पुरुलिया, पूर्वी और पश्चिमी बर्धमान, बीरभूम और मुर्शिदाबाद में भारी बारिश होगी। दार्जिलिंग और कलिम्पोंग में भूस्खलन का खतरा है। यहां नौकरी करने वाले मछुआरे अब तक समुद्र में नहीं जा सकते — अगले चार दिनों तक बर्बाद हो सकते हैं।

चत्तीसगढ़ और सौराष्ट्र-कच्छ में भी अलग-अलग समय पर अत्यधिक बारिश की चेतावनी है। कल रात सौराष्ट्र में कुछ जगहों पर इतनी बारिश हुई कि लोगों के घरों में पानी भर गया।

क्या होगा अगले कुछ दिनों में?

तूफान के तट पर उतरने के बाद, ये धीरे-धीरे दक्षिणी ओडिशा की ओर बढ़ेगा। लेकिन यहां तक कि ये कमजोर हो जाए, तो भी इसकी बारिश और हवाएं कई दिनों तक चलेंगी। जमीन नम हो जाएगी — जिससे अगले किसी तूफान के लिए जमीन तैयार हो जाएगी। इस बार राज्य सरकारें बहुत तेजी से रिएक्ट कर रही हैं। लेकिन क्या ये पर्याप्त है?

2021 में जब साइक्लोन यास आंध्र प्रदेश और ओडिशा को चेतावनी देकर गुजरा था, तो 27 लोगों की मौत हुई थी। अब ये तूफान उससे कम तीव्र है, लेकिन लोगों की भूल नहीं होनी चाहिए। अगर आप तटीय क्षेत्र में रहते हैं, तो अपने घर के आसपास की जमीन को देखें — क्या यहां पानी जमा हो सकता है? क्या आपकी छत टिकेगी? आपके पास बैटरी चार्जर और बेसिक दवाएं हैं?

क्या आप तैयार हैं?

मौसम विज्ञान के आंकड़े बताते हैं कि बंगाल की खाड़ी में चक्रवातों की संख्या और तीव्रता पिछले 20 वर्षों में 40% बढ़ गई है। जलवायु परिवर्तन ने समुद्र के पानी को गर्म किया है — और ये गर्म पानी तूफानों को ऊर्जा देता है। इसलिए अब हर बार जब कोई तूफान आता है, तो ये अगले साल के तूफान की तुलना में अधिक खतरनाक होता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

साइक्लोन मोंथा किस राज्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा?

आंध्र प्रदेश के तटीय जिले — विशेषकर काकिनाडा, कोनासीमा और गोदावरी जिले — सबसे अधिक प्रभावित होंगे। ओडिशा, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के कुछ जिलों में भी भारी बारिश और तेज हवाएं आ सकती हैं। चत्तीसगढ़ और सौराष्ट्र में अलग से अत्यधिक बारिश की चेतावनी है।

क्या बिजली और इंटरनेट बंद हो जाएगा?

हां, तूफान के दौरान बिजली की आपूर्ति बंद हो सकती है — खासकर तटीय क्षेत्रों में। इंटरनेट कनेक्शन भी अस्थिर हो सकता है। IMD और राज्य सरकारों की वेबसाइट्स और ट्विटर अकाउंट्स पर अपडेट चेक करें। बैटरी चार्जर और पोर्टेबल सोलर लाइट तैयार रखें।

क्या नौकरी करने वाले मछुआरे को अभी बाहर जाना चाहिए?

नहीं। IMD ने पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में मछुआरों को 30 अक्टूबर तक समुद्र में जाने से मना किया है। ये निर्देश जीवन बचाने के लिए है — पिछले वर्षों में मछुआरों की बहुत सारी मौतें इसी वजह से हुई हैं।

साइक्लोन मोंथा का नाम किसने दिया है और क्यों?

थाईलैंड ने इस चक्रवात का नाम "मोंथा" दिया है, जिसका अर्थ है "मोती"। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के लिए चक्रवातों के नाम आठ देशों — भारत, थाईलैंड, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, ओमान और मलेशिया — एक साथ तैयार करते हैं। ये एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य चेतावनियों को आसान बनाना है।

क्या ये तूफान पिछले साल के तूफान यास से ज्यादा खतरनाक है?

नहीं, ये यास से कम तीव्र है — यास की हवाएं 140 किमी/घंटा तक थीं। लेकिन ये तूफान भी खतरनाक है क्योंकि इसके बाद जमीन नम हो जाएगी, और अगले तूफान के लिए तैयार हो जाएगी। इस बार तैयारियां बेहतर हैं, लेकिन लोगों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए।

क्या बच्चों और बुजुर्गों के लिए कोई खास योजना है?

हां। हर रिहाबिलिटेशन सेंटर में बच्चों और बुजुर्गों के लिए अलग से निर्धारित क्षेत्र हैं। यहां दवाएं, खाना और चिकित्सक उपलब्ध हैं। स्थानीय पंचायतों ने घर-घर जाकर इन लोगों को लाने के लिए टीमें बनाई हैं। अगर आपके परिवार में कोई बीमार या बूढ़ा है, तो उन्हें जल्दी से सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।

9 टिप्पणि

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    Saachi Sharma

    अक्तूबर 28, 2025 AT 07:46

    अब तो हर तूफान को 'गहरा चक्रवात' बोल देते हैं... पिछले साल यास वाला तो 140 किमी/घंटा था, अब 100 आ गया तो दुनिया खत्म हो गई। 😏

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    Rupesh Nandha

    अक्तूबर 30, 2025 AT 05:35

    ये तूफान... ये बस एक मौसमी घटना नहीं है। ये हमारे जलवायु अनुकूलन के असफलता का परिणाम है। हमने वनों को काटा, समुद्री तटों को बिल्डिंग्स से ढक दिया, और अब जब प्रकृति बोलती है-तो हम उसे ट्वीट करने के लिए तैयार होते हैं। ये तूफान हमारी भूल है। न कि भगवान की शिक्षा।

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    Sagar Solanki

    अक्तूबर 31, 2025 AT 11:12

    IMD के आंकड़े झूठ हैं। ये सब बड़े बिजनेस ग्रुप्स का चाल है-जिन्हें बाढ़ के बाद रिकन्स्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट्स चाहिए। जब तक तूफान नहीं आता, तब तक सरकारी बजट नहीं बढ़ता। और ये नाम 'मोंथा'... थाईलैंड के नाम देने का नियम क्यों? क्या हम अपनी भाषा में नाम नहीं दे सकते? ये नव-उपनिवेशवाद है।

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    Siddharth Madan

    नवंबर 2, 2025 AT 09:11

    बस घर में रहो। बैटरी चार्ज करो। पानी भर लो। दवाएं तैयार रखो। बाकी सब बातें बस बातें हैं।
    जिंदगी बचाना है तो चिंता नहीं, तैयारी करो।

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    Nathan Roberson

    नवंबर 3, 2025 AT 21:43

    मैंने अपने दोस्त के घर काकिनाडा में बात की थी-उन्होंने बताया कि उनके आसपास के 15 घरों ने अपने छतों को स्टील से बांध दिया है। अब तो लोग सच में सीख रहे हैं। बस थोड़ा और जल्दी कर दें, तो सब ठीक हो जाएगा।

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    Thomas Mathew

    नवंबर 4, 2025 AT 23:13

    मैंने तो अपने गाँव में बुढ़िया ने बताया-ये तूफान आया है क्योंकि लोग अब शिव जी को नहीं पूजते। बस टेलीविजन चलाते हैं। अब तो भगवान भी गुस्सा हो गए। अगर आज रात तक किसी ने नमाज़ नहीं पढ़ी तो ये तूफान तेज हो जाएगा। 😤

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    Monika Chrząstek

    नवंबर 5, 2025 AT 07:56

    मैंने अपने पापा के साथ तूफान के बाद घर बनाया था... तब भी ऐसा ही था। अब भी लोग बिजली के खंभे गिरते देखकर डर जाते हैं। पर अब तो हम सब तैयार हैं। आप लोग भी घबराएं नहीं, बस अपना घर सुरक्षित कर लीजिए। ❤️

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    Vitthal Sharma

    नवंबर 6, 2025 AT 05:24

    269 शिफ्टिंग सेंटर? बहुत अच्छा।

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    chandra aja

    नवंबर 7, 2025 AT 01:01

    ये सब चक्रवात नहीं... ये एक बड़ा राजनीतिक ड्रामा है। अगर तूफान नहीं आता तो सरकार को लोग नहीं देखेंगे। ये बारिश भी बनाई गई है। जब तक लोग डरेंगे, तब तक वो वोट पाएंगे।

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