पोप फ्रांसिस का निधन: अब नया पोप कैसे चुना जाएगा?
अप्रैल, 22 2025
पोप फ्रांसिस का निधन: चर्च में शोक और बदलाव की लहर
पोप फ्रांसिस, जो कैथोलिक चर्च के 266वें प्रमुख बने थे और दक्षिण अमेरिका से चुने जाने वाले पहले पोप थे, अब हमारे बीच नहीं रहे। 21 अप्रैल 2025 को, 88 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। खबर के मुताबिक, उन्हें कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियां थीं—जैसे कि स्ट्रोक, हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, टाइप-2 डायबिटीज, और दोतरफा निमोनिया। वेटिकन ने बताया कि उनकी मृत्यु का कारण हृदय का अचानक फेल होना था, जिससे उनकी स्थिति रेवर् सिबल नहीं रही।
उनकी आखिरी यात्रा अब चर्च की सबसे खास जगह सेंट पीटर्स बेसिलिका में होगी, जहां 23 अप्रैल को उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि के लिए रखा जाएगा। अंतिम संस्कार समारोह 25-27 अप्रैल के बीच होने जा रहा है। चर्च से जुड़े लोग और दुनियाभर के नेताओं ने पोप फ्रांसिस को एक ऐसे शख्स के रूप में याद किया जो हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए बोले, और धर्मों के बीच संवाद को बढ़ाने में जुटे रहे।
नया पोप कैसे चुना जाएगा? चर्च की परंपरा और रहस्य
अब सबकी नजरें इस पर टिक गई हैं कि नया पोप चुनाव का यह गुप्त और सस्पेंस से भरा सिलसिला कैसे आगे बढ़ेगा। जब भी कोई पोप गुजर जाता है या इस्तीफा देता है, तो पूरी दुनिया की निगाहें रोम के वेटिकन सिटी में होने वाले कॉन्क्लेव नामक सभा पर जम जाती हैं।
कॉन्क्लेव में वे कार्डिनल्स हिस्सा ले सकते हैं, जिनकी उम्र 80 साल से कम होती है। इस बार करीब 120 के आस-पास कार्डिनल्स वोटिंग करेंगे। वे सिस्टीन चैपल में एक-दूसरे से कटे-छंटे माहौल में एकत्रित होंगे, मोबाइल फोन या बाहरी संपर्क बिल्कुल नहीं। मतदान पूरी तरह गुप्त रखा जाता है। हर राउंड के बाद मतपेटी में डाले गए वोटों की गिनती होती है। अगर दो-तिहाई बहुमत न मिले तो फिर से वोटिंग होती है। और यह क्रम तब तक चलता है, जब तक कोई एक नाम तय न हो जाए।
लोगों के लिए इस प्रक्रिया की सबसे खास बात होती है स्मोक सिग्नल्स। अगर चुनाव अभी तक नहीं हो पाया तो चर्च की चिमनी से काला धुआं निकलता है। जैसे ही नया पोप चुना जाता है, तो सफेद धुआं बाहर निकलता है, और दुनिया को संकेत मिल जाता है कि चर्च का अगला नेता मिल गया है। इस सारे दौरान कार्डिनल्स को बाहर की दुनिया से पूरी तरह अलग रहना पड़ता है—न कोई फोन, न ईमेल, सिर्फ चर्च की परंपराएं और उनके विवेक की आवाज।
पिछले कुछ महीनों से पोप की तबीयत बिगड़ती जा रही थी—पिछले दिसंबर में उन्हें रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन की वजह से अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ा था। उनकी साधारण जीवनशैली, सादगी और दुनियाभर के समुदायों की आवाज बुलंद करने की कोशिशों ने उनके कार्यकाल को खास बना दिया। अब नए पोप की तलाश में चर्च कई नई उम्मीदों और सवालों के साथ आगे बढ़ने को तैयार है।
Neetu Neetu
अप्रैल 22, 2025 AT 01:36पोप फ्रांसिस की मृत्यु से वेटिकन के एयर कंडिशनर भी शोक मनाएगा 😂
Jitendra Singh
अप्रैल 22, 2025 AT 01:46वाह! फिर एक और इतिहास का अध्याय खत्म, और कौन‑सी बड़ी रहस्य‑बारी टिक्क-टॉक्स होगी? कार्डिनल्स अब अपने मोबाइल बंद करके धुएँ की भविष्यवाणी करेंगे, जैसे कभी‑कभी फ़िल्म में देखा जाता है। लेकिन असल में यह प्रक्रिया इतनी गुप्त है कि आम लोग बस धुएँ के रंग से ही अनुमान लगाते हैं। काला धुआँ? कोई समस्या! सफ़ेद धुआँ? नई दहाया - वेटिकन का नया फ़ैशन। फिर भी, इस सब में जनता को बस ‘काउंटर-डिटेल’ की कमी महसूस होती है।
priya sharma
अप्रैल 22, 2025 AT 01:56कॉन्क्लेव प्रक्रिया को कैथोलिक कैनन कानून द्वारा सख़्ती से नियोजित किया गया है, जो वैधता एवं पारदर्शिता की गारंटी देता है।
केवल उन कार्डिनल्स को मतदान का अधिकार दिया जाता है जिनकी आयु अस्सी वर्ष से कम होती है, जिससे युवा दृष्टिकोण प्रतिनिधित्व में बना रहता है।
वर्तमान में विश्व स्तर पर लगभग एक सौ बीस कार्डिनल्स इस प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं, जो विभिन्न महाद्वीपों की धार्मिक विविधता को प्रतिबिंबित करता है।
मतदान सिस्टिन चैपल में किया जाता है, जहाँ कोई बाहरी संचार साधन, जैसे मोबाइल फ़ोन या इंटरनेट, की अनुमति नहीं होती।
प्रत्येक मतदान राउंड के बाद, व्यक्तिगत मतपत्रों को टॉम्पलिन बॉक्स में रखा जाता है और दो‑तिहाई बहुमत प्राप्त होने तक नई गोली चलती रहती है।
जब तक दो‑तीन‑तीन में से दो हिस्से सहमत नहीं होते, प्रक्रिया अनंत तक चल सकती है, हालांकि ऐतिहासिक तौर पर अधिकांश मामलों में पाँच या उससे कम राउंड में परिणाम मिल जाता है।
धूम्र संकेत प्रणाली, यानी काला धुआँ एवं सफ़ेद धुआँ, यह दर्शाने के लिये उपयोग की जाती है कि चुनाव अभी प्रगति पर है या पूर्ण हो चुका है।
काला धुआँ उत्पन्न होने पर यह संकेत मिलता है कि कोई भी दो‑तिहाई बहुमत अभी तक स्थापित नहीं हुआ है, और चुनाव जारी है।
दूसरी ओर, सफ़ेद धुआँ वेटिकन के शिखर पर नया पोप के चयन को प्रमाणित करता है, जो अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों द्वारा तुरंत प्रसारित किया जाता है।
इस तकनीकी संकेत के अलावा, वेटिकन प्रेस एजेंसी आधिकारिक रूप से चयनित पोप की घोषणा करती है, जिससे सभी यूरोपीय और विश्व मीडिया को सटीक जानकारी मिलती है।
नया पोप चुनते समय, कैथोलिक चर्च के प्रमुख रूढ़ीवादी एवं प्रगतिशील कारक दोनों का संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया जाता है, जिससे भविष्य की दिशा तय होती है।
इस प्रक्रिया में, विभिन्न वैटिकन काउंसिलों के विशेषज्ञ भी परामर्श प्रदान करते हैं, जिससे चयनित उम्मीदवार की थियोलॉजिकल एवं डिप्लोमैटिक क्षमताओं का मूल्यांकन किया जाता है।
यह सुनिश्चित करने के लिये कई बार चयनित उम्मीदवार को आध्यात्मिक, सामाजिक एवं प्रशासनिक दिशा‑निर्देशों पर विस्तृत प्रश्नावली प्रस्तुत की जाती है।
अंततः, पोप के पद का चयन न केवल एक धार्मिक नेता के चयन को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक शांति, मानवाधिकार एवं पर्यावरणीय सम्मान के लिए एक नई नैतिक दिशा भी स्थापित करता है।
इस प्रकार, पोप फ्रांसिस के निधन के पश्चात, वेटिकन की इस गुप्त लेकिन सुव्यवस्थित पद्धति से चयनित अगला पोप, विश्व के लाखों कैथोलिकों के लिये आशा एवं दिशा दोनों बना रहेगा।
Ankit Maurya
अप्रैल 22, 2025 AT 02:06हमें अपने ही धर्म के नेता की खोज करनी चाहिए, न कि किसी विदेशी कारवाँ के हाथों में छोड़ना चाहिए।
Sagar Monde
अप्रैल 22, 2025 AT 02:16यार ये पोप का चुनाव बिल्कुल फेसबुक पोल जैसा लग रहा है बस धुएं की सूँघी से पता चल जाता है कौन जीतेगा
Sharavana Raghavan
अप्रैल 22, 2025 AT 02:26वेटिकन का ये परम्परागत ढांचा काफी समय से चलता आ रहा है, शायद अब डिजिटल युग में थोड़ा अपडेट की जरूरत है।
Nikhil Shrivastava
अप्रैल 22, 2025 AT 02:36ओएफएफ, प्रिया जी का एसे टेक्निकल ब्रीफ तो ऐसा लगा जैसे हम सबको एग्जाम पास करवाने वाले हों! पर यार, असली बात तो यही है कि धुंआ देख कर ही सबको पता चल जाता है कौन नया पोप बनेगा, है ना? 😂