जयशंकर की चतुराई: किम जोंग-उन या जॉर्ज सोरोस के साथ रात का भोजन या नवरात्रि का उपवास?

जयशंकर की चतुराई: किम जोंग-उन या जॉर्ज सोरोस के साथ रात का भोजन या नवरात्रि का उपवास? अक्तू॰, 7 2024

विदेश मंत्री एस जयशंकर की चतुराई भरी प्रतिक्रिया

अंतरराष्ट्रीय राजनीतिज्ञ और विदेश मामलों के विशेषज्ञ एस जयशंकर हाल ही में एक प्रेस वार्ता के दौरान एक मनोरंजक सवाल का जवाब देकर चर्चित हुए। उनसे पूछा गया कि अगर उन्हें उत्तरी कोरिया के नेता किम जोंग-उन और अमेरिकी अरबपति और परोपकारी जॉर्ज सोरोस के साथ रात का भोजन करने का मौका मिले, तो वे किसे चुनेंगे। जयशंकर ने इस पूछताछ को राजनैतिक नाटकीयता में नहीं बदला और बड़ी चतुराई से नवरात्रि के उपवास का हवाला देकर इस सवाल को टाल दिया। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यह नवरात्रि है, मैं उपवास कर रहा हूँ।"

उनका यह उत्तर उपस्थित लोगों में हास्य का कारण बना और साथ ही विदेश मंत्री की कूटनीतिक योग्यता को एक बार फिर उजागर किया। यह वीडियो जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और जयशंकर की चतुराई की तारीफें की जाने लगीं। इस सवाल के पीछे की पृष्ठभूमि गहरी राजनीतिक और कूटनीतिक महत्व रखती है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर कई मौकों पर जॉर्ज सोरोस के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया है।

जॉर्ज सोरोस और भारतीय राजनीति

जॉर्ज सोरोस एक ऐसा नाम है जो भारतीय राष्ट्रीय राजनीति में कई बार उभरा है। वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपने आलोचनात्मक विचारों के लिए जाने जाते हैं। सोरोस ने भारत की वर्तमान सरकार की नीतियों की आलोचना की है, जिसके कारण वह भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर रहे हैं। इसके चलते भाजपा ने विपक्षी कांग्रेस पर जॉर्ज सोरोस के साथ हुई बातचीत को लेकर कई आरोप भी लगाए हैं।

इस प्रकार की बयानबाजियों के बीच जयशंकर की प्रतिक्रिया एक बड़ी राहत के रूप में देखी जा सकती है, जिसने एक भयंकर राजनैतिक बहस को चतुराई से टाल दिया। उनकी इस प्रतिक्रिया ने न केवल सवाल को हल्के में लिया बल्कि यह भी सिद्ध किया कि वे कितना निपुणता से भारत के राजनैतिक समीकरण संभाल सकते हैं।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक

जयशंकर बहुत जल्द शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान जाने वाले हैं। उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह इस दौरान पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता नहीं करेंगे, उनका दौरा सिर्फ इस बहुपक्षीय बैठक के लिए होगा। बैठक 15 और 16 अक्टूबर को आयोजित की जाएगी।

इस आयोजन की पृष्ठभूमि अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत की विदेश नीति लगातार बदल रहे वैश्विक संबंधों को संतुलित करने में जुटी है। पाकिस्तान के दौरे पर जाने से पहले उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि भारत की सुरक्षा और राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर रहेंगे।

समर्थकों की प्रतिक्रिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

सोशल मीडिया पर जयशंकर के प्रशंसकों ने उनकी प्रतिक्रिया की सराहना की। समाचार एजेंसी एएनआई के साथ हुए उनके साक्षात्कार से प्राप्त इस वीडियो क्लिप ने जयशंकर के चातुर्य और उनके राष्ट्रहित के लिए प्रतिबद्धता को एक बार फिर प्रदर्शित किया है। एक ऐसे समय में जब देश परिवर्तनों की चपेट में हैं और अंतरराष्ट्रीय संबंध नाजुक हैं, जयशंकर का गरिमा और कुशलता भरा यह जवाब उल्लेखनीय माना जा रहा है।

अंततः, जयशंकर ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भारतीय कूटनीति पर उनका गहरा अनुभव और विशेषज्ञता कैसे किसी भी राजनीतिक मुद्दे या चुनौती का सामना करने में सक्षम है। ऐसे नेता की जरूरत है जो उच्च नैतिकता, चतुराई और अंतर्राष्ट्रीय संतुलन के लिए प्रतिबद्ध हो, और जयशंकर इस भूमिका में बखूबी फिट बैठते हैं।