Zoho के CEO मनि वेबू ने कहा, अरत्ताई में जल्द होगा व्हाट्सएप‑जैसा एंड‑टू‑एंड एन्क्रिप्शन
अक्तू॰, 9 2025
जब मनि वेबू, CEO of Zoho Corporation ने 3 अक्टूबर 2025 को Money Control के इंटरव्यू में कहा कि अरत्ताई जल्द ही सभी उपयोगकर्ताओं के लिए व्हाट्सएप‑जैसी एंड‑टू‑एंड एन्क्रिप्शन लाएगा, तो देशभर में 7.5 मिलियन से अधिक डाउनलोड वाले इस मेड‑इन‑इंडिया मैसेजिंग ऐप की लोकप्रियता की लहर और तेज़ हो गई। चेन्नई स्थित Zoho ने सरकार की स्वदेशी डिजिटल नीति को धक्का देने के लिए इस प्लेटफ़ॉर्म को तेजी से स्केल किया, जिससे दैनिक साइन‑अप 3,000 से बढ़कर 350,000 हो गया – ऐसा उछाल कई उद्योग विश्लेषकों ने "आज़ादी‑की‑हवा" कहा।
पृष्ठभूमि और इतिहास
अरत्ताई, जिसका मतलब तमिल में "अनौपचारिक बातचीत" है, 2022 में श्रीधर वेबू, संस्थापक व चीफ़ साइंटिस्ट of Zoho Corporation द्वारा प्रोटोटाइप चरण में शुरू किया गया था। शुरुआती लक्ष्य था – भारत के लाखों उपयोगकर्ताओं को ऐसा मंच देना जहाँ डेटा विदेशी क्लाउड में न जमा हो। 2023 में भारत सरकार ने बड़े सोशल‑मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स को स्थानीय डेटा सेंटर में डेटा रखने का आदेश दिया, और फिर अरत्ताई को एक राजनैतिक बूस्ट मिला।
विस्तृत विकास और विशेषताएँ
अक्टूबर 2025 में ऐप ने दो प्रमुख माइलस्टोन हासिल किए:
- Apple App Store पर #1 रैंक और Google Play पर सबसे अधिक डाउनलोड वाला मैसेजिंग एप बनना।
- इंडियन डेटा सेंटर में 100% डेटा स्टोरेज, जिससे डेटा सॉवरिनिटी का सवाल कम हो गया।
इसके अलावा, अरत्ताई ने पाँच डिवाइस तक एक साथ कनेक्ट करने की सुविधा दी, जो व्हाट्सएप में अभी तक नहीं है। ऐप की एंड‑टू‑एंड एन्क्रिप्शन अब केवल "सीक्रेट चैट" मोड में उपलब्ध है, लेकिन मनि वेबू ने भरोसा दिलाया कि वह जल्द ही सभी चैट्स के लिए डिफ़ॉल्ट कर देंगे। "हम अभी इस पर काम कर रहे हैं और Q4 2025 तक इसे रोल‑आउट करने की योजना है," उन्होंने कहा।
डिज़ाइन में विशेष ध्यान दिया गया है: कम‑स्पेक डिवाइस और कम‑बैंडविड्थ नेटवर्क में भी कॉल और मैसेजिंग स्मूद हो। यह तकनीकी बुनियाद श्रीधर वेबू ने अपने यूट्यूब प्रस्तुतीकरण (4 अक्टूबर 2025) में 15 साल के कस्टम‑बिल्ट फ्रेमवर्क के आधार पर समझाया। उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य यह है कि हर भारतीय, चाहे वह गांव में हो या शहर में, समान डिजिटल अनुभव पा सके।"
भिन्न पक्षों की प्रतिक्रियाएँ
सरकारी समर्थन के बाद तत्काल ही दो बड़े हस्तियों ने अपनी स्वीकृति जताई:
पियुष गोयल, भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने 3 अक्टूबर को X (पूर्व में Twitter) पर लिखा – "#Swadeshi का असली आनंद अरत्ताई से है।" उनका यह ट्वीट 120,000 रीट्वीट्स तक पहुंचा, जिससे ऐप का ट्रैफ़िक चौराहे पर चढ़ गया।
इसी दिन, आनंद महिंद्रा, महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन ने "गर्व है, मैंने अभी-अभी अरत्ताई डाउनलोड किया" लिखते हुए अपनी फॉलोअर्स को भी प्लेटफ़ॉर्म पर आने का आह्वान किया। दोनों ही के बयान ने अरत्ताई को "राष्ट्रीय गौरव" की छवि दी, जिससे कई छोटे‑बड़े ट्रेडिशनल व्यापारियों ने भी इसे अपनाया।
उपभोक्ता समूहों के बीच एक छोटा लेकिन उल्लेखनीय चर्चा भी उभरा: जबकि व्हाट्सएप ने हाल ही में Meta AI को इंटीग्रेट किया, अरत्ताई ने इस कदम से दूर रह कर "AI‑फ्री" अनुभव दिया। इस बारे में Storyboard18 के 5 अक्टूबर के रिपोर्ट में कहा गया, "उपयोगकर्ता अब विज्ञापन या AI‑इंटरफ़ेरेंस की चिंता किए बिना साफ़ चैटिंग का मज़ा ले सकते हैं।"
प्रभाव और विश्लेषण
भारतीय मार्केट में व्हाट्सएप के 532.3 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता (Q2‑2025) के सामने अरत्ताई की वृद्धि "दुर्लभ" है। विशेषज्ञ मानते हैं कि डेटा सोवरिनिटी और राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना इस बूम की मुख्य वजह है। इस साल के पहले आधे में, डेटा‑लोकलाइज़ेशन के कारण कई अंतरराष्ट्रीय ऐप्स को भारत में प्रतिबंधित किया गया, जिससे स्वदेशी विकल्पों को वरदान मिला।
इकोनॉमिक टाइम्स ने 2 अक्टूबर के अपने विश्लेषण में पाँच प्रमुख अंतर बताए: (1) इन‑ऐप मीटिंग सुविधा, (2) पर्सनल क्लाउड स्टोरेज, (3) बिना विज्ञापन, (4) पूरी तरह भारत में डेटा रखरखाव, (5) वर्तमान में सीमित एन्क्रिप्शन। इन बिंदुओं ने न केवल यूज़र एंगेजमेंट बढ़ाया, बल्कि निवेशकों को भी आश्वस्त किया।
कंपनी के फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस रिपोर्ट के अनुसार, अरत्ताई की Android TV वर्ज़न ने व्हाट्सएप के समान सुविधा नहीं दी है, जिससे भारतीय घरों में बड़े स्क्रीन पर ग्रुप कॉल और शेयरिंग आसान हो गया। इस पहल ने छोटे‑शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी मोबाइल डेटा के लो‑स्पीड उपयोग को सुगम बनाया।
आगे का रास्ता
मनि वेबू ने स्पष्ट किया कि अंतिम एन्क्रिप्शन 2025 के Q4 में पूरी तरह लागू हो जाएगा, और तब तक "परसनल चैट" विकल्प ऑप्शनल रहेगा। साथ ही, कंपनी छोटे‑उद्योगियों के लिए एंटरप्राइज़‑ग्रेड सुरक्षा लेयर भी जोड़ने की योजना बना रही है। इस दिशा में, Zoho की प्रोडक्ट टीम भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग कर रही है, ताकि सुरक्षा प्रोटोकॉल को ओपन‑सोर्स बनाया जा सके।
भविष्य में, यदि अरत्ताई अपनी एन्क्रिप्शन को सभी डिवाइस पर डिफ़ॉल्ट बनाता है, तो यह न सिर्फ भारत में बल्कि दक्षिण‑एशिया के अन्य देशों में भी एक बड़ा विकल्प बन सकता है, जहाँ डेटा‑प्राइवेसी को लेकर निरंतर विरोधाभास रहता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
अंत‑से‑अंत एन्क्रिप्शन कब तक सभी उपयोगकर्ताओं के लिये उपलब्ध होगा?
Zoho के CEO मनि वेबू ने बताया कि 2025 के चौथे क्वार्टर में एन्क्रिप्शन को डिफ़ॉल्ट बनाकर सभी टेक्स्ट चैट्स में लागू किया जाएगा। अभी यह "सीक्रेट चैट" मोड में वैकल्पिक है, पर जल्द ही इसका विस्तार होगा।
अरत्ताई की लोकप्रियता में सरकारी समर्थन की क्या भूमिका है?
जब एक सितंबर में पियुष गोयल ने ऐप को अपनाया, तो दैनिक साइन‑अप 3,000 से 350,000 तक बढ़ गए। इस सरकारी एंडोर्समेंट ने उपयोगकर्ताओं में स्वदेशी विकल्पों के प्रति भरोसा बढ़ाया, जिससे डाउनलोड में 100‑गुना उछाल आया।
क्या अरत्ताई की डेटा स्टोरेज पूरी तरह भारत में होती है?
हाँ, Zoho ने स्पष्ट किया है कि सभी उपयोगकर्ता डेटा इन्डियन डाटा सेंटर में ही रखा जाता है। यह नीति 2023 के भारत सरकार के डेटा‑लोकलाइज़ेशन नियमों के अनुरूप है और विदेशी निगरानी के जोखिम को कम करती है।
अरत्ताई कौन‑सी अद्वितीय सुविधाएँ प्रदान करता है जो व्हाट्सएप में नहीं हैं?
अरत्ताई इन‑ऐप मीटिंग, पर्सनल क्लाउड स्टोरेज, विज्ञापन‑मुक्त अनुभव, पाँच डिवाइस एक साथ कनेक्शन, और Android TV पर मूल एप्लिकेशन सपोर्ट जैसी सुविधाएँ देता है, जो वर्तमान में व्हाट्सएप में नहीं हैं।
भविष्य में अरत्ताई कैसे विकसित हो सकता है?
यदि एन्क्रिप्शन पूरी तरह लागू हो जाता है और एंटरप्राइज़‑ग्रेड सुरक्षा मॉड्यूल जोड़ता है, तो अरत्ताई दक्षिण‑एशिया के कई देशों में प्रमुख मैसेजिंग विकल्प बन सकता है, जहाँ डेटा‑प्राइवेसी एक बड़ा मुद्दा है।
Ravi Patel
अक्तूबर 9, 2025 AT 02:42अरत्ताई का विकास देखने में रोमांचक है।
Piyusha Shukla
अक्तूबर 12, 2025 AT 14:02ओह, फिर भी बहुत से लोग केवल ट्रेंड फॉलो कर रहे हैं।
Shivam Kuchhal
अक्तूबर 16, 2025 AT 01:22अरत्ताई की एन्क्रिप्शन नीति डिजिटल अधिकारों के संरक्षण में एक मील का पत्थर है। यह भारत की स्वदेशी तकनीकी पहल को सशक्त बनाता है। साक्षरता और पहुंच में समानता को प्राथमिकता देने वाला यह कदम सराहनीय है। आशा है कि आगामी अपडेट उपयोगकर्ता अनुभव को और भी सहज बनाएँगे।
Deepak Sonawane
अक्तूबर 19, 2025 AT 12:42वर्तनी में उल्लेखित डेटा‑सुरक्षा पैराडाइम को देखते हुए, एन्क्रिप्शन प्रोटोकॉल का क्वांटम‑रेज़िलियंस मानक अभी तक अस्पष्ट है; इस कारण नियामक अनुपालन में संभावित डिलेम्मा उत्पन्न हो सकता है। साथ ही, मल्टी‑डिवाइस आर्किटेक्चर का स्केलेबिलिटी मैट्रिक्स अभी भी अधूरा प्रतीत होता है। इस प्रकार का टेनस विश्लेषण उपयोगकर्ता एंगेजमेंट को दीर्घकालिक रूप में परावर्तित कर सकता है।
Suresh Chandra Sharma
अक्तूबर 23, 2025 AT 00:02बहुत बढ़िया पॉइंट्स हैं। एप्लिकेशन का यूज़र इंटरफ़ेस भी काफ़ी स्मूद लग रहा है।
sakshi singh
अक्तूबर 26, 2025 AT 11:22अरत्ताई का अंत‑से‑अंत एन्क्रिप्शन भारत में डिजिटल स्वराज्य की नई दिशा खोलता है।
यह कदम न केवल उपयोगकर्ता गोपनीयता को सुदृढ़ करता है बल्कि विदेशी डेटा‑अधिग्रहण के जोखिम को भी घटाता है।
डेटा‑लोकलाइज़ेशन की नीति के साथ यह कदम सामंजस्य स्थापित करता है, जिससे नियामक वातावरण भी स्थिर होता है।
इस प्रकार के स्थानीयकरण ने छोटे‑शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में नयी डिजिटल साक्षरता को प्रोत्साहित किया है।
अरत्ताई का मल्टी‑डिवाइस समर्थन, जो पाँच डिवाइस तक एक साथ कनेक्शन देता है, उपयोगकर्ता अनुभव को बहुआयामी बनाता है।
इसके अलावा, भारतीय डेटा‑सेंटर में 100% डेटा स्टोरेज सुनिश्चित करता है कि कोई भी जानकारी विदेश में नहीं जाती।
एप्लिकेशन का बिना विज्ञापन वाला माहौल उपयोगकर्ताओं को शुद्ध चैटिंग अनुभव प्रदान करता है।
इस शुद्धता ने कई उपयोगकर्ता समूहों को आकर्षित किया है जो AI‑इंटरफ़ेरेंस से बचना चाहते हैं।
आर्थिक दृष्टिकोण से देखें तो, इस प्लेटफ़ॉर्म ने निवेशकों को भरोसा दिलाया है और वित्तीय रिपोर्ट में सकारात्मक प्रवाह दिखाया है।
एंटरप्राइज़‑ग्रेड सुरक्षा लेयर की योजना भविष्य में छोटे‑उद्योगों को भी सुरक्षित रूप से संचार करने की सुविधा देगा।
भारतीय विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग से ओपन‑सोर्स सुरक्षा प्रोटोकॉल का विकास तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा।
यदि इस एन्क्रिप्शन को सभी डिवाइस पर डिफ़ॉल्ट किया जाता है, तो यह दक्षिण‑एशिया के अन्य देशों में भी विकल्प बन सकता है।
इस प्रकार का विस्तार राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक निर्यात क्षमता को भी बढ़ाएगा।
वर्तमान में, व्हाट्सएप का वैश्विक डोमिनेंस है, लेकिन अरत्ताई की नींव स्थानीय जरूरतों पर आधारित है।
अंत में, उपयोगकर्ता संतुष्टि, डेटा‑सुरक्षा, और राष्ट्रीय नीतियों का तालमेल ही इस एप्लिकेशन की सफलता की कुंजी है।
ahmad Suhari hari
अक्तूबर 29, 2025 AT 22:42एन्क्रिप्शन प्रीिेनसिपल अभी थोरि अवे क्लीअर है, विशेषकर शायरी। बज़ट अलोकेशन के रेफ़रेंसेज को इन्क्लूड करना शुद्द रहे। यह तकनीकी पहल फ्रैंचाइज़ी को भी सपोर्ट कर सकता है।
shobhit lal
नवंबर 2, 2025 AT 10:02देखो भाई, सब जानता हूँ मैं, एन्क्रिप्शन का टाइमलाइन दो हफ़्ते लेगा, बाकी सब मूड में बॉक्स चेक करा। डाटा लोकेशन की भी टेंशन नहीं, एकदम कूल।
Balaji S
नवंबर 5, 2025 AT 21:22जब हम डेटा‑सुरक्षा के दार्शनिक आयामों पर विचार करते हैं, तो अरत्ताई का मॉडल एक समग्र एथिकल फ्रेमवर्क प्रस्तुत करता है। यह न केवल तकनीकी परत को बल्कि सामाजिक‑राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को भी सम्मिलित करता है; इस प्रकार उपयोगकर्ता आत्मविश्वास के एक नये स्तर को साकार करता है।
Alia Singh
नवंबर 9, 2025 AT 08:42वास्तव में, अरत्ताई द्वारा प्रस्तुत की गई एन्क्रिप्शन रणनीति, विस्तृत विश्लेषण के पश्चात, कई स्तरों की सुरक्षा परतें, जैसे कि एन्ड-टू-एन्ड प्रोटोकॉल, तथा रूट-ऑफ़-ट्रस्ट मेकेनिज्म, को सम्मिलित करती है; यह दोहरावहीन रूप से उपयोगकर्ता डेटा को सुनिश्चित करती है, तथा नियामक मानकों के साथ पूर्णतः संरेखित होती है।
Purnima Nath
नवंबर 12, 2025 AT 20:02अरे वाह अरत्ताई का नया फीचर बहुत ज़बरदस्त है, हमें बस एक बार कोशिश करनी चाहिए
Rahuk Kumar
नवंबर 16, 2025 AT 07:22अच्छा
Deepak Kumar
नवंबर 19, 2025 AT 18:42सटीक, चमकदार, और बिल्कुल जरूरी-अरत्ताई का दृष्टिकोण बिंदु‑बिंदु पर है।
Chaitanya Sharma
नवंबर 23, 2025 AT 06:02डेटा‑सुरक्षा का यह पहलू काफी सराहनीय है, क्योंकि यह उपयोगकर्ता विश्वास को मजबूती प्रदान करता है। साथ ही, एन्क्रिप्शन का व्यापक रोल‑आउट भारतीय डिजिटल नीति के साथ सामंजस्य स्थापित करता है। यदि विकास टीम इस दिशा में निरंतर सुधार करती रहे, तो अरत्ताई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर प्रतिस्पर्धी बन सकता है। इस संदर्भ में, विभिन्न उद्योग विशेषज्ञों के साथ निरंतर संवाद बनाए रखना आवश्यक होगा। संभावित जोखिमों की पूर्व-प्रक्षेपण और त्वरित समाधान भी इस योजना का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। अंत में, उपयोगकर्ता जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना उपयोगिता को दोगुना करेगा।