यूपी मौसम: मेरठ से हरदोई तक 44 जिलों में रेड अलर्ट, सितंबर की शुरुआत तेज बारिश से

यूपी मौसम: मेरठ से हरदोई तक 44 जिलों में रेड अलर्ट, सितंबर की शुरुआत तेज बारिश से सित॰, 1 2025

44 जिलों में रेड अलर्ट: बारिश, गरज और उमस का तिहरा दबाव

उत्तर प्रदेश में सितंबर का पहला दिन मौसम के नाम रहा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मेरठ से हरदोई की पट्टी तक 44 जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। मतलब—कई जगहों पर तेज़ से बहुत तेज़ बारिश, गरज-चमक और स्थानीय स्तर पर तेज़ झोंकों के साथ मौसम बिगड़ सकता है। कई इलाकों में बारिश की संभावना 95% तक पहुंच गई है, खासकर लखनऊ और उसके आसपास। दिन का तापमान 26°C से 31°C के बीच घूम रहा है, लेकिन नमी इतनी ज्यादा है कि कई जगहों पर पसीना छुड़ा देने वाली ‘फील्स-लाइक’ गर्मी महसूस हो रही है।

आईएमडी के रेड अलर्ट का सीधा अर्थ है—अत्यधिक बारिश की आशंका और उससे जुड़े खतरे: शहरों में जलभराव, निचले इलाकों में पानी का तेज़ बहाव, और ट्रैफिक/ट्रेन रूट पर रुकावटें। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि मॉनसून की धुरी (ट्रफ) और आसपास के सिस्टम सक्रिय हैं, इसलिए अगले कुछ दिनों तक तेज़ बौछारें जारी रह सकती हैं। महीने भर में 3 से 8 दिन तक बारिश वाले एपिसोड बनने की संभावना है।

लखनऊ की सुबह 29°C के साथ शुरू हुई—हवा पूर्व से तकरीबन 10 मील प्रति घंटे की रफ्तार पर, बादल 60% तक। दिन चढ़ने के साथ बादल फटने जैसी बौछारों के छोटे-छोटे दौर देखने को मिल सकते हैं—कभी 15–30 मिनट का तेज़ झोंका, फिर थोड़ी देर का ब्रेक, और फिर वापस मूसलाधार। यही वजह है कि छाता, रेनकोट और पानी की बोतल साथ रखना अभी सबसे समझदारी भरा फैसला है।

सितंबर आम तौर पर 26°C से 34°C के बीच रहता है, लेकिन लगातार नमी और रुक-रुक कर होने वाली बारिश के बीच उमस ज्यादा परेशान करती है। इस बार भी वही तस्वीर दिख रही है: सड़कें भीगी हुई, हवा भारी, और गर्मी-उमस का मिला-जुला असर। विशेषज्ञ लगातार पानी पीते रहने, इलेक्ट्रोलाइट लेने और ज्यादा देर तक धूप-बरसात में एक साथ न रहने की सलाह दे रहे हैं।

कहाँ, कब, कितना: जोखिम, तैयारी और आपकी चेकलिस्ट

कहाँ, कब, कितना: जोखिम, तैयारी और आपकी चेकलिस्ट

रेड अलर्ट के दायरे में पश्चिम से लेकर मध्य यूपी तक कई बड़े शहर, कस्बे और ग्रामीण ब्लॉक आते हैं। इसका असर जगह-जगह अलग होगा—किसी इलाके में एक घंटे में ही सड़कें भर जाएंगी, तो कहीं सिर्फ मध्यम बारिश होगी। यही ‘स्पॉट्टी’ पैटर्न सबसे चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि यह अचानक ट्रैफिक रोक देता है, स्कूल-ऑफिस के समय में देरी कराता है और लोकल ड्रेनेज सिस्टम पर दबाव बढ़ा देता है।

जो लोग सफर में हैं, उनके लिए सबसे बड़ा रिस्क अंडरपास और निचले पुलिया हैं—दो फीट पानी भी कार/बाइक को ठप कर सकता है। जलभराव में खुली नालियों और ढीले मैनहोल का खतरा अलग है। रेल पटरी के पास, बस-टर्मिनल और भीड़भाड़ वाले चौराहों पर थोड़े-थोड़े समय के लिए रुकावटें बन सकती हैं। बिजली की लाइनें भीगने से ट्रिप कर सकती हैं, इसलिए गिरे पेड़ों/तारों से दूरी रखें।

लखनऊ सहित आसपास के जिलों में दिन के दौरान तेज़ बौछारों का दायरा बढ़ने का अनुमान है। जैसे-जैसे बादल घिरते हैं, दृश्यता घटती है—तो ड्राइविंग धीमे रखें, हेडलाइट ऑन रखें और अचानक ब्रेक से बचें। जिनके घर/दुकान निचले तल पर हैं, वे इलेक्ट्रॉनिक सामान ऊंचाई पर रखें और पानी आने पर मेन स्विच ऑफ करना याद रखें।

आईएमडी के कलर कोड को आसान भाषा में समझ लें:

  • येलो: नजर रखें—हल्की से मध्यम बारिश संभव।
  • ऑरेंज: सतर्क रहें—कई जगह तेज़ बारिश, व्यवधान की आशंका।
  • रेड: कार्रवाई जरूरी—अत्यधिक बारिश, बाढ़/जलभराव का बड़ा जोखिम।

कृषि पर सीधा असर दिखेगा। धान, गन्ना और सब्जियों के खेतों से पानी तेजी से निकालना होगा। जहां पानी ठहर रहा है, वहां जड़ों में सड़न का खतरा बढ़ता है। तेज़ बारिश के बीच टॉप-ड्रेसिंग (खाद) रोक कर रखें, वरना बह जाएगी। पत्तों पर रोग के निशान दिखें तो बारिश थमते ही स्प्रे करें। गन्ने में गिरने का डर है—कमजोर खेतों में सहारा/बंधाई कर लें।

शहरों में सबसे बड़ी चुनौती है—ड्रेनेज और भीड़भाड़। ऑफिस टाइम में निकलना है तो 20–30 मिनट का अतिरिक्त बफर रखें, वैकल्पिक रूट देखकर चलें और अंडरपास से बचें। जिसे जरूरी न हो, वह हाई-ट्रैफिक कॉरिडोर से दूर रहे। बच्चों को स्कूल भेजने से पहले बस रूट/स्कूल अपडेट जरूर चेक करें—कई बार लोकल जलभराव की वजह से पिक-अप प्वाइंट बदले भी जाते हैं।

बारिश के साथ बीमारियां भी बढ़ती हैं। गंदा पानी आंख/त्वचा पर असर डालता है, तो रेन-गीयर के अलावा सूखे कपड़े और सैनिटाइज़र साथ रखें। पीने का पानी फिल्टर्ड/उबला हुआ लें। मच्छरों का खतरा बढ़ता है, इसलिए घर के आसपास पानी जमा न होने दें और शाम के समय रिपेलेंट का इस्तेमाल करें।

अब सवाल—यह सिलसिला कब तक? शुरुआती हफ्ते में तेज़ बौछारों के और भी दौर बन सकते हैं। दिन में धूप-छांव के बीच एक-एक घंटे के भारी सेल्स अचानक बन कर गुजरेंगे। यही पैटर्न ट्रैफिक और पावर सप्लाई को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इसलिए रोज़ाना मॉर्निंग/इवनिंग अपडेट देखें, खासकर आईएमडी के ताज़ा बुलेटिन और लोकल “नाऊकास्ट” पर नजर रखें।

जिला प्रशासन ने जलभराव-प्रवण इलाकों में पम्पिंग की व्यवस्था बढ़ाने और संवेदनशील बिंदुओं पर निगरानी की बात कही है। राहत/आपदा टीमें आमतौर पर ऐसे समय हाई-अलर्ट पर रहती हैं—जरूरत पड़े तो लोग जिला आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम से संपर्क कर सकते हैं।

जल्दी काम आने वाली आपकी चेकलिस्ट:

  • फोन फुल चार्ज, पावर बैंक साथ रखें; जरूरी नंबर सेव करें।
  • कार/बाइक में फ्यूल रखें; टायर और ब्रेक चेक करें; अंडरपास से बचें।
  • घर में मेन स्विच/एमसीबी का लोकेशन परिवार को पता हो; पानी घुसने पर बिजली बंद करें।
  • पीने का साफ पानी, टॉर्च और फर्स्ट-एड किट तैयार रखें।
  • कचरा/पत्ते नालियों में न डालें; सोसायटी/मोहल्ले में ड्रेनेज खुला रखें।
  • बारिश में पेड़/ढीले होर्डिंग और खंभों से दूरी रखें; लाइव तार न छुएं।

यूपी मौसम फिलहाल “उच्च सतर्कता” मोड पर है—गरज-चमक के साथ भारी बारिश की कड़ी आगे भी जारी रह सकती है। जो सबसे बेहतर काम आप अभी कर सकते हैं, वह है—रोज़ाना अपडेट देखें, यात्रा से पहले रूट चेक करें और जलभराव से दूर रहें। थोड़ी सी तैयारी कई बड़ी मुश्किलों से बचाती है।