World Earth Day 2025: पृथ्वी को बचाने की जंग में हमारा सामूहिक प्रयास
अप्रैल, 21 2025
World Earth Day 2025: क्या वाकई कुछ बदल सकता है?
ऐसा कौन सा दिन है जो पूरी दुनिया को एक साथ सोचने पर मजबूर कर दे? 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला World Earth Day 2025 ऐसा ही मौका है। इस बार Earth Day का 55वां साल है, यानी आधी सदी से भी ज्यादा वक्त से अरबों लोग पृथ्वी की सलामती की बात कर रहे हैं। लेकिन असली सवाल यह है कि इतनी कोशिशों के बाद क्या वाकई कुछ बदला है?
साल 1970 में अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने एक सामान्य सी मुहिम चलाई थी, जिसे आज 192 देशों के 1 अरब से ज्यादा लोग मनाते हैं। 2025 थीम 'Our Power, Our Planet' सामने आई है, जिसमें साफ सुथरी ऊर्जा और पर्यावरण पर फोकस है, ताकि आने वाले दशक में हम क्लाइमेट चेंज को थोड़ा काबू में ला सकें। इस बार लक्ष्य बड़ा रखा गया है—यानी 2030 तक दुनियाभर में रिन्युएबल एनर्जी का उत्पादन तीन गुना बढ़ाना। सोचकर देखिए, जब बात सौर, पवन या अन्य हरित तकनीकों की हो रही हो तो इससे न सिर्फ पर्यावरण का फायदा है, बल्कि ऊर्जा संकट झेल रहे हिस्सों की भी किस्मत बदल सकती है।
ऊर्जा गरीबी और क्लीन एनर्जी का अटूट रिश्ता
आज भी धरती पर करीब 3.8 अरब लोग ऐसे हैं, जिनकी सालाना बिजली खपत 1000 यूनिट से भी कम है। इसे मॉडर्न एनर्जी मिनिमम कहा जाता है—यानि जिस मात्रा में बिजली होना चाहिए, उससे भी बहुत कम। अब जरा सोचिए, हमारे दूसरे के लिए यह आम हो सकता है, पर करोड़ों लोग अब भी अंधेरे में हैं या प्रदूषित ईंधन के भरोसे जी रहे हैं।
रिन्युएबल एनर्जी को सुलभ बनाना सिर्फ पर्यावरण बचाने की नहीं, बल्कि ऊर्जा गरीबी दूर करने की जद्दोजहद है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका जैसे बड़े देश 2035 तक 100% रिन्युएबल एनर्जी इस्तेमाल करने लगेंगे। अगर ऐसा होता है तो बाकी देशों के लिए भी मिसाल बन सकती है। साथ ही, कार्बन उत्सर्जन घटेगा और जलवायु संकट को संभाला जा सकेगा।
Earth Day सिर्फ बड़े-बड़े वादों तक सीमित नहीं है। असली बदलाव तो गांव-शहर के छोटे-छोटे अभियानों से होता है—चाहे स्कूल में पौधारोपण हो या किसी मोहल्ले का पानी बचाने का प्लान। यही वो grassroots initiatives हैं, जो दुनिया भर के सिस्टम को हिला सकते हैं।
- रिन्युएबल एनर्जी के प्रयोग में निवेश
- पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) की रक्षा
- जैव विविधता की सुरक्षा
- हर स्तर पर संसाधनों का सही और बराबर वितरण
यह दिन याद दिलाता है कि चाहे विज्ञान हो या तकनीक, हमारे पास समस्या से लड़ने के तमाम तरीके हैं। लेकिन सबसे जरूरी है कि हम एकसाथ सोचें और कदम उठाएं। क्लाइमेट चेंज हो या ऊर्जा गरीबी—असली फर्क सामूहिक प्रयास से ही पड़ेगा।
Aman Kulhara
अप्रैल 21, 2025 AT 23:42विश्व पृथ्वी दिवस का मकसद केवल एक इवेंट नहीं, बल्कि जमीनी बदलाव का शुरुआती बिंदु है।
2025 में "Our Power, Our Planet" थीम ने साफ़ ऊर्जा की दिशा में कदम बढ़ाने को ज़रूरी बना दिया।
रिन्युएबल ऊर्जा का उत्पादन तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य, यदि सही ढंग से लागू हो, तो बहुत बड़ा असर डाल सकता है।
विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ अभी भी 3.8 अरब लोग बिजली की कमी झेल रहे हैं, सोलर पैनल और पवन टर्बाइन एक वास्तविक हल हो सकते हैं।
भारत में अति‑रेणु ऊर्जा नेटवर्क का विस्तार करने से न सिर्फ कर्बन फुटप्रिंट घटेगा, बल्कि ऊर्जा की कीमत भी स्थिर रह सकेगी।
लेकिन इसके लिए सरकारी नीतियों में स्पष्ट सब्सिडी और निजी निवेश को आकर्षित करने वाले प्रोत्साहन की जरूरत है।
वित्तीय संस्थाएँ दीर्घकालिक ऋण मॉडल बना सकती हैं, जिससे छोटे किसान भी अपने खेतों में सौर ऊर्जा स्थापित कर सकें।
साथ ही, स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से तकनीकी कौशल का बुनियादी स्तर बढ़ाया जा सकता है।
ऐसा करने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और जलवायु परिवर्तन से लड़ने की सामुदायिक शक्ति भी मजबूत होगी।
प्रौद्योगिकी कंपनियों को सस्ती बैटरी समाधान विकसित करने के लिए सहयोग करना चाहिए।
इस प्रकार ऊर्जा भंडारण की समस्या का समाधान हो सकेगा, जो सौर और पवन ऊर्जा के निरंतर उपयोग को संभव बनाएगा।
ऊर्जा गरीबी को दूर करने के लिए स्थानीय ग्रिड को लचीलापन देना आवश्यक है, ताकि पावर कट्स कम हों।
स्कूल और कॉलेज में पर्यावरण शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करना, युवा पीढ़ी को जागरूक बनाता है।
छोटे पैमाने के सामुदायिक बागानों से कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन भी बढ़ेगा।
अंततः, अगर हम सभी इस दिशा में मिलकर काम करें, तो 2030 तक रिन्युएबल ऊर्जा का लक्ष्य वास्तविकता बन सकता है।
ankur Singh
अप्रैल 30, 2025 AT 02:40इसे लेकर सरकार की निष्क्रियता बर्दाश्त नहीं होती!!!!
Aditya Kulshrestha
मई 8, 2025 AT 06:30सही कहा, पर आंकड़े बताते हैं कि 2023 में भारत ने केवल 15% रिन्युएबल ऊर्जा लक्ष्य हासिल किया है, इसलिए तुरंत कार्य करना आवश्यक है :)
Sumit Raj Patni
मई 16, 2025 AT 10:20भाई, तुम सिर्फ आलोचना करते हो, पर असली समाधान में ऊर्जा के विकल्पों को अपनाने की सच्ची लहर है, चलो इस बात को जलाते हैं!
Shalini Bharwaj
मई 24, 2025 AT 14:10मैं तो कहती हूँ, अब और नहीं!
Chhaya Pal
जून 1, 2025 AT 18:00मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि छोटे-छोटे कदम बड़े बदलाव की शुरुआत होते हैं।
स्थानीय स्कूलों में पौधारोपण के साथ-साथ जल संरक्षण की महत्वता को समझाना चाहिए।
समुदाय स्तर पर सौर पैनल स्थापित करने की पहल को सरकारी समर्थन मिलना चाहिए।
जब हम सभी मिलकर लाइट्स ऑफ़ करके ऊर्जा बचाते हैं, तो कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आती है।
मैंने देखा है कि कई गांवों में सोलर लाइट्स ने महिलाओं की सुरक्षा में मदद की है।
इसके अलावा, सामुदायिक उद्यान न केवल हरियाली बढ़ाते हैं, बल्कि स्थानीय जल स्तर को भी संतुलित रखते हैं।
इसलिए, हमें इस आंदोलन को अपने दिल में बसा कर आगे बढ़ना चाहिए।
Naveen Joshi
जून 9, 2025 AT 21:50बिलकुल सही कहा, छोटे कदम ही बड़े बदलाव लाते हैं, और साथ में मुस्कुराते रहना भी ज़रूरी है।
Gaurav Bhujade
जून 18, 2025 AT 01:40ऊर्जा की कमी को दूर करने में सबको साथ चलना ही असली जीत है।
Chandrajyoti Singh
जून 26, 2025 AT 05:30आपकी बातों में गहरी समझ है; औपचारिक रूप से कहूँ तो इस दिशा में नीति निर्माण की तत्परता आवश्यक है।
Riya Patil
जुलाई 4, 2025 AT 09:20आँखों में आँसू, दिल में जले ज्वालाएँ!
naveen krishna
जुलाई 12, 2025 AT 13:10एक साथ चलेंगे तो ही आगे बढ़ेंगे।
Mariana Filgueira Risso
जुलाई 20, 2025 AT 17:00आदरणीय मंच के सहयोगियों, आपके द्वारा प्रस्तुत तथ्यों और आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद, यह स्पष्ट होता है कि रिन्युएबल ऊर्जा के विस्तार में वित्तीय प्रोत्साहनों का अभाव प्रमुख बाधा बनकर उभरा है; अतः, सरकार को तुरंत लक्षित सब्सिडी योजनाएं तैयार करनी चाहिए, ताकि निवेशकों को आकर्षित किया जा सके, और इस प्रकार राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा में सुधार हो सके।
Dinesh Kumar
जुलाई 28, 2025 AT 20:50हर छोटी पहल बड़ी बदलाव की नींव रखती है।
Hari Krishnan H
अगस्त 6, 2025 AT 00:40यार, सौर पैनल लगवाओ, बिजली का बिल घटेगा!
umesh gurung
अगस्त 14, 2025 AT 04:30समान्यतः, नीति निर्माताओं को यह समझना चाहिए कि ऊर्जा संक्रमण केवल तकनीकी पहल नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक संरचनाओं के पुनर्गठन का भी प्रश्न है; इसलिए, बहु‑स्तरीय कार्य योजना बनाकर, स्थानीय समुदायों को सक्रिय रूप से शामिल करते हुए, इस परिवर्तन को सफल बनाना आवश्यक है।
sunil kumar
अगस्त 22, 2025 AT 08:20डिस्पैचिंग, मीट्रिक, और फीड‑इन टैरिफ जैसे शब्द वर्तमान ऊर्जा नीतियों में मुख्य भूमिका निभाते हैं, जिससे मार्केट एन्गेजमेंट और कैपेसिटी बिल्डिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
prakash purohit
अगस्त 30, 2025 AT 12:10अक्सर सुना गया है कि बड़े कॉर्पोरेट्स इस बदलाव को रोकने की कोशिश करते हैं, क्योंकि वे जीवाश्म ईंधन से होने वाले मुनाफे को नहीं खोना चाहते।
Darshan M N
सितंबर 7, 2025 AT 16:00विचारों का आदान‑प्रदान ही प्रगति का मूल है।
Disha Haloi
सितंबर 15, 2025 AT 19:50हमारी धरती, हमारी जिम्मेदारी – विदेशियों को नहीं, हमें ही इसको बचाना है!