विवादों में घिरी फाफ डु प्लेसिस की रन आउट, CSK बनाम RCB मैच में तीसरे अंपायर का फैसला चर्चा में
मई, 19 2024
शनिवार को खेले गए IPL 2024 के मैच 70 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) और चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। इस रोमांचक मुकाबले में एक विवादित घटना ने सबका ध्यान खींचा, जब RCB के कप्तान फाफ डु प्लेसिस को 13वें ओवर की आखिरी गेंद पर रन आउट करार दिया गया।
यह घटना उस समय हुई जब CSK के स्पिनर मिशेल सेंटनर की गेंद पर रजत पाटीदार ने स्ट्रेट शॉट खेला और गेंद सेंटनर की उंगलियों को छूते हुए सीधे विकेट पर लगी और बेल्स गिर गए। RCB ने रन आउट की अपील की और मामला तीसरे अंपायर के पास गया।
तीसरे अंपायर माइकल गॉफ ने कई कैमरा एंगल से रिव्यू करने के बाद फाफ डु प्लेसिस को रन आउट करार दिया। हालांकि रिप्ले में साफ दिख रहा था कि डु प्लेसिस का बल्ला क्रीज़ को काफी पीछे छोड़ चुका था। लेकिन अंपायर ने माना कि बल्ला हवा में था। इस फैसले से RCB के ड्रेसिंग रूम में मायूसी देखी गई और विराट कोहली भी नाराज नज़र आए।
उस समय डु प्लेसिस 54 रन बनाकर खेल रहे थे और उनका विकेट RCB के लिए बड़ा झटका था। यह मैच प्लेऑफ की रेस के लिहाज से RCB के लिए बेहद अहम था। अगर वे CSK को 18 रनों से या 11 गेंद शेष रहते हराते हैं तो वे प्लेऑफ में जगह बना लेंगे। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो CSK प्लेऑफ में चौथी टीम के तौर पर क्वालीफाई कर जाएगी।
इस विवादित रन आउट ने एक बार फिर अंपायरिंग पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई पूर्व क्रिकेटरों और विशेषज्ञों ने इस फैसले पर हैरानी जताई है। उनका मानना है कि डु प्लेसिस का बल्ला साफ तौर पर क्रीज़ के अंदर था और उन्हें नॉट आउट दिया जाना चाहिए था।
हालांकि क्रिकेट के नियमों के मुताबिक अगर बल्ला हवा में है और क्रीज़ के ऊपर नहीं है तो बैट्समैन को आउट दिया जा सकता है। लेकिन यह फैसला लेना अंपायर के लिए चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि रिप्ले और कैमरा एंगल से यह जज करना मुश्किल होता है। ऐसे में अंपायर अपने अनुभव और समझ के हिसाब से फैसला लेता है।
डु प्लेसिस के रन आउट ने RCB की पारी पर ब्रेक लगा दिया और उनका स्कोर 3 विकेट पर 121 रन था। इसके बाद RCB की पूरी टीम 18.3 ओवर में 154 रन पर ऑल आउट हो गई। CSK ने 18 ओवर में 7 विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया और वे प्लेऑफ में पहुंच गए।
यह विवादित रन आउट IPL के इतिहास में एक और विवादित फैसला बन गया है। इससे पहले भी कई मैचों में अंपायरों के फैसलों पर सवाल उठे हैं। हालांकि इस बार का फैसला RCB के लिए बेहद महत्वपूर्ण था क्योंकि इस पर उनकी प्लेऑफ की उम्मीदें टिकी थीं।
अंपायरों का काम बेहद चुनौतीपूर्ण होता है और उन्हें कई बार तुरंत फैसला लेना पड़ता है। ऐसे में गलतियां होना स्वाभाविक है। लेकिन जब ऐसी गलतियां मैच का नतीजा प्रभावित करती हैं तो सवाल उठना लाजमी है। इससे क्रिकेट के शुद्ध स्वरूप पर भी असर पड़ता है।
निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि RCB के कप्तान फाफ डु प्लेसिस का यह विवादित रन आउट IPL 2024 के सबसे चर्चित विवादों में से एक बन गया है। इससे टीम का मनोबल तो प्रभावित हुआ ही, प्लेऑफ की उनकी उम्मीदों पर भी पानी फिर गया। आने वाले समय में ऐसे फैसलों से बचने के लिए अंपायरों को और अधिक सतर्क रहने की जरूरत होगी। साथ ही तकनीक का बेहतर इस्तेमाल कर शंकाओं को दूर किया जा सकता है। तभी खेल में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रह सकती है।
Disha Haloi
मई 19, 2024 AT 01:30भारत की गेंदबाज़ी ने इस ओवर में जज को उलझा दिया। फाफ की स्ट्राइकिंग क्षमता को देखते हुए हर बॉल को ध्यान से देखना चाहिए था। तीसरे अंपायर ने कैमरा एंगल को झुकाया और वही फैसला दिया। इस तरह के निर्णय हमारे राष्ट्रीय गर्व को धूमिल करते हैं। हमें उम्मीद है कि भविष्य में टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल होगा।
Mariana Filgueira Risso
मई 26, 2024 AT 19:54उपलब्ध रिव्यू क्लिप स्पष्ट रूप से बताता है कि बैट क्रीज़ के अंदर गिरा था। नियम के अनुसार यह नॉट आउट होना चाहिए था। अंपायरों को ऐसी स्थितियों में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
Dinesh Kumar
जून 3, 2024 AT 14:17क्रिकेट में हर सेकंड का महत्व होता है, खासकर प्लेऑफ़ के करीब। फाफ का बैट क्रीज़ के भीतर था, यह सबको सहजता से समझ में आता है। इस विवाद से टीम की मनोस्थिति पर असर जरूर पड़ा होगा। फिर भी, खिलाड़ियों को शांत रहकर खेल पर ध्यान देना चाहिए। आगे के मैचों में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए अधिक टेक्निकल सपोर्ट जरूरी है।
Hari Krishnan H
जून 11, 2024 AT 08:40देखा तो बहुत अजीब लगा, सही टाइमिंग पर आउट नहीं होना चाहिए था। रिव्यू में तो साफ दिखता है कि बैट बाहर था।
umesh gurung
जून 19, 2024 AT 03:04दुर्भाग्यवश, इस निर्णय ने तकनीकी पहलू को नजरअंदाज किया; कैमरा एंगल की कई कोऑर्डिनेट्स को सटीक रूप से देखना जरूरी था; अंपायर को फाइलिंग डिटेल्स में गहराई से जाना चाहिए था; इस तरह का निष्कर्ष भविष्य में तकनीकी नियमों को मजबूत करेगा।
sunil kumar
जून 26, 2024 AT 21:27उच्च स्तरीय डेटा एनालिटिक्स के अभाव में डिसिशन मेकिंग में गड़बड़ी हुई है। इस ओवर में बॉल ट्रैकिंग सिस्टम की खामी स्पष्ट थी। टीमों के पास भी वैकल्पिक कॉम्प्लेक्स एआई मॉडल्स थे, पर उनका उपयोग नहीं किया गया। अगली बार ऐसी तकनीकी गड़बड़ी से बचना आवश्यक है।
prakash purohit
जुलाई 4, 2024 AT 15:50वास्तव में, यह सब एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है। दांव पर बहुत बड़े पैसे हैं, इसलिए फैसले को प्रभावित करने वाले लोग मौजूद हैं। हमें सतर्क रहकर इस तरह की चालों को देखना चाहिए।
Darshan M N
जुलाई 12, 2024 AT 10:14बहुत देर से फैसला आया लेकिन सही था?
manish mishra
जुलाई 20, 2024 AT 04:37अब यही बात है! 😒 फिर भी ये अंधाधुंध फैसला नहीं होना चाहिए था।
tirumala raja sekhar adari
जुलाई 27, 2024 AT 23:00इन्हें सच में सुधार चाहिए।
abhishek singh rana
अगस्त 4, 2024 AT 17:24रविवारी मैच में एटीपी का उपयोग किया गया लेकिन सही डेटा ध्यान नहीं दिया गया। अंपायर को इस बात का बहुत् उच्च विचार रखना चाहिए। आगे से ऐसी गलतियों को रोका जा सकेगा।
Shashikiran B V
अगस्त 12, 2024 AT 11:47निर्णय का मूल कारण टॉप-लैवल कॉन्ट्रोल में छिपा हो सकता है। बहुत सारे घटक मिलकर इस तरह का परिणाम देते हैं। इसलिए हर बॉल को स्कैन करना चाहिए। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत गलती नहीं, बल्कि एक सिस्टमिक इश्यू है। इस प्रकार के केस में कई परतें जुड़ी होती हैं। हमारे लिए यह ज़रूरी है कि हम इस बात को समझें। अंततः, रिव्यू सेंटर्स को अपने एल्गोरिद्म को अपग्रेड करना होगा। अधररहित डेटा को हटाना भी आवश्यक है। फुटेज में गलती से डिटेक्टेड एरिया को फिर से वैरिफ़ाय करना चाहिए। सबको मिलकर काम करना पड़ेगा। फिर ही न्यायसंगत फैसला संभव होगा। इस कारण से, सभी स्टेकहोल्डर्स को इस पर चर्चा करनी चाहिए। आख़िरकार, खेल की शुद्धता को बचाना हमारा कर्तव्य है।
Sam Sandeep
अगस्त 20, 2024 AT 06:10इसे अनऑफ़िशियल कहा जा सकता है। तकनीकी मुद्दे बरबाद।
Ajinkya Chavan
अगस्त 28, 2024 AT 00:34हर बार यही देखना पड़ता है, अंपायर की आँखें बंद कर ली! यह बिलकुल अस्वीकार्य है।
Ashwin Ramteke
सितंबर 4, 2024 AT 18:57समर्थन की जरूरत है।
Rucha Patel
सितंबर 12, 2024 AT 13:20निर्णय में स्पष्ट पक्षपात दिखता है, जिससे खेल की निष्पक्षता पर सवाल उठता है। फाफ का बैट क्रीज़ के भीतर था, यह सबको ज्ञात है। फिर भी अंपायर ने अलग दिशा ली, जिससे टीम का मनोबल गिर गया। ऐसी परिस्थितियों में टीम को खुद को पुनः संगठित करना पड़ेगा। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि तकनीकी सहायता को पूरी तरह से लागू किया जाए। नहीं तो भविष्य में यही घटनाएँ दोहराई जा सकती हैं।
Kajal Deokar
सितंबर 20, 2024 AT 07:44सम्पूर्ण खेल में न्याय की भावना को सुदृढ़ करने हेतु, निर्णायक पथ का वैज्ञानिक विश्लेषण आवश्यक है। प्रत्येक आउट की वैधता को मल्टी-एंगल रिव्यू द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए। इससे न केवल खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि दर्शकों का भरोसा भी कायम रहेगा। इस दिशा में निवेश व तकनीकी उन्नयन अनिवार्य है। अंततः, खेल का सौंदर्य और सच्ची प्रतियोगिता बनाए रखी जा सकेगी।
Dr Chytra V Anand
सितंबर 28, 2024 AT 02:07यह मामला बारीकी से देखना आवश्यक है। पहले सिद्धांत यह है कि बैट की स्थिति क्रीज़ के भीतर होती है या नहीं। इसके बाद निर्धारित किया जाता है कि क्या वह 'हवा में' माना जायेगा। यदि नहीं, तो नॉट आउट होना चाहिए। इस प्रकार के निर्णयों में वीडियो रिव्यू का उपयोग अनिवार्य है। तकनीकी त्रुटियों से बचने के लिए सटीक माप उपकरण लगाना चाहिए। साथ ही, अंपायर को अतिरिक्त प्रशिक्षण देना चाहिए। यही कारण है कि कई देशों ने छोटा-छोटा सुधार किया है। भविष्य में इस तरह की विवादास्पद स्थितियों को न्यूनतम रखा जा सकेगा।
Deepak Mittal
अक्तूबर 5, 2024 AT 20:30सभी को पता है कि इस खेल में कई छुपे एजेंडा होते हैं। अंपायरिंग का हर फैसला पावर-इंटरेस्ट से प्रभावित हो सकता है। इस मामले में भी ऐसा ही लग रहा है, जहाँ बड़े सट्टेबाजों की भागीदारी है। इसलिए हमे न केवल टेक्निक, बल्कि पॉलिटिकल एंगल से भी यह स्थिति देखनी चाहिए। भविष्य में ऐसे निर्णयों को रोकने के लिये बोर्ड को कड़े नियम बनाने चाहिए।