विख्यात अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय का निधन: पीएम मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख का 69 वर्ष की आयु में निधन
नव॰, 1 2024बिबेक देबरॉय: एक महान आर्थिक विचारक और नेता
बिबेक देबरॉय का नाम भारतीय अर्थशास्त्र की दुनिया में एक प्रमुख स्थान रखता है। उनका योगदान न केवल भारत के आर्थिक परिदृश्य को समझने में, बल्कि उसे बेहतर बनाने में भी अपार है। उनका जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था और वे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े रहे हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता और दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकॉनॉमिक्स से पूरी की। बचपन से ही उनकी रुचि गणित और अर्थशास्त्र में थी, जिसने उन्हें इस क्षेत्र में एक विशेष स्थान दिलाया।
गणमान्य योगदान और उपलब्धियाँ
बिबेक देबरॉय ने अपने करियर की शुरुआत अध्यापक के रूप में की, लेकिन बाद में वे योजना आयोग से जुड़े और अपने आर्थिक दृष्टिकोण और विचारशीलता के लिए जाने गए। उन्होंने विभिन्न पब्लिकेशन के माध्यम से कृषि सुधार, बड़े आर्थिक योजनाओं और निजी वित्तीय नीतियों पर गंभीरता से चर्चा की। उनके विचारशील निबंध और लेख ने कई नीतिगत फैसलों का मार्गदर्शन किया है। उनकी भूमिका भारत के जीडीपी को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण रही है।
प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद में नेतृत्व
बिबेक देबरॉय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त हुए। इस भूमिका में उन्होंने भारत की आर्थिक नीतियों में सुधार करने और उन्हें अद्यतन करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका दृष्टिकोण विशेषकर बेरोजगारी को कम करने, कर सुधार, और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने में रहा। देबरॉय ने निम्न वर्ग के उत्थान की नीतियों पर विशेष ध्यान दिया और उन्होंने विभिन्न आर्थिक सुधार कार्यक्रमों की जमीन तैयार की।
भारत के लिए उनकी धरोहर
देबरॉय की मृत्यु से एक बड़े विचार शून्य का निर्माण हुआ है। उनकी सोच को रिकॉर्ड किए गए आर्थिक सुधार, वृद्धि की दरों और सामरिक विकास योजनाओं में देखा जा सकता है। उनके प्रयासों ने न केवल घरेलू क्षेत्र में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद की। देबरॉय ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि को स्थिर करने की दिशा में कई उपाय किए। उनके सुझाए गए विचार कई अन्य आर्थिक विशेषज्ञों और सलाहकारों के लिए प्रेरणा रहे हैं।
व्यवसायिक जीवन और व्यक्तित्व
उनके संग काम करने वालों ने देबरॉय को एक विद्वान और एक महान व्यक्तित्व के रूप में याद किया है। उनकी विचारशीलता और तीखी बुद्धिमानी ने उन्हें अर्थशास्त्र की दुनिया में एक अद्वितीय स्थान दिया। उनके व्यक्तित्व में एक सरलता थी, जिसने उन्हें एक आदर्श नेता और शिक्षक बनाया। देबरॉय का जीवन न केवल आर्थिक नीतियों की दिशा में, बल्कि सामाजिक कल्याण कार्यों में भी समृद्ध था। वे हमेशा नई सोच और नवाचारों के पक्षधर रहे।
उनकी पुस्तकों, लेखों और विचारों ने कई नौजवानों को प्रेरित किया है जो उनके काम को आगे बढ़ा रहे हैं। देबरॉय का नजरिया आर्थिक समस्याओं का समाधान खोजने और सकारात्मक बदलाव लाने में था। वह हमेशा कहते थे कि केवल संख्याओं और तथ्यों से आगे बढ़कर विश्लेषण और समाधान ढूंढें। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने भारत की सरकारी नीतियों को नवाचार और विचारशीलता के साथ ढाला।
बिबेक देबरॉय की याद में
उनकी याद में भारत की आर्थिक सलाहकार परिषद द्वारा एक संगोष्ठी आयोजित की जा रही है, जहां उनके योगदान को सम्मानित किया जाएगा और उनकी प्रमुख नीतियों का पुनः आकलन किया जाएगा। यह आयोजन भारत के शीर्ष आर्थिक विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं को एक मंच प्रदान करेगा जहां वे बिबेक देबरॉय के विचारों और उनके आर्थिक अनुसंधान पर चर्चा करेंगे।
उनकी मृत्यु ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि भविष्य में किस दिशा में हमें आर्थिक नीतियों को ले जाना चाहिए। बिबेक देबरॉय का योगदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा और उन्हें आर्थिक मुद्दों पर नई दृष्टिकोण प्रदान करेगा। उनके जाने के बाद भी उनकी लिखी पुस्तकें, विचारशील आलेख और नीतिगत सुझाव हमारी आर्थिक प्रणाली को निरंतर समृद्ध करते रहेंगे।