वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश, छिड़ी तीखी बहस

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश, छिड़ी तीखी बहस अग॰, 8 2024

भारत के संसदीय इतिहास में एक और अहम अध्याय जुड़ गया जब वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किया गया। इस विधेयक को प्रस्तुत करते ही सदन में बहस की लहर दौड़ गई। प्रस्तावित संशोधन वक्फ अधिनियम, 1995 में बड़े बदलाव लाने का प्रस्ताव करते हैं, जिनमें से प्रमुख हैं वक्फ बोर्डों की संरचना और कार्यप्रणाली में बदलाव।

विधेयक के मसौदे में कई अहम बदलाव सुझाए गए हैं, जिनमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों के प्रतिनिधित्व की बात भी शामिल है। वक्फ बोर्डों के सीईओ की नियुक्ति के लिए अब मुस्लिम समुदाय से होने की अनिवार्यता खत्म कर दी जाएगी। इसके अलावा, कड़ी ऑडिट और रिपोर्टिंग मानकों को लागू करने का प्रस्ताव भी है, जिससे पारदर्शिता और समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा।

इस विधेयक का एक और महत्वपूर्ण पहलू डिजिटल रिकॉर्ड-रखने पर जोर है। डिजिटल रिकॉर्ड-रखने से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और संभावित गड़बड़ियों को रोकने में मदद मिलेगी।

विपक्षी सांसदों, खासकर कांग्रेस के के.सी. वेणुगोपाल और हिबी ईडन ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है। उनका तर्क है कि यह विधेयक संपत्ति अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन का कारण बनेगा। इनके अनुसार, यह विधेयक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत संपत्ति के अधिकार और अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन करता है।

विपक्षी दलों का कहना है कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाना है, जिससे मुसलमान समुदाय के धार्मिक और सामाजिक संगठन प्रभावित हो सकते हैं। विधेयक का केंद्रीय उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का आधुनिक और पारदर्शी प्रबंधन करना है, लेकिन विपक्षी दल इसे मुसलमान समुदाय के अधिकारों और संपत्तियों में हस्तक्षेप के रूप में देख रहे हैं।

विधेयक के प्रस्तुत होने से पूर्व, इसे 6 अगस्त को लोकसभा के सदस्यों के बीच वितरित किया गया। सदन का मानसून सत्र 22 जुलाई को शुरू हुआ और 12 अगस्त को समाप्त होने वाला है। इस विधेयक की प्रस्तुति के बाद सदन में काफी हंगामे और विरोध के दृश्य देखने को मिले। विपक्षी सांसदों ने जोरदार विरोध किया और इसे पास होने से रोकने के लिए जोर आजमाइश की है।

वर्तमान स्थिति को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर लोकसभा में तीखी बहस और चर्चाएं जारी रहेंगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किस प्रकार से इस विधेयक को पारित करने के लिए सफल होती है और इसके क्या प्रभाव होते हैं।

इस पूरे मुद्दे ने देशभर में वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन के महत्व को फिर से उजागर कर दिया है। विधेयक के समर्थक इसे वक्फ संपत्तियों के अधिक पारदर्शी और प्रभावी प्रबंधन की दिशा में एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं, जबकि विरोधी इसे मुसलमान समुदाय के अधिकारों का हनन बताते हैं।

आगामी दिनों में जब इस विधेयक पर गहन समीक्षा और बहस होगी, तब पता चलेगा कि सरकार और विपक्ष के बीच किन-किन मुद्दों पर टकराव होता है और कितने महत्वपूर्ण संशोधनों के साथ यह विधेयक अंततः पारित होता है।