उत्‍तर प्रदेश में होली पर मौसम का कहर: मेरठ से लखनऊ तक बारिश और तेज हवाओं की चेतावनी

उत्‍तर प्रदेश में होली पर मौसम का कहर: मेरठ से लखनऊ तक बारिश और तेज हवाओं की चेतावनी मार्च, 17 2025

उत्‍तर प्रदेश में होली पर मौसम की गड़बड़ी

इस बार होली के रंगों पर मौसम की सर्दी का असर दिख सकता है, खासतौर पर उत्‍तर प्रदेश जैसे राज्य में जहाँ मेरठ से लेकर लखनऊ तक के इलाकों में बारिश और तेज हवाएँ चलने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग ने 14 से 15 मार्च के दौरान बारिश की संभावना जताई है, जिसके कारण होली समारोह में विघ्न पड़ सकता है।

पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के क्षेत्रों में हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है, वहीं हवाओं की गति 30 किमी/घंटा तक पहुंच सकती है। ये मौसम संबंधी समस्याएँ हिमालय पर सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्पन्न हो रही हैं, जिसने जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पहले ही बर्फबारी ला दी है।

मौसम तंत्र और उसकी गतिविधियाँ

मौसम तंत्र और उसकी गतिविधियाँ

यह मौसमी तंत्र राजस्थान में चक्रवाती परिसंचरण और बंगाल की खाड़ी में एक अन्य मौसम प्रणाली के साथ मिलकर इन विपरीत स्थितियों को और विकट बना रहा है। इनकी वजह से उत्तर भारत ठंडे और विपरीत मौसम का सामना कर रहा है, जबकि इसी समय गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से प्री-होली गर्मी से झुलस रहें हैं।

दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में हल्की बूंदाबांदी और धुंधभरी सुबह की चेतावनी है, यहाँ तापमान 15°C से 34°C के बीच थिरक रहा है। ये मौसम की घटनाएँ एक असामान्य सर्दी के विस्तार को दर्शाती हैं जो शुरुआती वसंत में भी जारी रह रही हैं। इस कारण से न केवल सभ्यता और समारोह प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि कृषि गतिविधियों पर भी इसका असर देखा जा सकता है।

17 टिप्पणि

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    prakash purohit

    मार्च 17, 2025 AT 19:20

    सरकार ने इस मौसम चेतावनी को सार्वजनिक करने से क्यों इनकार किया, यह सवाल उठता है।
    ऐसी बड़ी विफलता के पीछे कोई निहित स्वार्थ नहीं हो सकता।
    क्या आप जानते हैं कि सरकायर अपने चुनावी परिदृश्य को बिगड़ने से बचाने के लिए जानकारी छुपा रहे हैं?
    वास्तव में, इस भारी बारिश की भविष्यवाणी को दबाया गया ताकि होली की धूम न टूटे।
    भारी हवाएँ और बारिश, यह सिर्फ प्राकृतिक चक्र नहीं, बल्कि एक नियोजित व्यवधान है।
    फ़्लाइट प्लान और इवेंट की टिकिटें पहले ही ज्ञात अधिकारियों द्वारा संशोधित की गई थीं।
    संदेहिया आंकड़े बताते हैं कि ये आँकड़े स्वैच्छिक रूप से बढ़ाए गए हैं।
    पर्याप्त डेटा नहीं होने के कारण, कई वैज्ञानिकों ने भी इस विषय पर आवाज़ उठाई है।
    समुदाय के लोग इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते कि जलवायु परिवर्तन को बेचने वाले एजेंसियों के साथ क्या कनेक्शन है।
    जब तक सार्वजनिक विमर्श नहीं होगा, तब तक ऐसी नीतियां पकड़े रहेंगे।
    औद्योगिक हितधारकों की सख्त लापरवाही को बतास में घुलती हुईं ठंडक में नहीं देखा जा सकता।
    इसी कारण से, मौसम विभाग की चेतावनियों को द्वैत रूप में देखकर हमें सतर्क रहना चाहिए।
    भविष्य में यदि ऐसी घटनाएं दोहराई गई तो सार्वजनिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा।
    इसलिए, मैं सभी को आग्रह करता हूँ कि स्थानीय प्रशासन की घोषणा पर अनिश्चित रहें।
    और अंत में, यह याद रखें कि वास्तविक शक्ति अक्सर उन लोगों के हाथों में होती है जिन्हें हम गलत समझते हैं।

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    Darshan M N

    मार्च 20, 2025 AT 02:53

    होली के रंगों में बारिश के साथ भी मज़ा अभी बना रहता है।

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    manish mishra

    मार्च 22, 2025 AT 10:26

    बिलकुल नहीं 🙄, मौसम के बदलाव तो हमेशा होते हैं, लेकिन यह सब साजिश नहीं है।

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    tirumala raja sekhar adari

    मार्च 24, 2025 AT 18:00

    मैं देख रहा हूँ कि इस होली में अगर बारिश हो भी गई तो लोग फिर भी अपने रंग जमाने में लगे रहेंगे।
    दुर्लभ मौसम का सिचुएशन आमतौर पर गांवों में ज्यादा असर डालता है, लेकिन शहरों में तो यही रुतबा है।
    बारिश के साथ थोड़ी ठंड भी है, तो लोग शायद ही पारम्परिक खेलों में भाग लें।
    फिर भी, कई लोग घी के बना लड्डू बनाने की तैयारी में लगे रहेंगे।
    लेकिन यह देखना पडेगा कि क्या सरकारी एजेंसियां इस बारे में कोई सटीक जानकारी दे रही हैं।
    ज्यादातर रिपोर्ट्स में तो बस अनुमान ही होते हैं, असली डेटा तो अभी तक नहीं आया।
    अगर आप भी इस मौसम के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं तो स्थानीय समाचार चैनल देख सकते हैं।
    वहीं, कुछ किसान पहले से ही फसल बचाने के उपाय कर रहे हैं।
    हमें यह भी देखना चाहिए कि क्या इन उपायों को पर्याप्त समर्थन मिल रहा है।
    अंत में, मैं यही कहूँगा कि चाहे मौसम जैसा भी हो, होली का जश्न दिल से मनाना चाहिए।

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    abhishek singh rana

    मार्च 27, 2025 AT 01:33

    बिल्कुल सही कहा आप ने!; मौसम के बदलाव के साथ स्थानीय परिशी थाने को भी अपडेट रखना चाहिए; इसके लिए आप सरकारी मौसम विभाग की वेबसाइट देख सकते हैं; साथ ही एपीए के मोबाइल एप्लिकेशन से रीयल‑टाइम अलर्ट मिलते रहते हैं; अगर आप गाँव में हैं तो पंचायत के मुखिया से भी जानकारी ले सकते हैं; मैं अपनी राय में, तैयारी के लिए वाटरप्रूफ कपड़े और पॉलीमर छत्री रखना फायदेमंद रहेगा; यह सब मिलाकर सुरक्षित और आनंददायक होली मनाई जा सकती है।

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    Shashikiran B V

    मार्च 29, 2025 AT 09:06

    इन्हे देखो, मौसम विभाग खुद भी झँझट में है।

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    Sam Sandeep

    मार्च 31, 2025 AT 16:40

    डेटा एनोमैलीज़ की पैटर्न एनालिसिस से पता चलता है कि ये इंटेंसिटी असॉसिएटेड विथ इंटेंस थर्मल ग्रेडियंट्स है।

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    Ajinkya Chavan

    अप्रैल 3, 2025 AT 00:13

    सबको समझ में नहीं आता कि हम कितनी जल्दी इस मौसम को हल्का समझ कर खतरों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं! यकीन मानो, अगर सावधानी न बरती तो नुकसान का दोगुना असर होगा।

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    Ashwin Ramteke

    अप्रैल 5, 2025 AT 07:46

    बिलकुल सही कहा आपने, सही जानकारी और तैयारी से हम इस चुनौती को सहजता से पार कर सकते हैं।

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    Rucha Patel

    अप्रैल 7, 2025 AT 15:20

    ऐसी चेतावनियों को अक्सर बेवकूफ़ी कहा जाता है।

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    Kajal Deokar

    अप्रैल 9, 2025 AT 22:53

    आशा है कि हम सब मिलकर इस मौसम को एक अवसर के रूप में देखेंगे, जिससे होली की खुशियों में नई रंगत आएगी।

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    Dr Chytra V Anand

    अप्रैल 12, 2025 AT 06:26

    वास्तव में, इस तरह के मौसमीय उतार-चान के बारे में अधिक अध्ययन होना चाहिए ताकि भविष्य में सही निर्णय ले सकें।

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    Deepak Mittal

    अप्रैल 14, 2025 AT 14:00

    मुझे लगता है कि इस पूरे परिदृश्य में छिपे हुए आर्थिक हितों को नहीं भुलाया जा सकता; सच्चाई अक्सर उन दस्तावेजों में छिपी होती है जिन्हें जनता तक नहीं पहुंचाया जाता।

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    Neetu Neetu

    अप्रैल 16, 2025 AT 21:33

    बारिश में भी होली, कोई नहीं रोक सकता! 🌈

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    Jitendra Singh

    अप्रैल 19, 2025 AT 05:06

    हाहा! सच में, जैसे कि बारिश में रंग लगाकर सब ठीक हो जाएगा!!!

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    priya sharma

    अप्रैल 21, 2025 AT 12:40

    ध्यान देना जरूरी है कि किसानों के लिए इस मौसम में फसल का नुकसान न्यूनतम रखने हेतु उचित उपाय किए जाएँ।

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    Ankit Maurya

    अप्रैल 23, 2025 AT 20:13

    देश की समृद्धि के लिये हम सभी को अपनी धरती की रक्षा में एकजुट होना चाहिए और इस तरह की प्राकृतिक विपत्ति से बचने के उपाय अपनाने चाहिए।

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