ट्रम्प के फार्मा टैरिफ से भारतीय स्टॉक मार्केट में धक्का, Sensex गिरा 733 अंक, Nifty 24,700 से नीचे
सित॰, 27 2025
ट्रम्प के फार्मा टैरिफ का भारतीय शेयर बाजार पर सीधा असर
शुक्रवार, 26 सितम्बर 2025 को भारतीय इक्विटी बाजार ने साल का सबसे तीव्र गिरावट देखा। स्टॉक मार्केट ने लगातार छठे दिन नुकसान झेला, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ब्रांडेड व पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ लागू करने का निर्णय लिया। यह खबर भारतीय फ़ार्मा सेक्टर को बुरी तरह हिला गई, जिससे निफ्टी फ़ार्मा इंडेक्स में 2.7% की गिरावट आई। लोरस लैब्स, बायोकॉन, ज़ायडस लाइफसाइंसेज़ और नेटकॉ फ़ार्मा जैसे बड़े दवा कंपनियों के शेयर एक दिन में 5‑7% तक गिर गए।
ड्रॉप का असर कैवर्नी स्तर तक पहुँच गया। BSE Sensex 733.22 अंक गिरकर 80,426.46 पर बंद हुआ, जबकि NSE Nifty 236.15 अंक घटकर 24,654.70 पर ठहरा, यानी 24,700 के महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे। यह गिरावट सिर्फ बड़े‑कैप शेयरों में नहीं, बल्कि मिड‑कैप (Nifty Midcap 100) और स्मॉल‑कैप (Nifty Smallcap 100) में क्रमशः 2.05% और 2.26% की तेज़ गिरावट में परिलक्षित हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि हेडलाइन इंडेक्स की 1% गिरावट से कहीं अधिक नुकसान छोटे‑साइज़ के शेयरधारकों को हुआ है।
उपरोक्त गिरावट में एशियाई बाजारों का नकारात्मक मूड भी एक बड़ा कारक रहा। निकेï (Nikkei) और हांगकांग स्टॉक एक्सचेंज ने क्रमशः 0.9% और समान स्तर पर गिरावट दर्ज की, जिससे अंतरराष्ट्रीय पैसों के बहिर्वाह में वृद्धि हुई। FIIs (Foreign Institutional Investors) ने लगातार बेचने की लहर दोहराई, जो भारतीय शेयरों की कीमतों को नीचे धकेलता रहा।
भविष्य की दिशा और निवेशकों के लिए सिफ़ारिशें
तकनीकी विश्लेषकों ने Nifty के चार्ट में कई चेतावनी संकेत देखे। 61.8% फ़िबोनैची रिट्रेसमेंट (24,807) और 100‑दिन EMA (24,747) का टूटना प्रमुख सपोर्ट ज़ोन को कमजोर कर रहा है। RSI 40 से नीचे गिरकर मंदी की संभावना को दर्शा रहा है, जबकि ADX में DI‑ लाइन का DI+ को पार करना बेयरिश दबाव को पुष्टि करता है। बोलींज़र बैंड की मध्य रेखा से नीचे की गति भी विक्रेताओं की पकड़ को मजबूत बताती है।
विश्लेषकों का मानना है कि Nifty को 24,450‑24,500 के स्तर पर समर्थन मिल सकता है। यदि यह स्तर टूटता है तो आगे की गिरावट 24,200 तक जा सकती है। उल्टे पक्ष में 24,850‑24,900 का रेज़िस्टेंस ज़ोन संभावित पुनरुत्थान का संकेत दे सकता है, परंतु उसे हासिल करने के लिए मौजूदा दबाव को घटाना आवश्यक है।
पिछले सप्ताह की गिरावट ने निवेशकों को पोर्टफोलियो विविधीकरण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में समान निवेश से सुरक्षा नहीं मिलती, विशेषकर जब छोटे‑कैप और मिड‑कैप कंपनियां दोहरे अंक में गिरती हैं। कई विशेषज्ञों ने सोना‑चाँदी, सरकारी बॉन्ड और अंतरराष्ट्रीय फिक्स्ड इनकम को non‑correlated एसेट क्लास के रूप में अपनाने की सलाह दी। 2025 में घरेलू सोने की कीमत में 47% और चाँदी में 58% की वृद्धि हुई है, जो संकट के समय में पूंजी को बचाने में मदद कर रही है।
आगे देखते हुए, यदि यू.एस. में फार्मा टैरिफ नीति में कोई बदलाव नहीं आता, या वैश्विक आर्थिक कमजोरियों में वृद्धि होती है, तो भारतीय बाज़ार में अल्पकालिक उथल‑पुथल जारी रह सकती है। निवेशकों को अपनी जोखिम प्रोफ़ाइल के अनुसार एसेट अलोकेशन पर पुनर्विचार करना और तकनीकी समर्थन‑रेजिस्टेंस स्तरों का लगातार निगरानी रखना चाहिए।
tirumala raja sekhar adari
सितंबर 27, 2025 AT 00:26इतनी बड़ी गिरावट, बाजार की बकवस देखी ही नहीं।
abhishek singh rana
सितंबर 30, 2025 AT 11:46पहले तो यह समझना जरूरी है कि ट्रम्प की टैरिफ नीति का असर सिर्फ फार्मा सेक्टर तक ही सीमित नहीं रहा।
ऐसी नीति वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करती है, जिससे विदेशी उत्पादन की लागत बढ़ जाती है।
भारत में फार्मा कंपनियों का बड़ा हिस्सा कच्चे माल और एक्टिव फॉर्म्यूलाओं को आयातित करती हैं, इसलिए यह टैरेफ सीधे इन कंपनियों के मार्जिन को खा जाता है।
निवेशकों को इस परिदृश्य में पोर्टफोलियो की संरचना पुनः जांचनी चाहिए, विशेषकर बड़े‑कैप फार्मा शेयरों की बजाय अधिक स्थिर सेक्टरों की ओर।
उदाहरण के तौर पर, उपभोक्ता स्टेपल्स जैसे FMCG या डिफेंस जैसी बैकलॉग वाले क्षेत्र में पूँजी लगाना सुरक्षित विकल्प हो सकता है।
इसके साथ ही, गोल्ड और सरकारी बॉन्ड्स को एसेट एलोकेशन के हिस्से के रूप में रखना जोखिम कम करता है।
ट्रेडिंग में रोटेशन की संभावना है, इसलिए अल्पकालिक ट्रेडर्स को टॉप‑लेवल इंडेक्स की सपोर्ट‑रेजिस्टेंस पर नज़र रखनी चाहिए।
यदि Nifty 24,500 के स्तर को बना रहता है, तो यह एक संभावित बेस बन सकता है और अल्पकालिक उदारता की ओर इशारा कर सकता है।
विपरीत केस में, अगर 24,450 के नीचे टूटता है, तो रक्षात्मक स्टॉक्स जैसे यूटा‑फ़ार्मा, एटिया ग्रुप में खरीदारी करनी चाहिए।
भविष्य में यदि टैरिफ को रद्द किया जाता है या कोई माइलस्टोन आता है, तो फार्मा शेयरों में तेज़ी से रिवर्सल देखी जा सकती है।
इसलिए तकनीकी चार्ट को देखते समय, 61.8% फ़िबोनैची और 100‑दिन EMA को ध्यान में रखना न भूलें।
मॉमेंटम इंडिकेटर्स जैसे MACD और Stochastic भी इस क्षण में सहायक हो सकते हैं।
पर्याप्त तरलता रखें, क्योंकि अत्यधिक लीवरेज इस वोलैटिलिटी में नुकसान का कारण बन सकता है।
अंत में, दीर्घकालिक निवेशकों को अपने लक्ष्य अवधि और जोखिम प्रोफ़ाइल के अनुसार एसेट अलोकेशन का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए।
सारांश में, धैर्य रखें, विविधीकरण पर ध्यान दें, और बाजार की सूचनाओं को निरन्तर फॉलो करें!!
Shashikiran B V
अक्तूबर 3, 2025 AT 23:06ट्रम्प की टैरिफ पीछे छिपे बड़े एलिट समूह की प्लान का हिस्सा लगती है, जो विश्व के फ़ार्मा दानों पर हक जमाना चाहते हैं।
वे न सिर्फ दवाओं की कीमत बढ़ा रहे हैं, बल्कि वैक्सीन की आपूर्ति को भी नियंत्रित कर रहे हैं ताकि उनके निजी रेज़र्व को मोना‑ला बना सकें।
ऐसे कदम से अंतरराष्ट्रीय शक्ति संतुलन बिगड़ता है, और भारत जैसे उभरते बाजार को काबू में लेता है।
हमारी मौद्रिक नीति भी इस बड़ी चक्र में घूसी हुई है, इसलिए निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए।
सच ही संकट का इशारा है, परंतु जागरूकता से बचा जा सकता है।
Sam Sandeep
अक्तूबर 7, 2025 AT 10:26फार्मा टैरेफ एंटी‑साइक्लिक स्टॉक्स के बर्न रेट को एक्सपोज़ करता है, बायो‑बेस्ड असेट क्लासेज़ में टेंशन स्पाइक स्पष्ट है
Ajinkya Chavan
अक्तूबर 10, 2025 AT 21:46देखो, इस बकवास को मत सुन, असली समाधान है पोर्टफोलियो को एग्रो‑फंड्स व टॉप‑टियर बैंकिंग एसेट्स में रीबैलेंस करना, इस तरह ही बायो‑टिकिट्स की नकारात्मक एक्सपोज़र कम होगी।
इसी से रिटर्न स्थिर रहेगा और मार्केट की अनिश्चितता का प्रभाव घटेगा।
ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहिए, सिर्फ सुरक्षित हेजिंग ऑप्शन चुनें।
अगर आप अभी भी इन्फ्लेशन‑ड्रिवेन शेयरों को पकड़ेंगे तो नुकसान बढ़ेगा।
Ashwin Ramteke
अक्तूबर 14, 2025 AT 09:06सामान्य तौर पर, मार्केट के ये उतार‑चढ़ाव अस्थायी होते हैं, इसलिए तनाव कम करके दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखना बेहतर है।
यदि आप एसेट अलोकेशन को संतुलित रखते हैं, तो पॉजिटिव रिटर्न की संभावना बनी रहेगी।