तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में 30 नवंबर तक भारी बारिश की चेतावनी, सामूहिक मौसम प्रणालियाँ चक्रवात बन सकती हैं
नव॰, 24 2025
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 24 नवंबर, 2025 को जारी किया गया चेतावनी पत्र देश के दक्षिणी और पूर्वी भागों में अगले सात दिनों तक भारी से अति भारी बारिश की भविष्यवाणी करते हुए जनता को तैयार रहने की अपील की है। तमिलनाडु, केरल, लक्षद्वीप, तटीय आंध्र प्रदेश और अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में 24 से 30 नवंबर तक बारिश का दौर जारी रहेगा, जिसके बीच कुछ स्थानों पर एक दिन में 21 सेमी से अधिक बारिश हो सकती है। यह सिर्फ एक बारिश का मौसम नहीं, बल्कि तीन अलग-अलग मौसम प्रणालियों का एक साथ तीव्र होना है, जिनका आपसी प्रभाव एक चक्रवात के रूप में दक्षिण बंगाल की खाड़ी में विकास की संभावना बढ़ा रहा है।
तमिलनाडु में बारिश का चक्र: जिलों का अलग-अलग नक्शा
तमिलनाडु इस बारिश के केंद्र में है। 24 नवंबर को ही चार स्थानों पर अति भारी बारिश (21 सेमी से अधिक) दर्ज की गई, 15 स्थानों पर भारी और 76 स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश हुई। अगले दिनों में यह तीव्रता बढ़ेगी। 25 नवंबर को कन्याकुमारी, तिरुनेलवेली, तूतीकोरिण और रामनाथपुरम में भारी बारिश की संभावना है। 26 नवंबर को इस लिस्ट में सात और जिले शामिल हो जाएंगे। 27 नवंबर को तूतीकोरिण, तिरुनेलवेली, तंजावुर, तिरुवरूर और नागपट्टिनम में बारिश और भी तीव्र होगी। राज्य के कई हिल इलाकों में टेंकासी और तिरुनेलवेली के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किए गए हैं।
28 नवंबर को तंजावुर, तिरुवरूर और नागपट्टिनम के लिए भी ऑरेंज अलर्ट जारी है। और फिर 29 नवंबर को उत्तरी तटीय जिलों में सात जिलों में भारी बारिश की उम्मीद है। 30 नवंबर को तटीय आंध्र प्रदेश और यानम में अति भारी बारिश का अंतिम झोंका आएगा। यह लगातार बढ़ती बारिश की लहर अब एक बारिश के चक्र की तरह है, जो एक जिले से दूसरे जिले में आगे बढ़ रही है।
चक्रवात का खतरा: तीन प्रणालियों का खेल
मौसम विशेषज्ञ अमुधा के अनुसार, "इन प्रणालियों के बीच बातचीत हो रही है, जिससे उनकी गति और तीव्रता प्रभावित हो रही है।" ये तीन प्रणालियाँ — एक दक्षिणी अरब सागर में, एक बंगाल की खाड़ी में और एक लक्षद्वीप के पास — एक दूसरे को अपनी ओर खींच रही हैं। अगर ये एक साथ जुड़ जाएँ, तो दक्षिण बंगाल की खाड़ी में 48 घंटों के भीतर एक चक्रवात बन सकता है। यह एक ऐसा संकट है जिसकी तुलना 2023 के साइक्लोन फानी से की जा सकती है, लेकिन इस बार तीव्रता और विस्तार अधिक है।
IMD के अनुसार, तमिलनाडु में 24 से 28 नवंबर तक बिजली के साथ तूफान और 40-50 किमी/घंटा की तेज हवाएँ आने की संभावना है। केरल और माहे में 24 से 26 नवंबर तक ऐसा ही खतरा बना रहेगा। अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में 26 से 28 नवंबर तक अति भारी बारिश और तूफानी हवाएँ आने की भविष्यवाणी है। ये सभी क्षेत्र एक दूसरे से जुड़े हुए हैं — एक जगह की बारिश दूसरी जगह के बादलों को भी प्रभावित कर रही है।
केरल, लक्षद्वीप और आंध्र प्रदेश: अन्य जोखिम वाले क्षेत्र
केरल में 24 से 26 नवंबर तक भारी बारिश की उम्मीद है, जिसमें माहे और लक्षद्वीप भी शामिल हैं। लक्षद्वीप में 24 नवंबर को ही अति भारी बारिश के आँकड़े आ चुके हैं। यहाँ के तटीय गाँव और रिसॉर्ट्स पर बाढ़ का खतरा है।
तटीय आंध्र प्रदेश और यानम में 24 नवंबर को हल्की से मध्यम बारिश हुई, लेकिन 30 नवंबर को वहाँ भी अति भारी बारिश की भविष्यवाणी है। यह अंतिम झोंका उस क्षेत्र के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है, क्योंकि वहाँ के निवासी पहले से ही बारिश के बाद नुकसान से उबर रहे हैं।
अंडमान निकोबार: एक अलग खतरा
अंडमान निकोबार द्वीपसमूह का मामला अलग है। यहाँ बारिश के साथ-साथ बिजली के साथ तूफान और 40-50 किमी/घंटा की तेज हवाएँ आने की संभावना है। 25 और 26 नवंबर को भी तूफानी मौसम जारी रहेगा। यहाँ के टूरिस्ट रिसॉर्ट्स, रिसर्च स्टेशन और द्वीपीय समुदाय बहुत ज्यादा नाजुक हैं। यहाँ के अधिकारी ने तुरंत आपातकालीन तैयारियाँ शुरू कर दी हैं।
क्यों यह बारिश खतरनाक है?
इस बारिश की विशेषता यह है कि यह लगातार और विस्तृत है। एक दिन की बारिश नहीं, बल्कि सात दिनों तक लगातार बारिश। इससे जमीन भीग जाती है, नालियाँ भर जाती हैं और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, तेज हवाएँ और बिजली के साथ तूफान न केवल घरों को नुकसान पहुँचाते हैं, बल्कि बिजली के खंभे, ट्रेनों और राजमार्गों को भी नुकसान पहुँचाते हैं।
2023 में तमिलनाडु में भारी बारिश के दौरान 12 लोगों की मौत हो गई थी। इस बार चेतावनी ज्यादा तेज है। अगर ये तीन प्रणालियाँ चक्रवात बन जाती हैं, तो यह दक्षिण भारत के लिए एक बड़ी आपदा बन सकती है।
अगले कदम: क्या अब होगा?
IMD ने कहा है कि अगले 48 घंटों में बंगाल की खाड़ी में कोई चक्रवात बनने की संभावना 65% है। अगर ऐसा होता है, तो राज्य सरकारें आपातकाल घोषित कर सकती हैं। अभी तक तमिलनाडु और केरल की सरकारें ने आपातकालीन टीमों को सक्रिय कर दिया है। अस्पताल, बचाव टीम और आपूर्ति श्रृंखलाएँ तैयार हैं।
अगले दो दिनों में जिन जिलों में ऑरेंज अलर्ट हैं, उनके लोगों को घरों में रहने की सलाह दी गई है। अगर आप तटीय क्षेत्र में रहते हैं, तो ऊँचे स्थान पर जाने की तैयारी कर लें। बारिश के बाद नदियाँ बाढ़ की स्थिति में आ सकती हैं।
बारिश का इतिहास: क्या यह असामान्य है?
तमिलनाडु में नॉर्थईस्ट मॉनसून के दौरान भारी बारिश आम बात है। लेकिन इस बार कुछ अलग है। इस साल नॉर्थईस्ट मॉनसून की शुरुआत पहले से ही तेज थी। इसके अलावा, अरब सागर में एक अन्य निम्न दबाव क्षेत्र भी बन रहा है। यह दोनों प्रणालियाँ एक दूसरे को बढ़ावा दे रही हैं।
पिछले 10 सालों में यह पहली बार है जब तीन मौसम प्रणालियाँ एक साथ तीव्र हो रही हैं। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का संकेत हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब बंगाल की खाड़ी में चक्रवात बनने की आवृत्ति बढ़ रही है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस बारिश से तमिलनाडु के गाँव कैसे प्रभावित होंगे?
तमिलनाडु के 15 से अधिक जिलों में भारी बारिश से खेतों को नुकसान हो सकता है। खासकर तिरुनेलवेली और तूतीकोरिण में धान और गन्ने की फसलें डूब सकती हैं। राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपये की आपातकालीन राहत योजना घोषित की है, लेकिन दूरगामी गाँवों तक पहुँचने में देरी हो सकती है।
क्या अंडमान निकोबार के लोगों के लिए खतरा अधिक है?
हाँ, क्योंकि ये द्वीप बहुत छोटे हैं और बाढ़ से बचने के लिए ऊँचे स्थान बहुत कम हैं। 2004 के सुनामी के बाद से यहाँ की बुनियादी ढांचा सुधारा गया है, लेकिन अगर चक्रवात बन गया, तो 20,000 से अधिक लोग प्रभावित हो सकते हैं। अभी तक द्वीपों पर 300 से अधिक आपातकालीन शिफ्ट बनाए गए हैं।
क्या यह चक्रवात दिल्ली या उत्तर भारत को प्रभावित करेगा?
नहीं, यह चक्रवात दक्षिण भारत तक ही सीमित रहने की संभावना है। लेकिन अगर यह उत्तर की ओर बढ़ता है, तो ओडिशा और पश्चिम बंगाल में बारिश बढ़ सकती है। अभी तक कोई ऐसी भविष्यवाणी नहीं है।
बारिश के बाद क्या खतरे हो सकते हैं?
बारिश के बाद पानी के दौरान बीमारियाँ फैल सकती हैं। टाइफॉइड, डेंगू और लेप्टोस्पाइरोसिस के मामले बढ़ सकते हैं। अस्पतालों में दवाइयाँ और स्वच्छ पानी की आपूर्ति तैयार की जा रही है। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य टीमों को जिलों में भेजना शुरू कर दिया है।
इस बारिश के लिए क्या कारण हैं?
यह तीन मौसम प्रणालियों का संयोग है — नॉर्थईस्ट मॉनसून, अरब सागर में निम्न दबाव और बंगाल की खाड़ी में एक अन्य तूफानी प्रणाली। जलवायु परिवर्तन के कारण ये प्रणालियाँ अधिक तीव्र और अधिक बार हो रही हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले 10 साल में ऐसी घटनाएँ दोगुनी हो सकती हैं।
क्या आपातकालीन सेवाएँ तैयार हैं?
हाँ, तमिलनाडु और केरल में आपातकालीन टीमें सक्रिय हैं। नौसेना, अग्निशमन दल और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की 12 टीमें तैनात हैं। 500 से अधिक बचाव नावें तैयार हैं। लेकिन अगर चक्रवात बन गया, तो इनकी क्षमता पर भारी दबाव पड़ सकता है।