सुपर ओवर में ओमान की ऐतिहासिक जीत: जतिंदर सिंह की सेंचुरी और फिनिशिंग से USA पर बाजी

266-266 का टाई, फिर सुपर ओवर में फैसला: ओमान ने USA को चौंकाया
लाॅडरहिल के सेंट्रल ब्रॉवर्ड पार्क में जो हुआ, उसे आप क्लासिक वन-डे कहेंगे। 50 ओवरों के बाद दोनों टीमें 266-266 पर बराबर, और फिर एक सांस रोक देने वाला सुपर ओवर—जहां ओमान ने अमेरिका को एक गेंद शेष रहते मात दे दी। कहानी का नायक एक ही रहा: कप्तान जतिंदर सिंह। पहले 101 गेंदों पर ठोस 100, फिर दबाव भरे पल में तीन गेंदों में 12 रन मारकर मुकाबला खत्म।
टॉस USA के कप्तान मोनंक पटेल ने जीता और ओमान को बल्लेबाजी दी। पिच सपाट दिखी, लेकिन नई गेंद थोड़ी हिल रही थी। ओमान ने शुरू में जोखिम नहीं लिया, स्ट्राइक रोटेशन पर फोकस रहा। इसी दौरान जतिंदर ने एंकर की भूमिका निभाई—कवर ड्राइव, पुश शॉट्स और विकेट के बीच तेज दौड़। वे 41वें ओवर में आउट हुए, तब तक टीम 266 तक पहुंचने की हालत में थी। स्कोरबोर्ड पर वे 100 (101) के साथ थे—गति और ठहराव का सही संतुलन।
ओमान की पारी का टेम्पो बीच के ओवरों में लगातार बना रहा। विकेट हाथ में थे, इसलिए आखिरी 10 ओवरों में वे रनों की रफ्तार बढ़ा पाए। अमेरिका ने बीच-बीच में डॉट बॉल्स से दबाव बनाने की कोशिश की, पर खराब गेंदों पर सजाया गया स्ट्राइक-रोटेशन इस गैप को भरता रहा। 266 इस पिच पर “मुकाबले वाला” स्कोर था—न बहुत बड़ा, न छोटा।
लक्ष्य का पीछा करते हुए USA ने गेम को क्लासिक तरीके से पकड़ा—पहले पावरप्ले में जोखिम कम, फिर पार्टनरशिप्स से आगे बढ़ो। साइटेजा मुक्कामल्ला ने 46 रन बनाकर बारीकी से खेला। इसके बाद मिलिंद कुमार ने 65 गेंदों पर 68 की तेज लेकिन समझदार पारी खेली, जिसमें दो चौके और चार छक्के शामिल रहे। दोनों ने 12 ओवर में 67 रन जोड़े और यहीं से USA की उम्मीदें खड़ी हुईं।
फिर मैच ने वो मोड़ लिया जो वन-डे क्रिकेट को यादगार बनाता है—विकेट गिरते गए, रन-रेट चढ़ता गया। आखिरी 5 ओवरों में समीकरण टाइट होता गया। फील्डिंग सर्कल के बाहर ओमान ने लंबी बाउंड्री का फायदा उठाया, कट-ऑफ फील्डिंग शानदार रही। लेकिन आखिरी ओवर बाकी था और USA को 17 चाहिए थे।
जसदीप सिंह ने यहां स्क्रिप्ट पलट दी। आखिरी ओवर में उन्होंने 17 रन बटोरे और मुकाबला टाई करा दिया। स्किड होती गेंद, सीधे बैट का पथ और स्क्वेयर के इर्द-गिर्द गेप्स—उन्होंने हर मौके का फायदा उठाया। ओमान का बॉडी लैंग्वेज डगमगाया, लेकिन सिर्फ उतने समय के लिए जितना टाई दर्ज होने में लगा। असली टेस्ट तो आगे था।
सुपर ओवर में USA ने हरमीत सिंह और आंद्रिस गाउस को भेजा। ओमान के बॉलर्स ने लेंथ को आखिरी तक कंट्रोल में रखा। केवल एक चौका निकला और स्कोर 13 पर रुका—प्रतिस्पर्धी, पर जीत के लिए असाधारण नहीं। लक्ष्य दिखने में छोटा था, फिर भी दबाव बड़ा। T20 टेम्पलेट वन-डे के बाद अचानक दिमाग पर हावी होता है—और यहीं नेता की नसें परखी जाती हैं।
ओमान की तरफ से जतिंदर फिर स्ट्राइक पर। पहली तीन गेंदों में 12 रन—ज्यादा सोच-विचार नहीं, बस गैप और बल्ले का पूर्ण फेस। चौथी-पांचवीं गेंद पर जोखिम घटाया गया और जीत एक गेंद पहले सुरक्षित कर ली गई। मैदान पर खड़े ओमान के खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज बता रही थी कि यह सिर्फ दो अंक नहीं, बल्कि ड्रेसिंग रूम के आत्मविश्वास का इंजेक्शन है।

प्वाइंट्स टेबल, संदर्भ और सबक: लीग 2 में तस्वीर बदली
इस जीत का असर सीधे प्वाइंट्स टेबल पर दिखा। ओमान स्कॉटलैंड को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर पहुंचा, जबकि USA 24 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर बना रहा—नेतृत्व कर रहे नीदरलैंड से सिर्फ दो अंक पीछे। लीग 2 का यही तो रोमांच है: हर मैच क्वालिफिकेशन की गणित बदल देता है, और 2027 विश्व कप का रास्ता इसी स्थिर-संगत प्रदर्शन से बनता है।
लाॅडरहिल का यह मैदान अमेरिकी क्रिकेट के उभार का प्रतीक बन चुका है। सीमित ओवरों में यहां बल्लेबाजी को मदद मिलती है, पर शाम की ओर गेंद स्किड भी करती है—यानी गलत लेंथ की सजा मिलती है और सही लेंथ पर नियंत्रण रखने वाले गेंदबाज ही मैच में रहते हैं। USA ने 100 ओवरों के मैच में अधिकांश समय अच्छा कंट्रोल रखा, लेकिन डेथ ओवर्स में उनकी योजनाओं में थोड़ी ढील नजर आई—खासकर बाउंड्री-राइडर्स की पोजिशनिंग और धीमी गेंद की वैरायटी में।
ओमान के लिए सबसे बड़ा पॉजिटिव जतिंदर का क्लास और शांत दिमाग रहा। एंकरिंग और फिनिशिंग का यह दुर्लभ कॉम्बिनेशन असोसिएट क्रिकेट में बड़ा फर्क डालता है। बीच के ओवरों में उन्होंने सिंगल-डबल निकालकर बॉलर्स को थकाया और जब मौका मिला तो शॉट्स खोले। यह पारी सिर्फ 100 रन नहीं, टीम के टेम्पो कंट्रोल का ब्लूप्रिंट थी।
USA के लिए मिलिंद कुमार की पारी उतनी ही अहम रही। रन-ए-बॉल से थोड़ा तेज, लेकिन शॉट-सेलेक्शन के साथ। उन्होंने स्पिन के खिलाफ स्वीप-रिवर्स स्वीप का जोखिम कम लिया, ज्यादातर सीधे बैट से खेला और बॉलर्स को उनके स्पेल के चौथे-पांचवें ओवर में निशाना बनाया। यह स्मार्ट बल्लेबाजी थी, जो टीमों को अक्सर 260-275 जैसे टारगेट तक स्थिर रखती है।
मैच के दौरान फील्डिंग का फर्क भी दिखा। ओमान ने गहरे में कैचिंग पोजिशन सही रखीं—लांग-ऑफ से थोड़ा चौड़ा, डीप मिडविकेट पर फील्डर बाउंड्री और सर्कल के बीच। इससे गलत हिट्स पर सिर्फ सिंगल ही मिला। दूसरी तरफ USA ने कुछ आधे मौके छोड़े—बिल्कुल ड्रॉप नहीं, पर ऐसी गेंदें जो अगर हाथ में ठहरतीं तो रन-रेट दबाया जा सकता था।
डेथ ओवर्स की रणनीति पर भी बात जरूरी है। USA के बॉलर्स ने यॉर्कर और हार्ड लेंथ के बीच स्विच किया, पर पैटर्न पढ़ लिया गया। ऐसे में स्लोअर बाउंसर और ऑफ-कटर की लाइन बाहर रखकर बल्लेबाज को ऑफ-साइड की लंबी बाउंड्री खेलने पर मजबूर करना बेहतर विकल्प था। ओमान ने वहीं काम किया—आखिरी ओवरों में ऑफ-स्टंप के बाहर टेम्पो तोड़ा और गलत शॉट को प्रेरित किया।
जतिंदर की कप्तानी की बात करें तो फील्ड सेटिंग सरल पर असरदार रही। पार्ट-टाइम स्पिन को छोटे स्पेल में लाना, पॉवरप्ले के बाद दो ओवर तेज गेंदबाजों से और फिर बाएं-दाएं हाथ के कॉम्बिनेशन के मुताबिक लाइन बदलना—ये सब छोटे-छोटे फैसले थे जो बड़े असर में बदले। सुपर ओवर में खुद आगे आना भी इसी मानसिकता का हिस्सा था—जिम्मेदारी लो, और वहीं खत्म करो।
लीग 2 का व्यापक संदर्भ भी यहां अहम है। यह प्लेटफॉर्म असोसिएट देशों को मजबूत विरोधियों के खिलाफ नियमित, प्रतिस्पर्धी मैच देता है—यहीं से बल्लेबाजी की गहराई, गेंदबाजी की बेंच और मैच-फिनिशिंग की आदत बनती है। USA का बेस अब पहले से चौड़ा है—गाउस, हरमीत, मिलिंद जैसे नाम मैच-विनर बनने की कगार पर हैं। ओमान के पास भी ठोस कोर है, जो साल-दो साल में लगातार सुधार दिखा रहा है।
अब आगे क्या? ओमान का अगला मुकाबला इसी मैदान पर शुक्रवार को कनाडा से है। ताज़ा जीत की ऊर्जा उनके साथ होगी और प्वाइंट्स टेबल पर ऊपर खिसकने का मौका भी। ऐसे में बल्लेबाजी की यह एंकर-फिनिशर मॉडल फिर काम आए तो हैरानी नहीं होगी। USA के लिए सीख साफ है—डेथ ओवर्स की बॉलिंग योजनाओं पर और तेज काम, और बीच के ओवरों में स्ट्राइक-रोटेशन रोकने के लिए इनर-रिंग फील्डरों की पोजिशनिंग सटीक करना।
मैच ने एक और चीज साफ की—असोसिएट क्रिकेट का स्तर अब “एकतरफा” नहीं रहा। आखिरी ओवर में 17 चाहिए और हो भी जाएं, उसके बाद भी कहानी खत्म नहीं होती। टेम्परामेंट, छोटी-छोटी रणनीतियां और फील्डिंग के 10-12 माइक्रो मोमेंट्स—यही फर्क बनाते हैं। ओमान ने यही किया: पहले 100 ओवरों में खेल को पकड़कर रखा, और जब गेम कुछ गेंदों में सिमटा, तो सबसे शांत दिमाग वाले आदमी को स्ट्राइक दी। नतीजा—दो अंक, बड़ी छलांग, और एक यादगार रात।
- टर्निंग पॉइंट 1: जतिंदर सिंह की 100 (101)—एंकरिंग + टेम्पो कंट्रोल।
- टर्निंग पॉइंट 2: मिलिंद कुमार की 68 (65)—चेज़ को गहराई मिली।
- टर्निंग पॉइंट 3: USA को आखिरी ओवर में 17 चाहिए थे—जसदीप ने बना दिए, मैच टाई।
- टर्निंग पॉइंट 4: USA का सुपर ओवर 13 पर थमा—सिर्फ एक बाउंड्री।
- टर्निंग पॉइंट 5: जतिंदर का सुपर ओवर फिनिश—पहली तीन गेंदों में 12, जीत सुनिश्चित।
लाॅडरहिल की शाम से निकलती एक बड़ी बात यह भी है कि जिन टीमों को हम “डार्क हॉर्स” कहते हैं, वे अब “कंटेंडर” बन रही हैं। और हां, कभी-कभी एक खिलाड़ी का दिन इतना बड़ा हो जाता है कि पूरी प्वाइंट्स टेबल हिल जाती है। इस रात वह खिलाड़ी जतिंदर सिंह थे।