शर्दूल ठाकुर ने सरफराज खान का समर्थन किया, कहा—भारत ए के बिना भी टेस्ट टीम में वापसी संभव

शर्दूल ठाकुर ने सरफराज खान का समर्थन किया, कहा—भारत ए के बिना भी टेस्ट टीम में वापसी संभव दिस॰, 3 2025

जब शर्दूल ठाकुर ने 24 अक्टूबर, 2025 को मुंबई के दूसरे रणजी ट्रॉफी मैच से पहले मीडिया से बातचीत में कहा कि सरफराज खान को भारत ए के बिना भी टेस्ट टीम में वापसी का रास्ता मिल सकता है, तो भारतीय क्रिकेट चयन समिति के फैसले पर सवाल उठने लगे। ये बयान न सिर्फ एक टीम कप्तान का समर्थन था—ये एक ऐसे खिलाड़ी के प्रति लगातार अनदेखा किए जाने के खिलाफ एक आवाज़ थी, जिसने रणजी ट्रॉफी में अपनी जगह बना ली है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभी तक अपनी बारी नहीं पा पाया।

क्यों नहीं मिल रहा भारत ए का मौका?

सरफराज खान को अगले हफ्ते शुरू होने वाले दक्षिण अफ्रीका ए के खिलाफ अनौपचारिक टेस्ट सीरीज के लिए भारत ए की सूची में शामिल नहीं किया गया। ये उनका तीसरा लगातार अनदेखा है—2024 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्हें अनुपयोगी खिलाड़ी के रूप में रखा गया था, और उसके बाद भारत की टेस्ट टीम में कभी भी वापसी नहीं मिली। इसके बावजूद, सरफराज ने 2021-22 रणजी ट्रॉफी में 9 इनिंग्स में 982 रन बनाए, औसत 122.75 के साथ चार शतक और 275 का सर्वाधिक स्कोर। ये प्रदर्शन उन्हें उस सीजन का सर्वाधिक रन बनाने वाला खिलाड़ी बना दिया।

यहां तक कि 2023-24 में इंग्लैंड के खिलाफ अपने टेस्ट डेब्यू के बाद भी उन्हें भारत के लिए अगले दो साल तक कोई अवसर नहीं मिला। चयन समिति का तर्क है कि भारत ए के माध्यम से खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय गति और दबाव के लिए तैयार किया जाता है। लेकिन शर्दूल ठाकुर ने इस तर्क को उलट दिया।

"उसे भारत ए की जरूरत नहीं, बस रणजी में रन चाहिए"

"अब भारत ए के लिए वो लड़कों को देखा जाता है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए तैयार किया जा रहा हो। मुझे लगता है, सरफराज को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के लिए भारत ए का मैच नहीं चाहिए। अगर वो फिर से रन बनाने लगे, तो सीधे टेस्ट सीरीज में शामिल हो सकता है," ठाकुर ने The Indian Express को बताया।

ठाकुर खुद भी इस रास्ते से गुजर चुके हैं। उन्होंने 2023-24 में इंग्लैंड के खिलाफ दो टेस्ट खेले, लेकिन उसके बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ दो मैचों के लिए बाहर हो गए। उनका कहना है कि जब आपका रणजी ट्रॉफी का प्रदर्शन बेहतर होता है, तो चयन समिति को बस देखना होता है।

"200 या 250 का स्कोर बनाना आसान नहीं होता—खासकर जब टीम दो-तीन विकेट खो चुकी हो। लेकिन सरफराज हमेशा ऐसे समय में खड़ा हो जाता है। उसमें कुछ खास है। वो कभी नाकाम नहीं होता," ठाकुर ने जोर देकर कहा।

टीम का समर्थन, एक अनसुनी आवाज़

सरफराज के साथी सिद्धेश लाड ने भी इस बात पर जोर दिया कि लगातार अनदेखा होना एक खिलाड़ी के मन को तोड़ सकता है। लेकिन टीम का काम है—उसे ऊपर उठाना।

"कहीं न कहीं ये निराशाजनक हो सकता है। लेकिन अब हम टीम और सपोर्ट स्टाफ का काम है कि हम उसका आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं? हम जानते हैं कि वो क्या कर सकता है। अगर वो खेलेगा, तो बड़े इनिंग्स बनाएगा," लाड ने कहा।

सरफराज खुद ने The Indian Express को बताया कि उनमें कोई निराशा नहीं है। उनका कहना है कि टीम का समर्थन उनके लिए काफी है। उन्होंने ठाकुर के नेतृत्व की भी तारीफ की। उनकी इस दृष्टिकोण को देखकर बहुत से प्रशंसक यही सोच रहे हैं—क्या भारतीय क्रिकेट के लिए एक नया मानक बन रहा है? क्या रणजी ट्रॉफी का रन अब भारत ए के बराबर नहीं हो गया?

एक खिलाड़ी की लंबी लड़ाई

सरफराज खान का ये सफर आज तक बहुत लंबा रहा है। 2016 में उन्होंने रणजी ट्रॉफी में एक शतक बनाया था—उस समय उनकी उम्र 18 साल थी। उसके बाद उन्हें भारत ए के लिए बुलाया गया, लेकिन टेस्ट टीम में जगह नहीं मिली। 2021-22 के बाद उन्हें भारत के लिए दोबारा नहीं बुलाया गया, भले ही उन्होंने दक्षिण अफ्रीका ए के खिलाफ भी एक अनौपचारिक टेस्ट में 92 रन बनाए थे।

उनकी आखिरी टेस्ट उपस्थिति 2023 में इंग्लैंड के खिलाफ थी। उसके बाद उन्हें ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर भी रखा गया, लेकिन मैच में नहीं खेलाया गया। अब वो आयुर्वेदिक चिकित्सा के बाद बुची बाबू टूर्नामेंट में वापस आए, लेकिन जम्मू-कश्मीर के मैच में रन आउट हो गए। उनका दबाव बढ़ रहा है, लेकिन उनकी जिद भी।

चयन समिति का अंतरराष्ट्रीय निर्णय अब घरेलू रणजी से जुड़ा है

ये सिर्फ सरफराज की बात नहीं है। इस समय रणजी ट्रॉफी के बड़े रन बनाने वाले खिलाड़ियों—जैसे कि राहुल त्रिपाठी, अभिषेक शर्मा, या विकास गुप्ता—को भी भारत ए के बिना टेस्ट टीम में जगह मिलनी चाहिए। क्या भारतीय क्रिकेट का नियम अब बदल रहा है? क्या भारत ए का रास्ता अब एक अनिवार्य नहीं, बल्कि एक वैकल्पिक विकल्प बन गया है?

शर्दूल ठाकुर के बयान ने इस सवाल को फिर से जिंदा कर दिया है। उनका कहना है कि अगर आप रणजी में 250 रन बनाते हैं, तो आपको टेस्ट टीम के लिए चुनना चाहिए। न कि भारत ए में खेलकर दिखाना।

अगला कदम क्या होगा?

अगले दो हफ्तों में रणजी ट्रॉफी के आगे के मैच तय कर देंगे कि क्या सरफराज खान का दावा वास्तविक है। अगर वो फिर से बड़ा इनिंग बनाते हैं, तो चयन समिति के पास उन्हें अनदेखा करने का कोई तर्क नहीं बचेगा। उनके लिए अगला लक्ष्य—मुंबई के लिए रन बनाना, और फिर भारत के लिए बैट करना।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सरफराज खान को भारत ए के बिना टेस्ट टीम में कैसे जगह मिल सकती है?

शर्दूल ठाकुर का तर्क है कि अगर सरफराज रणजी ट्रॉफी में 200+ रन बनाते हैं, तो वो सीधे टेस्ट टीम के लिए योग्य हो जाते हैं। उनका 2021-22 का प्रदर्शन—982 रन, औसत 122.75—पहले से ही टेस्ट स्तर का है। भारत ए के बिना भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को चुना जा चुका है—जैसे कि रविंद्र जडेजा और रवि अश्विन ने रणजी में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद सीधे टेस्ट टीम में जगह बनाई थी।

चयन समिति क्यों नहीं बदल रही है?

चयन समिति का आधार अभी भी भारत ए के माध्यम से खिलाड़ियों को तैयार करना है। लेकिन इसकी आलोचना बढ़ रही है क्योंकि अब रणजी ट्रॉफी इतनी प्रतिस्पर्धी हो चुकी है कि उसमें बड़े स्कोर बनाना अंतरराष्ट्रीय दबाव के बराबर है। इसके बावजूद, चयनकर्ता अभी भी एक नियमित रास्ते को प्राथमिकता दे रहे हैं।

शर्दूल ठाकुर का बयान अनोखा क्यों है?

किसी टीम कप्तान द्वारा चयन समिति के फैसले को सीधे चुनौती देना दुर्लभ है। आमतौर पर कप्तान अपनी टीम के बारे में ही बात करते हैं। ठाकुर का ये बयान एक नए युग की शुरुआत को दर्शाता है—जहां खिलाड़ी अपने प्रदर्शन के आधार पर चयन के लिए दावा करते हैं, न कि एक ब्यूरोक्रेटिक प्रक्रिया के आधार पर।

सरफराज के लिए अगला मैच क्या तय करेगा?

अगले मैच में अगर सरफराज ने 150+ रन बनाए, तो चयन समिति के पास उन्हें अनदेखा करने का कोई तर्क नहीं बचेगा। उनके लिए ये अभी भी एक अवसर है—क्योंकि भारत की टेस्ट टीम में मिडिल ऑर्डर की जगह अभी खाली है। उनकी टेक्निक, टेम्परमेंट और रणजी में बनाए गए बड़े स्कोर उन्हें एक अनूठा विकल्प बनाते हैं।

2 टिप्पणि

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    Krishnendu Nath

    दिसंबर 4, 2025 AT 00:55

    सरफराज को भारत ए में नहीं डालना बिल्कुल गलत है भाई वो तो रणजी में शतकों का बारिश कर रहा है अब टेस्ट टीम में भी उसे जगह दो

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    Basabendu Barman

    दिसंबर 4, 2025 AT 17:59

    ये सब बातें तो बस लोगों को भ्रम में डालने के लिए हैं... चयन समिति जानती है कि कौन क्या कर सकता है और कौन नहीं... शर्दूल का बयान भी शायद किसी बड़े नेता के निर्देश पर है... ये सब नाटक है

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