रिलायंस जियो का आईपीओ: 2025 में भारतीय शेयर बाजार में होगा धाकड़ आगमन, जानें संभावनाएं
नव॰, 5 2024रिलायंस जियो का आईपीओ: नई ऊँचाइयों की ओर
भारत के प्रमुख व्यापारिक हस्ति और एशिया के सबसे धनाढ्य व्यक्ति, मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो, 2025 तक अपनी सेवाओं को शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने की योजना बना रही है। वर्तमान में इसका अनुमानित मूल्यांकन $100 बिलियन से अधिक का है, जो इसे भारत की सबसे बड़ी प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्तुति में से एक बना सकता है। इस उल्लेखनीय कदम के साथ, रिलायंस जियो का उद्देश्य अपने मौजूदा 479 मिलियन सब्सक्राइबर्स के साथ देश के शीर्ष दूरसंचार प्रदाता के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करना है।
साल 2019 में, अंबानी ने घोषणा की थी कि अगले पांच वर्षों में जियो और रिलायंस रिटेल दोनों को सूचीबद्ध किया जाएगा। हालांकि, समय सीमा को लेकर कोई स्पष्ट घोषणा अब तक नहीं की गई है। इसके बावजूद, जियो के आईपीओ का संभावित समय 2025 है, जबकि रिटेल डिवीजन की सार्वजनिक प्रस्तुति आगे के समय में, यानी 2025 के बाद निर्धारित है। यह देरी रिटेल व्यवसाय के सामने आने वाली कुछ संचालनात्मक मुद्दों के कारण हो रही है।
रिटेल कारोबार की चुनौतियाँ
रिलायंस रिटेल व्यवसाय का हाल के वर्षों में तेजी से विस्तार हुआ है, जिसमें फैशन से लेकर किराना और इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर तक शामिल हैं, और इसके साथ ही ऑनलाइन बिक्री के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाई है। हालांकि, भौतिक दुकानों में प्रति वर्ग फुट राजस्व की समस्या और तेज प्रतिस्पर्धा के चलते कंपनी कुछ चुनौतियों का सामना कर रही है। यहां तक कि सुपर मार्केट की बिक्री में कमी भी देखी गई है।
विश्लेषकों के अनुसार, जियो का मूल्यांकन पिछले साल ही $112 बिलियन दर्ज किया गया था। वहीं, जियो के लिए गूगल और मेटा जैसी कंपनियों का संपरिवार सहयोग इसे और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है। साथ ही, एआई विकास के लिए एनवीडिया के साथ साझेदारी भी इसका हिस्सा है।
आर्थिक प्रदर्शन और बाजार रणनीति
रेटिंग एजेंसी जेफरीज ने जुलाई में जियो के आईपीओ मूल्य को $112 बिलियन आँका था। हालांकि, रिलायंस का ध्यान केवल जियो के आईपीओ पर नहीं बल्कि, आईपीओ की योजना के साथ कमाई और विस्तार कार्यों पर भी केंद्रित है। आगे की व्यापारिक योजनाओं के तहत, रिलायंस अपने खुदरा और जियो इकाइयों के आईपीओ को समयबद्ध ढंग से पेश करने की योजना बना रहा है जिससे बाजार में बड़े वित्तीय प्रस्ताव प्रस्तुत किए जा सकें।
वीत वर्ष में, रिलायंस ने कई अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को जियो प्लेटफार्मों में 33% की हिस्सेदारी का विक्रय किया जिससे $17.84 बिलियन की पूंजी जुटाई गई। वहीँ, रिलायंस रिटेल में भी लगभग 12% हिस्सेदारी का अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को विक्रय किया गया जिससे $7.44 बिलियन प्राप्त हुए। यह घटनाक्रम न सिर्फ रिलायंस की वित्तीय स्थिरता को दर्शाता है बल्कि इसके वैश्विक विस्तार की आवश्यकता को भी उजागर करता है।
भविष्य की संभावनाएं
जबकि रिलायंस जियो तेजी से बढ़ रही है, कंपनी को एलन मस्क की स्टारलिंक जैसी अन्य प्रतिस्पर्धाओं का सामना भी करना पड़ सकता है। साथ ही, कंपनी विदेशी निवेशकों की ओर आकर्षण बनाए रखने और तेजी से उभरते हुए त्वरित वाणिज्य क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। इन सबके बीच, रिलायंस अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जियो और रिटेल दोनों के लिए एक नए सिरे से विस्तार और नवोन्मेष की रणनीति तैयार कर रही है।