फेडरल रिज़र्व के फैसले के बाद सोना‑चाँदी कीमतों में भारी गिरावट

फेडरल रिज़र्व के नीति बदलाव का त्वरित असर
23‑सितंबर को फेड ने मौजूदा ब्याज दर को स्थिर रखा, लेकिन भविष्य के लिए दर‑बढ़ोतरी की संभावना जताई। इस कदम ने तुरंत वैश्विक कमोडिटी बाजारों को झकझोर दिया, जहाँ सोना‑चाँदी दोनों को सुरक्षित आश्रय माना जाता है। इस खबर के बाद अंतरराष्ट्रीय ताजे बाजार में चाँदी की कीमत $43.81‑$43.82 प्रति ट्रॉय औंस तक गिर गई, जो पिछले दिन की तुलना में 0.55‑0.57% का नुकसान दर्शाता है।
इसी दौरान सोना की कीमत भी थोड़ा नीचे आई, लेकिन चाँदी की गिरावट अधिक तेज़ रही क्योंकि निवेशक फेड की नीति को उच्च ब्याज दरों के संकेत मान रहे थे, जिससे बांड और अन्य फिक्स्ड‑इनकम संपत्तियों की आकर्षण बढ़ी।

भारतीय बाजार में धातु कीमतों का परिदृश्य
भारत में चाँदी का ट्रेडिंग मूल्य 999 फ़ाइन के लिए ₹133 प्रति ग्राम पर बना रहा, जबकि MCX पर सिल्वर फ़्यूचर्स ₹133,601 प्रति किलोग्राम पर दिखे, जो 46 पॉइंट (0.03%) की मामूली बढ़ोतरी है। सोने के मामले में 24‑कैरेट का भाव ₹11,308 प्रति ग्राम और 22‑कैरेट का ₹10,366 प्रति ग्राम दर्ज किया गया। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि घरेलू निवेशकों ने अभी भी धातु को हेज के रूप में देखा है, भले ही दिन‑प्रतिदिन की गिरावट हो।
समय‑के‑साथ चाँदी ने लंबी अवधि में मजबूत प्रदर्शन दिखाया है। पिछले महीने में उसकी कीमत 13.58‑13.61% बढ़ी और पिछले साल की तुलना में 36.26‑36.29% की कूद दर्ज की। इसका मुख्य कारण है औद्योगिक मांग, विशेषकर सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेक्टर में। इन सेक्टरों में चाँदी को उच्च कंडक्टिविटी और रिफ्लेक्शन क्षमताओं के कारण प्राथमिक सामग्री माना जाता है।
आर्थिक अनिश्चितता, महंगाई के दबाव और फेड की नीति दिशा-निर्देशों ने इस साल की कीमतों को काफी अस्थिर बना दिया है। विशेषज्ञों का तर्क है कि अल्पकालिक गिरावट के बाद, धातु कीमतें फिर से ऊपर आने की संभावना है। ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स के ऐतिहासिक डेटा के अनुसार, इस क्वार्टर के अंत तक चाँदी की कीमत $44.01 प्रति ट्रॉय औंस और अगले 12 महीनों में $46.91 तक पहुंच सकती है।
निवेशकों को अभी सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन साथ ही दीर्घकालिक दृष्टिकोण से धातु पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए सोना‑चाँदी को आकर्षक विकल्प माना जा रहा है। बाजार की मौजूदा अस्थिरता को देखते हुए, तकनीकी विश्लेषण और मौद्रिक नीति संकेतकों पर नज़र रखना आवश्यक होगा।