पेरिस ओलंपिक में महिला 10 मीटर एयर राइफल फाइनल के लिए रामिता जिंदल ने किया क्वालीफाई
जुल॰, 28 2024पेरिस ओलंपिक में भारतीय निशानेबाज़ी का गौरव
भारत की रामिता जिंदल ने पेरिस ओलंपिक में महिला 10 मीटर एयर राइफल फाइनल के लिए अपनी जगह पक्की कर ली है। उन्होंने कुल 631.5 अंकों के साथ क्वालिफिकेशन राउंड को पाँचवां स्थान पर समाप्त किया। इस प्रमुख़ उपलब्धि के बाद, रामिता भारतीय निशानेबाज़ी के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। उनका प्रदर्शन दिलचस्प और प्रेरणादायक था, खासकर यह देखते हुए कि कैसे उन्होंने कठिनाइयों का सामना किया और अपने खेल में सुधार किया।
क्वालिफिकेशन राउंड में चुनौतियाँ और सुधार
रामिता का क्वालिफिकेशन राउंड का सफर आसान नहीं था। पहले दौर में उनके अंक अपेक्षाकृत कम थे, 104.6 अंक। शुरुआती कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने अपने प्रदर्शन में सुधार किया और बाद के राउंड में बेहतर अंक अर्जित किए। एक अच्छे निशानेबाज़ के रूप में, उनकी यह सहनशीलता और समर्पण उनके प्रेरणात्मक सफर का प्रतीक है।
मनु भाकर के बाद, रामिता दूसरी भारतीय निशानेबाज़ बन गईं जिन्होंने पेरिस ओलंपिक के फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। यह उपलब्धि न केवल उनके लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है।
अन्य भारतीय निशानेबाज़
एक अन्य भारतीय उम्मीदवार, एलावेनिल वलारिवन, दुर्भाग्यवश फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकीं। उन्होंने 630.7 अंक हासिल किए, लेकिन उनके ये अंक उन्हें फाइनल में पहुँचाने के लिए पर्याप्त नहीं थे। एलावेनिल की मेहनत और प्रयास निश्चित रूप से प्रशंसनीय हैं, और भारतीय निशानेबाज़ी समुदाय उनकी कोशिशों को सराहता है।
दुनिया के एक बेहतरीन निशानेबाज़
क्वालिफिकेशन राउंड में, दक्षिण कोरिया की बन ह्यो जिन ने एक नया ओलंपिक क्वालिफिकेशन रिकॉर्ड (QOR) स्थापित किया। उन्होंने 634.5 अंकों के साथ इस राउंड में बढ़त बनाई। बन ह्यो जिन की यह उपलब्धि निशानेबाज़ी की दुनिया में एक नया मील का पत्थर है।
भारतीय निशानेबाज़ी का भविष्य
रामिता का इस फाइनल के लिए क्वालीफाई करना भारतीय निशानेबाज़ी के भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है। वह एथेंस 2004 के बाद से पहली भारतीय महिला हैं, जिन्होंने इस स्तर पर फाइनल में स्थान बनाया है। इस प्रकार, रामिता की यह उपलब्धि न केवल उनके लिए बल्कि पूरे भारतीय निशानेबाज़ी समुदाय के लिए गर्व का विषय है।
भारतीय निशानेबाजी के क्षेत्र में इस प्रकार की उपलब्धियाँ आने वाले समय में देश के अन्य युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी। रामिता जिंदल की मेहनत और संघर्षों की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद, यदि हम अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहते हैं, तो सफलता अवश्य मिलती है।