निविडिया और एएसएमएल के गिरने से नैस्डैक दो सप्ताह के निचले स्तर पर: यूएस ट्रेड कर्ब्स ने की इंडस्ट्री की दृष्टिकोण को प्रभावित
जुल॰, 18 2024
टेक-हैवी नैस्डैक सूचकांक में हाल ही में बड़ी गिरावट देखी गई है, जिसकी प्रमुख वजहें हैं प्रमुख सेमीकंडक्टर कंपनियों निविडिया और एएसएमएल में भारी गिरावट। नैस्डैक सूचकांक दो सप्ताह के निचले स्तर पर पहुँच गया है जब निविडिया का शेयर अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से 4.8% गिरकर दो सप्ताह के निचले स्तर पर आ गया। वहीं, एएसएमएल का शेयर 6.1% की गिरावट के साथ पांच सप्ताह के निचले स्तर पर आ गया है।
इस गिरावट का प्रमुख कारण संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए नये ट्रेड कर्ब्स माने जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य चीन के उन्नत तकनीकों, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और हाई-परफॉरमेंस कंप्यूटिंग के क्षेत्रों में पहुँच को सीमित करना है। इन सीमाओं ने उन कंपनियों की भविष्य की राजस्व वृद्धि पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं जो चीनी बाजार पर अत्यधिक निर्भर हैं।
अमेरिकी सरकार द्वारा ये नए ट्रेड कर्ब्स ऐसे समय में लगाए गए हैं जब वैश्विक सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही है। इससे पहले भी, कई व्यापारिक और आर्थिक प्रतिबंधों ने इस इंडस्ट्री को हिलाकर रख दिया था। लेकिन इस बार अमेरिकी सरकार की नीतियों ने सीधे तौर पर उन कंपनियों को नुकसान पहुँचाया है जो चीन में अपने उत्पादों का बड़ा हिस्सा बेचती हैं।
निविडिया की अगर बात करें, तो यह कंपनी अपने उच्च प्रदर्शन वाले ग्राफिक्स कार्ड और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े हार्डवेयर के लिए प्रसिद्ध है। चीन में इसकी उत्पादों की बहुत मांग है, और ट्रेड कर्ब्स के चलते इस मांग पर सीधा असर पड़ा है। निविडिया के शेयर होल्डर्स इस गिरावट से बेहद निराश हैं और उन्होंने इस पर गहराई से चिंतन करने की आवश्यकता बताई है।
एएसएमएल दुनिया की प्रमुख सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इक्विपमेंट निर्माता कंपनी है। इसके उत्पाद अत्यधिक उन्नत तकनीकों का उपयोग करके बनाए जाते हैं और इसकी मांग भी चीन में काफी उच्च है। एएसएमएल के शेयर की गिरावट से इस बात का प्रमाण मिलता है कि इन ट्रेड कर्ब्स का प्रभाव कितना व्यापक है और यह इंडस्ट्री में दीर्घकालीन प्रभाव डाल सकता है।
ट्रेड कर्ब्स के कारण निवेशकों में अनिश्चितता की भावना बढ़ गई है और उन्होंने अपने निवेश पैटर्न में बदलाव करना शुरू कर दिया है। एक व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, यह इस बात का संकेत है कि ट्रेड कर्ब्स जैसे राजनैतिक निर्णय न केवल संबंधित कंपनियों को प्रभावित करते हैं, बल्कि पूरे स्टॉक मार्केट और निवेशकों के मन में स्थिरता के मुद्दों को जन्म देते हैं।
इस गिरावट ने टेक सेक्टर में व्यापक मंदी का रूप ले लिया है और निवेशक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या यह मंदी स्थायी रूप से बनी रहेगी या इसका जल्द ही कोई समाधान निकलेगा। इसके अलावा, अन्य टेक कंपनियों पर भी इन ट्रेड कर्ब्स का प्रभाव पड़ा है और उनके शेयरों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह समय अत्यधिक सावधानी बरतने का है और निवेशकों को लंबे समय के नजरिए से अपने निवेश निर्णय लेने चाहिए। हालांकि, वर्तमान परिदृश्य में ट्रेड कर्ब्स का प्रभाव स्पष्ट है और इसके प्रभाव को लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
संक्षेप में, नैस्डैक की गिरावट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिकी ट्रेड कर्ब्स का प्रभाव व्यापक है और निवेशकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण चेतावनी है। निविडिया और एएसएमएल जैसे उद्योग के दिग्गजों का गिरावट में आना यह संकेत देता है कि आने वाले समय में और भी चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं।
naveen krishna
जुलाई 18, 2024 AT 19:30निविडिया और एएसएमएल की गिरावट ने टेक उद्योग में काफी झटके दे दिए हैं, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ये उतार-चढ़ाव अस्थायी होते हैं। हमें धैर्य के साथ बाजार की दीर्घकालिक संभावनाओं पर भरोसा रखना चाहिए।
Disha Haloi
जुलाई 18, 2024 AT 19:35सभी को याद दिलाना जरूरी है कि इन ट्रेड कर्ब्स का मकसद केवल चीन तक सीमित नहीं, बल्कि भारत के साथ हमारे रणनीतिक साझेदारियों को भी चुनौती देना है। अमेरिकी नीति निर्माताओं ने यह भूल गया है कि भारत की तकनीकी उन्नति में हमारी स्वतंत्रता और स्वदेशी पहलें ही मुख्य आधार हैं। जब विदेशी कंपनियों पर प्रतिबंध लगते हैं, तो हमारी घरेलू कंपनियों को तेज़ी से नवाचार करने का मौका मिलता है। इस घटती हुई गिरावट को देख कर मुझे लगता है कि सरकार को स्थानीय चिप निर्माण को तेज़ करना चाहिए। अभी के लिए यह एक चेतावनी है कि हम बाहरी सप्लाई चेन पर बहुत अधिक निर्भर नहीं रह सकते। एएसएमएल जैसी कंपनियों का नुकसान हमें अपने स्वयं के निर्माण बुनियादों पर काम करने की जरूरत बताता है। हमें न केवल निवेशक के दृष्टिकोण से सोचना चाहिए, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टी से भी इस मुद्दे को देखना चाहिए। चीन के बाजार पर निर्भरता को कम करके हम अपने आर्थिक रक्षा को मजबूत कर सकते हैं। इस प्रकार की नीति हमें आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। यदि हम इस अवसर को नज़रअंदाज़ करेंगे, तो भविष्य में और बड़े आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। यह स्पष्ट है कि विदेशी कंपनियों की मंदी सिर्फ एक आर्थिक घटना नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकेत है। इसपर उचित प्रतिक्रिया देने का सबसे बेहतर तरीका है कि हम अपने R&D बजट को बढ़ाएँ और स्थानीय कौशल को प्रोत्साहित करें। अंततः, हमारी तकनीकी प्रतिस्पर्धा तभी टिकेगी जब हम स्वदेशी तकनीक को प्राथमिकता दें। इस बात को समझते हुए, मैं हर भारतीय निवेशक को सलाह देता हूँ कि वे अपने पोर्टफोलियो में घरेलू टेक स्टार्टअप्स को शामिल करें।
Mariana Filgueira Risso
जुलाई 18, 2024 AT 19:40समझदारी यह है कि हम इस धक्का को सीखने के अवसर के रूप में देखें। निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को विविधीकरण के साथ संतुलित करना चाहिए, विशेषकर सॉफ्टवेयर और क्लाउड सेवाओं में। साथ ही, स्थानीय नवाचार इकोसिस्टम को समर्थन देने से दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित होगी। अंत में, टीमवर्क और निरंतर सीखना ही इस अस्थायी कठिनाई को पार करने का मुख्य हथियार है।
Dinesh Kumar
जुलाई 18, 2024 AT 19:45दिशा की गहरी सोच के साथ, मैं कहूँगा कि इस स्थिति में डरने से कुछ नहीं मिलेगा। हमें आशावादी रहकर अपनी रणनीति को पुनः परिभाषित करना चाहिए। स्थानीय प्रौद्योगिकी में निवेश बढ़ाकर हम खुद को मजबूत बना सकते हैं और भविष्य के उतार-चढ़ाव को सहजता से संभाल सकते हैं।
Hari Krishnan H
जुलाई 18, 2024 AT 19:48सभी को मिलजुल कर आगे बढ़ना चाहिए।