मनमोहन सिंह के स्मृति स्थल पर परिवार ने दी अंतिम मंज़ूरी

डॉ. मनमोहन सिंह के परिजनों ने आखिरकार सरकार को संकेत दे दिया कि उनका स्मृति स्थल राष्ट्रीय स्मृति स्थल (Rashtriya Smriti Sthal) में बनना चाहिए। यह खबर कई हफ्तों की चर्चाओं के बाद आई, जब पत्नी गुरशरण कौर ने आधिकारिक स्वीकृति पत्र भेजा और बेटी‑बेटियों ने साइट का निरिक्षण किया।
परिवार का फैसला और आगे का कदम
गुरशरण कौर ने पत्र में स्पष्ट किया कि वे इस प्रस्तावित 900 वर्ग मीटर की जगह को स्वीकार करती हैं। उनके साथ बेटी उपीन्दर सिंह और दमन सिंह, तथा उनके पति‑पत्नी ने भी जमीन के हर कोने को देख लिया। उपीन्दर ने बताया कि अब परिवार एक ट्रस्ट बनाएगा, जो स्मृति स्थल के निर्माण को नियंत्रित करेगा। इस ट्रस्ट को सरकार से एक बार के लिए 25 लाख रुपये तक का अनुदान मिलने की संभावना है, जो बाकी सभी राष्ट्रीय स्मृति स्थलों में समान रूप से लागू होता है।

स्मारक निर्माण की प्रक्रिया और वित्तीय सहायता
राष्ट्र स्मृति स्थल एक ऐसा परिसर है, जहाँ भारत के पूर्व राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों और प्रधान मंत्रियों के समाधि स्थित हैं। 2013 में, जब सिंह खुद प्रधानमंत्री थे, तब ही इस स्थल की अवधारणा को मंज़ूरी मिली थी, ताकि अलग‑अलग स्मारकों की जगह न हो और एक समान राष्ट्रीय भूतल बन सके। अब वही योजना उनके लिये भी पूरी हो रही है – उनकी स्मृति स्थल आखिरी में से एक बन जाएगी, जो इस परिसर के दो खाली प्लॉटों में से एक में रखी जाएगी।
कंप्लेक्स में पहले से ही कई प्रमुख नेताओं की स्मृति स्थल स्थित हैं, जैसे:
- पूर्व राष्ट्रपति जैल सिंह
- पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा
- पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शेखर
- पूर्व प्रधानमंत्री इंदर कुशवाहा गुजरल
- पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव
इनके बगल में अभी प्राणब मुखर्जी (2020 में स्वर्गविधि) के परिवार को भी एक प्लॉट दिया गया है। सिंह की स्मृति स्थल का स्थान इन सभी के बीच में ही तय किया गया है, जिससे यह एक बड़े राष्ट्रीय इतिहास का हिस्सा बन जाती है।
स्मारक का निर्माण मंत्रालय ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स की देखरेख में होगा, जबकि निर्माण कार्य सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (CPWD) द्वारा किया जाएगा। यह दो संस्थाएँ पहले भी इस परिसर में कई यादगार संरचनाओं को तैयार कर चुकी हैं, इसलिए प्रक्रिया अपेक्षाकृत सुगम रहने की उम्मीद है।
परिवार ने बताया कि वे जल्द ही एक ट्रस्ट स्थापित करेंगे, जिसके तहत निर्माण कार्य, रख‑रखाव और भविष्य की देखभाल का बजट तय होगा। इस ट्रस्ट के माध्यम से वे सरकारी अनुदान के साथ-साथ निजी दान भी एकत्र करेंगे, जिससे स्मारक का न्यूनतम खर्च में पूरा होना संभव हो सके।
डॉ. मनमोहन सिंह को 26 दिसम्बर 2024 को इस पृथ्वी से विदा किया गया था, और उनके अंतिम संस्कार नीरगंध गेट पर 28 दिसम्बर को आयोजित हुए। उनका स्मृति स्थल अभी निर्माणाधीन है, इसलिए इस समय उनके परिवार को साइट देख कर इस निर्णय तक पहुँचना पड़ा।
यह स्मारक केवल व्यक्तिगत सम्मान नहीं, बल्कि एक विचारधारा का प्रतीक भी होगा – भारत की आर्थिक उदारीकरण की दिशा को जो उन्होंने 1991 में शुरू किया था, उसका स्मरण। इससे आने वाली पीढ़ी को यह याद रहेगा कि कैसे एक छोटे राजनेता ने भारत को वैश्विक मंच पर फिर से जगह दिलाई।
स्मारक के निर्माण से पहले, कांग्रेस के अध्यक्ष मलिकरजुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस जगह के लिए अनुरोध किया था। सरकार ने पहले दो सटे हुए प्लॉटों का प्रस्ताव रखा था, और अब परिवार ने उनमें से एक को स्वीकार कर लिया है। इस तरह, कई महीनों की जटिल बातचीत के बाद, इस राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर एक और महत्वपूर्ण अध्याय लिखने को तैयार है।
जैसे ही ट्रस्ट की स्थापना पूरी होगी और प्रारम्भिक धनराशि जमा हो जाएगी, निर्माण कार्य शुरू होने की सम्भावना है। इस दौरान, सार्वजनिक रूप से इस स्थल की प्रगति की जानकारी भी जारी की जाएगी, ताकि सभी को यह पता चले कि कैसे मनमोहन सिंह स्मृति स्थल राष्ट्रीय स्मृति स्थल में रूप ले रहा है।