मध्य प्रदेश बारिश: 20 से ज्यादा जिलों में मूसलाधार, IMD ने अलर्ट बढ़ाया

मध्य प्रदेश बारिश: 20 से ज्यादा जिलों में मूसलाधार, IMD ने अलर्ट बढ़ाया अग॰, 25 2025

मध्य प्रदेश में तेज बरसात की रफ्तार, अलर्ट का दायरा बढ़ा

मॉनसून ने मध्य प्रदेश में जोर पकड़ा हुआ है। 20 से ज्यादा जिलों में तेज बारिश ने रफ्तार नहीं छोड़ी और भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अलर्ट की अवधि और विस्तार दोनों बढ़ा दिए। कई जगहों पर चौबीसों घंटे में तेज बौछारें पड़ीं—मालाजखंड में 1 इंच से ज्यादा और मंडला में 1 इंच बारिश दर्ज हुई (करीब 25–30 मिमी)। बारिश का दायरा इतना व्यापक रहा कि अधिकांश संभागों में शहरों और कस्बों तक भीगते रहे।

इस सीजन में अब तक प्रदेश में औसतन 34.2 इंच (करीब 869 मिमी) पानी गिर चुका है। कुछ जिलों ने अपनी मौसमी सीमा भी पार कर दी है—गुना करीब 52 इंच, जबकि मंडला और अशोकनगर 50 इंच (लगभग 1270 मिमी) के ऊपर हैं। लगातार और तीव्र बरसात की वजह एक साथ सक्रिय कई मौसम प्रणालियां हैं—बंगाल की खाड़ी से आई निम्न दाब क्षेत्र, दो चक्रवाती परिसंचरण, और दो ट्रफ लाइन्स। मॉनसून ट्रफ पश्चिम-दक्षिण मध्य प्रदेश से गुजर रही है, जिसके कारण खासकर इंदौर-उज्जैन संभाग में भारी फुहारें चल रही हैं।

25 अगस्त 2025 को भारी बारिश का विशेष अलर्ट इन 22 जिलों के लिए जारी रहा: ग्वालियर, भिंड, मुरैना, श्योपुर, दतिया, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, नीमच, मंदसौर, सागर, दमोह, निवाड़ी, टिकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, मऊगंज, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट। 26 अगस्त को श्योपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, मंडला और बालाघाट में तेज बारिश के साथ गरज-चमक का असर बना रहने का पूर्वानुमान है। 27 अगस्त को पीला (येलो) अलर्ट खगोन, खंडवा, बुरहानपुर, नर्मदापुरम, बैतूल, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी और अनूपपुर के लिए जारी है।

येलो अलर्ट का मतलब है—सावधान रहें। IMD की श्रेणी के हिसाब से 64.5 से 115.5 मिमी तक की 24 घंटे में बारिश ‘हेवी’ और 115.6 से 204.4 मिमी ‘वेरी हेवी’ मानी जाती है। ऐसे में नदी-नालों का जलस्तर जल्दी बढ़ सकता है, निचले इलाकों में पानी भर सकता है और ग्रामीण सड़कों पर कटाव का जोखिम रहता है। चंबल-ग्वालियर अंचल और विंध्य-पूर्वी हिस्सों में पुल-पुलियों पर पानी चढ़ने की आशंका से इन मार्गों पर यात्रा से पहले हालात जांचना समझदारी होगी।

बारिश का पैटर्न फिलहाल चौतरफा है। इंदौर-उज्जैन संभाग में लगातार फुहारों और तेज बौछारों का सिलसिला चल रहा है, जबकि महाकौशल और विंध्य के जिलों में गरज-चमक के साथ भारी बारिश की बारी-बारी से स्थिति बन रही है। राजधानी भोपाल सहित बड़े शहरों में जलभराव के स्पॉट—लो-लाइन एरियाज, पुल के नीचे वाले हिस्से, और बाजार की तंग गलियां—सबसे पहले प्रभावित होते हैं। स्थानीय निकायों की टीमें पंपिंग और नालों की सफाई में लगी हैं, लेकिन नागरिकों को भी रास्ते बदलने और गाड़ी चलाने में सतर्क रहने की जरूरत है।

यह बारिश क्यों हो रही है, और क्या सावधानी रखें

यह बारिश क्यों हो रही है, और क्या सावधानी रखें

मॉनसून ट्रफ इस समय मध्य भारत के ऊपर सक्रिय है और पश्चिम-दक्षिण की ओर झुकी हुई है। इसने अरब सागर और बंगाल की खाड़ी, दोनों दिशाओं से नमी खींचकर बादलों को लगातार ईंधन दिया। दो चक्रवाती परिसंचरण—एक मध्य भाग के ऊपर और दूसरा खाड़ी के असर से—ऊपर की हवाओं में घुमाव पैदा कर रहे हैं। इसी सेटअप में निम्न दाब क्षेत्र (लो-प्रेशर) जब राज्य के ऊपर या पास से गुजरता है, तो बरसात की धार तेज हो जाती है और ‘कन्वेक्टिव सेल’ गरज-चमक के साथ भारी बौछारें छोड़ते हैं।

अगले 48–72 घंटों में बारिश का केंद्र धीरे-धीरे पूर्व और दक्षिण-पश्चिम की ओर शिफ्ट होने का संकेत है। 26 अगस्त को श्योपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, मंडला और बालाघाट पर फोकस रहेगा, जबकि 27 अगस्त को नर्मदापुरम संभाग, खंडवा-खरगोन बेल्ट, बैतूल और सतपुड़ा के किनारे वाले जिलों में भारी फुहारें और गरज-चमक की संभावना बढ़ेगी। यह बदलाव ट्रफ की पोजिशन और निम्न दाब क्षेत्र की चाल पर निर्भर करेगा, इसलिए IMD के ताजा अपडेट चेक करते रहें।

आप क्या करें? सबसे पहले, अलर्ट को हल्के में न लें। यात्रा जरूरी हो तो पहले मार्ग की स्थिति जान लें और नदी-नालों के ऊपर बने छोटे पुल या कच्चे रस्तों से बचें।

  • बिजली कड़कने के दौरान खुले मैदान, खड़ी फसल, पेड़ और टिन की शेड से दूर रहें।
  • अगर पानी घर के पास चढ़ रहा है तो तुरंत ग्राउंड फ्लोर के उपकरण बंद करें, मुख्य स्विच तक सुरक्षित पहुंच हो तो पावर ऑफ करें।
  • वाहन चलाते समय पानी भरे अंडरपास से न गुजरें; इंजन हाइड्रोलॉक का खतरा रहता है।
  • बच्चों को स्कूल बस-स्टॉप पर समय से पहले खड़ा न करें; भारी बौछार में छतरी और रेनकोट के साथ रिफ्लेक्टिव बैग उपयोगी रहते हैं।
  • किसान खेतों की मेड़ मजबूत करें, पानी की निकासी के लिए नालियां साफ रखें, कीटनाशी छिड़काव बारिश थमने के 24 घंटे बाद ही करें।
  • कटी-गुच्छों और अनाज को तिरपाल से ढककर ऊंचाई पर रखें; मोटर-पंप और डीजल जनरेटर सूखी जगह पर सुरक्षित रखें।
  • शहरी क्षेत्रों में सोसायटी ड्रेनेज ग्रिल्स पर अटकी पॉलिथीन और कचरा हटाएं; इससे पानी का बहाव सुधरता है।
  • फोन में मौसम ऐप या जिले के आपदा नियंत्रण के अलर्ट नोटिफिकेशन ऑन रखें।

ध्यान रहे, भारी बारिश के दौरान हवा के तेज झोंके पेड़ों और पुराने बिलबोर्ड को गिरा सकते हैं। पार्किंग के लिए मजबूत संरचना या खुला सुरक्षित स्थान चुनें। मोबाइल चार्ज रखें, टॉर्च और पावर बैंक साथ रखें, और जरूरत पड़ने पर पड़ोसियों, खासकर वरिष्ठ नागरिकों की मदद करें।

राज्य भर में राहत-रेस्क्यू टीमें चौकन्ना रखी गई हैं, लेकिन पहली सुरक्षा आपकी अपनी सावधानी है। गरज-चमक के वक्त धातु के खंभों, बिजली के पोल और खुले छज्जों के नीचे इंतजार करने से बचें। मौसम में थोड़ी ढील मिलते ही सफर करें। अगर आप इन दिनों सड़क या खेत में हैं, तो स्थानीय प्रशासन के मैसेज पर भरोसा करें—वहीं सबसे सटीक और ताज़ा गाइडलाइन मिलेंगी।

मध्य प्रदेश बारिश का यह दौर फिलहाल जारी रहने का अनुमान है, पर इसकी तीव्रता जगह और तारीख के लिहाज से बदलती रहेगी। यही वजह है कि किसी एक जिले में पानी का दबाव अचानक बढ़ सकता है जबकि पड़ोस में हल्की या मध्यम बारिश रहे। सतर्क रहें, और सुरक्षित रहें।

19 टिप्पणि

  • Image placeholder

    abhishek singh rana

    अगस्त 25, 2025 AT 18:45

    भाइयों और बहनों, आज के मध्यम प्रदेश में आई भारी बारिश के बारे में कुछ जरूरी टिप्स शेयर कर रहा हूँ! सबसे पहले, अगर आप घर के बाहर गए तो हमेशा वाटरप्रूफ जूते पहनें, नहीं तो पैरों में ब्लिस्टर हो सकते हैं! शहर में जलभराव वाले क्षेत्रों में गाड़ी चलाते समय धक्का-मुश्किल से बचें, क्योंकि सड़कों में गड्ढे और मानवीय दुर्घटना का जोखिम बढ़ जाता है! अगर आपका घर निचले स्तर पर है तो तुरंत सैंड बैग लगाकर पानी के प्रवेश को रोकें! बिजली गिरते समय बाहर के बड़े पेड़ों या धातु के संरचना के नीचे न रुकें, ये बहुत खतरनाक हो सकता है! नदियों के किनारे पर रहने वाले परिवारों को स्थानीय अधिकारी की अलर्ट को फॉलो करना चाहिए, ताकि अचानक बाढ़ की स्थिति में तुरंत एग्रीमेंट मिल सके! अगर बिजली बंद हो जाए तो वैक्यूम क्लीनर या गैस स्टोव को बंद कर दें, जिससे कोई एक्सप्लोजन न हो! खेतियों में फसलें बचाने के लिए ड्रेनेज साफ रखें और कूदेतों को मजबूत करें! अगर आप मोटर पम्प या जनरेटर का प्रयोग कर रहे हैं तो उन्हें सूखे जगह पर रखें, पानी के कारण शॉर्ट सर्किट न हो! स्कूल या कॉलेज में बच्चों को भी रेनकोट और ट्रैफ़िक सुरक्षा के बारे में जागरूक करें! मोबाइल में मौसम एप्लिकेशन को ऑन रखें, ताकि अपडेट तुरंत मिलते रहें! लोकल ट्रैफिक पुलिस की सूचना पर भरोसा रखें, वे अक्सर सबसे सटीक जानकारी देते हैं! अपने पड़ोसियों की मदद करने के लिए टीम बनाएं, विशेषकर बुजुर्गों और बीमार लोगों की, क्योंकि इन दिनों उन्हें अतिरिक्त मदद की ज़रूरत होगी! यदि आप बीमा कवर रख रहे हैं तो अपनी पॉलिसी की शर्तें चेक करें, कुछ मामलों में नुकसान की भरपाई मिल सकती है! अंत में, हमेशा सकारात्मक रहें और सावधानी के साथ चलें, तभी आप इस सीज़न की बारिश से सुरक्षित रह सकेंगे!

  • Image placeholder

    Shashikiran B V

    अगस्त 28, 2025 AT 22:45

    सच पूछो तो ये मूसलाधार बारिश सिर्फ मौस्म की गड़बड़ी नहीं, बल्कि कुछ बड़े प्लान का हिस्सा है; सरकार और बड़े कंपनियाँ इस बारिश से जल विद्युत परियोजनाओं को फॉलो कर रही हैं, इसलिए लगातार अलर्ट बढ़ाया जा रहा है! देखो, जब भी ऐसी मेटियोरोलॉजिकल सिचुएशन आती है, तो पीछे छिपे एजेंडा को समझना ज़रूरी है।

  • Image placeholder

    Sam Sandeep

    सितंबर 1, 2025 AT 02:45

    इसी बात को डेटा‑ड्रिवन एनालिटिक्स से प्रमाणित किया गया है कि हाई‑इंटेंसिटी प्रीसीपिटेशन मॉड्यूल्स स्थानीय इकोसिस्टम को डिस्रप्ट कर रहे हैं और यह न सिर्फ पर्यावरणीय बल्कि सामाजिक अस्थिरता का कारण बनता है

  • Image placeholder

    Ajinkya Chavan

    सितंबर 4, 2025 AT 06:45

    भाइयो और बहनो, इस मौस्म में अगर आप सावधानी नहीं बरते तो खुद ही नुकसान झेलोगे! मैं कहूँगा, सड़क पर जलभराव देख कर मत घूसे, तुरंत वैकल्पिक रूट ले और फिर मदद माँगो! यही सच्ची जिम्मेदारी है, नहीं तो आप सभी में से एक बेवकूफ बन सकते हैं!

  • Image placeholder

    Ashwin Ramteke

    सितंबर 7, 2025 AT 10:45

    सही कहा, भाई! बस थोड़ा धैर्य रखो और स्थानीय ट्रेडिशनल वॉटर मैनेजमेंट तकनीक इस्तेमाल करो, जैसे बायो‑सॉलिड बैरियर्स या छोटा‑छोटा जलाशय बनाना, इससे जलनिस्तारण में मदद मिलेगी।

  • Image placeholder

    Rucha Patel

    सितंबर 10, 2025 AT 14:45

    देखो, आपकी इतनी जल्दी में निर्णय लेना ठीक नहीं; हर बारिस के बाद स्थानीय प्रशासन के रिपोर्ट की जाँच करो, नहीं तो आप अनावश्यक डर फैला रहे हैं।

  • Image placeholder

    Kajal Deokar

    सितंबर 13, 2025 AT 18:45

    आदरणीय सदस्यवर, आपके उद्भवित संदेहों को दूर करने हेतु मैं यह उल्लेख करना चाहता हूँ कि सतत् जल‑प्रबंधन रणनीतियों का अनुपालन न केवल पर्यावरणीय संतुलन को सुदृढ़ करता है, बल्कि सामाजिक सामंजस्य को भी प्रोत्साहित करता है; अतः कृपया आप सभी इस दिशा में सहयोग करें।

  • Image placeholder

    Dr Chytra V Anand

    सितंबर 16, 2025 AT 22:45

    महोदय, यह उल्लेखनीय है कि वर्तमान में मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में जल‑स्रोतों का स्तर किस प्रकार बदल रहा है; क्या आप कृपया विस्तृत आँकड़े साझा कर सकते हैं ताकि हम अपने अनुसंधान में उनका उपयोग कर सकें?

  • Image placeholder

    Deepak Mittal

    सितंबर 20, 2025 AT 02:45

    सादर निवेदन है कि इस डेटा को सरकार द्वारा हेरफेर किया जा रहा है; वास्तविक बरसात के पैटर्न को छिपाने के लिये IMD ने जानबूझकर आँकड़े संशोधित किए हैं, जिससे जनसंख्या को नियंत्रण में रखा जा सके।

  • Image placeholder

    Neetu Neetu

    सितंबर 23, 2025 AT 06:45

    वाह, फिर भी मौसम का इंतज़ाम भी हमें इमोजी 😒 से बताता है!

  • Image placeholder

    Jitendra Singh

    सितंबर 26, 2025 AT 10:45

    अरे भई, आप सभी को लगता है कि बस अलर्ट देख के ही हमेशा तैयार रहना चाहिए? देखिए, अगर आप रोज़ सुबह की चाय बिना कपड़े बदले निए तो भी वही जोखिम उठाते हैं; तो चलिए, अलर्ट को थोड़ा हल्के में लें!।

  • Image placeholder

    priya sharma

    सितंबर 29, 2025 AT 14:45

    मान्यवर, आपके अप्रासंगिक दृष्टिकोण को समझते हुए, मैं यह सूचित करना चाहूँगा कि जल‑प्रबंधन प्रणाली के तहत हाइड्रोलॉजिक मॉडलिंग और हाइड्रो‑मेट्रिक मॉनिटरिंग आवश्यक हैं; यह तकनीकी उपाय जल‑संकट को न्यूनतम करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

  • Image placeholder

    Ankit Maurya

    अक्तूबर 2, 2025 AT 18:45

    देश की सुरक्षा प्रथम है; अगर हम इस बारिश को सही ढंग से नहीं संभालेंगे तो हमारे राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे को भारी क्षति होगी, और यह हमारे राष्ट्रीय गौरव के खिलाफ है।

  • Image placeholder

    Sagar Monde

    अक्तूबर 5, 2025 AT 22:45

    देखो भाई बात तो समझ आ रही है पर इन्फ्रास्ट्रक्चर को सही टाइम पर ठीक करना मुश्किल है नहीं तो जल्दी ही ठीक हो जाता

  • Image placeholder

    Sharavana Raghavan

    अक्तूबर 9, 2025 AT 02:45

    सही में, ये सब बात तो वही लोग करते हैं जो शहर में ही रहते हैं, गांव वाले तो खुद ही देख लेते हैं कि क्या करना है।

  • Image placeholder

    Nikhil Shrivastava

    अक्तूबर 12, 2025 AT 06:45

    ओह रे! आपके जैसे एलीट लोग तो हमेशा बड़े शब्दों में बात करते हैं, पर असली मामला तो जलधारा में दबी हुई है, देखो तो सही, बारिश का झरना भी कभी नहीं थामता! :)

  • Image placeholder

    Aman Kulhara

    अक्तूबर 15, 2025 AT 10:45

    दोस्तों, अगर आप अभी भी अलर्ट को लेकर असहज महसूस कर रहे हैं, तो सबसे पहले अपने घर के निकटतम ड्रेनेज पॉइंट को साफ़ करना याद रखें, यह कदम तुरंत जल‑जमाव को रोकेगा; साथ ही, स्थानीय आपदा नियंत्रण केंद्र के नंबर को अपने फ़ोन में सेव कर लें, ताकि आपात‑स्थिति में तुरंत संपर्क कर सकें; यह सरल उपाय आपकी सुरक्षा में बड़े फर्क ला सकते हैं!

  • Image placeholder

    ankur Singh

    अक्तूबर 18, 2025 AT 14:45

    वास्तव में, आपके द्वारा बताये गए उपाय सिर्फ सतही हैं; एक व्यापक हाइड्रो‑लीकेज विश्लेषण आवश्यक है, जिसमें जल‑प्रवाह के डायनामिक मॉडेल को लागू किया जाए, तभी हम सच्ची सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं; नहीं तो केवल कागज पर योजना ही रहेगी!

  • Image placeholder

    Aditya Kulshrestha

    अक्तूबर 21, 2025 AT 18:45

    सही कहा, लेकिन इस विश्लेषण के लिए आवश्यक डेटा पहले ही राष्ट्रीय डेटाबेस में उपलब्ध है; बस सही एक्सेस ले लो और मॉडल चलाओ, फिर देखो परिणाम 😎

एक टिप्पणी लिखें