लोणावला भूसी डैम में दुखद हादसा: दो लापता बच्चों की तलाश जारी

लोणावला भूसी डैम में दुखद हादसा: दो लापता बच्चों की तलाश जारी जुल॰, 1 2024

पिकनिक का बदला हुआ समय

30 जून की एक शाम, जब एक परिवार हंसी-खुशी के माहौल में लोणावला के खूबसूरत भूसी डैम पर पिकनिक मनाने पहुंचा था, वो उनके लिए कभी न भूलने वाला त्रासदी का दिन बन गया। पुणे के सय्यद नगर, हडपसर के 16-17 सदस्यीय इस परिवार ने एक निजी बस किराए पर ली थी और प्रकृति के इस चमत्कारिक स्थान का आनंद लेने निकले थे। मौसम की बदलाव और भारी बारिश के कारण, पानी का बहाव अचानक तेज हो गया और यह खुशी के पल दर्दनाक हादसे में तब्दील हो गए।

दुःखद हादसा

तेज बहाव ने परिवार के पांच सदस्यों को अपने चपेट में ले लिया, जिसमें तीन मासूम बच्चे भी थे। शाहिस्ता लियाक़त अंसारी (36), अमीमा आदिल अंसारी (13), और उमेरा आदिल अंसारी (8) का शव रविवार के दिन नीचे के जलाशय से बरामद किया गया। हालांकि, उनके दो बच्चे, अदनान सबहात अंसारी (4) और मरिया अकील अंसारी (9) अभी भी लापता हैं और उनकी तलाश जारी है।

रेस्क्यू ऑपरेशन

रेस्क्यू ऑपरेशन

जुलाई 1 को, पुलिस, नौसेना गोताखोरों, वन्यजीव रक्षक मावाल, और शिव दुर्ग ट्रेकर संगठन ने इस विषम कार्य पर फिर से जुटते हुए अपनी पूरी शक्ति और समर्पण दिखाया। बेहतर उपकरणों और रणनीतियों का उपयोग कर, रेस्क्यू टीम ने पानी के बहाव, गहराई और अन्य संभावित स्थलों पर व्यापक खोजबीन की। हादसे का एक दिल-दहला देने वाला वीडियो भी सामने आया है, जो बताता है कि कैसे पानी का भयंकर बहाव का शिकार होने से बचना मुश्किल हो गया।

फ़रमान की अनसुनी

स्थानीय पुलिस और प्रशासन द्वारा जारी चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए, 30 जून को लोणावला में लगभग 50,000 लोग पहुंचे थे। बरसात के मौसम में ऐसे अपरिचित इलाकों का दौरा करने से होने वाले संभावित खतरों को गंभीरता से नहीं लिया गया। पुलिस और प्रशासन ने पहले ही भारी बारिश और बढ़ते जलाजल के खतरों के बारे में आगाह किया था।

सावधानी की आवश्यकता

सावधानी की आवश्यकता

यह घटना हमें याद दिलाती है कि प्रकृति के साथ खेलना कभी भी संतुलित नहीं होता। विशेष रूप से मानसून के मौसम में, जब नदियों, जलाशयों और झरनों का पानी अचानक बढ़ जाता है, तो ऐसी जगहों पर जाने से पहले पूरी सतर्कता बरतनी जरूरी है। किसी भी इलाके का दौरा करने से पहले स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देशों और मौसम पूर्वानुमानों का पालन करना चाहिए। उम्मीद है, इस दर्दनाक घटना से लोग सबक लेंगे और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को टालने के लिए अधिक सतर्क रहेंगे।

18 टिप्पणि

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    umesh gurung

    जुलाई 1, 2024 AT 19:56

    सबसे पहले, इस दुःखद घटना में पीड़ित परिवार के प्रति हार्दिक संवेदनाएँ प्रकट करता हूँ।
    बारिश के मौसम में जलस्तर अचानक बढ़ जाता है, इसलिए स्थानीय प्रशासन की चेतावनियों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
    पिकनिक की योजना बनाते समय मौसम पूर्वानुमान चेक करना मूलभूत सुरक्षा उपाय है।
    खासकर बच्चों के साथ यात्रा में वयस्कों को जलरोधी जीवन रक्षक जैकेट रखना अनिवार्य है।
    यदि जलधारा तेज हो रही हो, तो तुरंत ऊँचे स्थान पर पहुँचकर सुरक्षित क्षेत्र में इंतजार करना चाहिए।
    स्थानीय अधिकारियों ने पहले भी ऐसे मौसमी जोखिमों की चेतावनी जारी की थी, जिसे नजरअंदाज किया गया।
    भविष्य में इस तरह की त्रासदी से बचने के लिए स्कूल और समुदाय को सुरक्षा प्रोटोकॉल का प्रशिक्षण देना आवश्यक है।
    रेडियो, मोबाइल ऐप या स्थानीय loudspeaker के माध्यम से त्वरित अलर्ट जारी किया जा सकता है।
    इसी के साथ, बोट या निजी वाहन लेकर जल में प्रवेश करना जब तक कि स्थिति स्थिर न हो, जोखिमपूर्ण होता है।
    समुदाय के स्वयंसेवक और बचाव दल को नियमित अभ्यास करवाना ग़ैर‑ज़रूरी जोखिम कम कर सकता है।
    पानी की गति और गहराई को मापने वाले उपकरणों का उपयोग करके रेस्क्यू टीम को त्वरित कार्रवाई में मदद मिलती है।
    पर्यटक स्थल पर स्पष्ट संकेत और चेतावनी बोर्ड स्थापित करना भी एक प्रभावी उपाय है।
    उपरोक्त सभी कदम मिलकर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं और जीवित बचाव दर को बढ़ा सकते हैं।
    अंत में, इस दर्दनाक घटना में खोए हुए बच्चों की शीघ्र खोज और परिवार को आवश्यक समर्थन मिलने की कामना करता हूँ।
    समय आने पर हम सभी मिलकर इस त्रासदी को यादगार बना सकते हैं, ताकि कभी दोहराया न जाए।

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    sunil kumar

    जुलाई 1, 2024 AT 20:46

    मानव अस्तित्व की नाज़ुकता को देखते हुए, यह घटना द्वंद्वात्मक धारणा को उजागर करती है: स्वाभाविक आनंद बनाम अप्रत्याशित आपदा।
    बुजुर्गी विज्ञान में 'क्वांटम फ्लक्स' की अवधारणा जैसी, जल की अनियंत्रित गति भी बहु-आयामी प्रयोगशाला की तरह कार्य करती है।
    इस प्रकार, प्रकृति का अराजकता हमारे सामाजिक संरचनाओं में निहित नियतात्मकता को चुनौती देती है, जिससे हम अपनी प्रक्रियात्मक प्रतिघात को पुनःपरिभाषित करने को मजबूर होते हैं।
    समुदाय की नैतिक दायित्व और रणनीतिक प्रोटोकॉल के बीच संतुलन स्थापित करना, अब केवल नीति निर्माताओं का नहीं, बल्कि प्रत्येक जागरूक नागरिक का दायित्व बन गया है।

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    prakash purohit

    जुलाई 1, 2024 AT 21:36

    जिन्हें लगता है कि यह दुर्घटना सिर्फ बवायल प्रॉब्लम थी, वहीँ सच्चे कूदे हुए पर्दे के पीछे के विचारकों ने इसे एक बड़े साजिश के रूप में तैयार किया है।
    स्थानीय अधिकारियों की चेतावनियों को अनदेखा करने का कारण सिर्फ अज्ञान नहीं, बल्कि जानकारी को दबाने की गुप्त योजना हो सकती है।
    अगर हम इस बात पर गौर करें कि कब तक ऐसी घटनाएं हमारे आसपास घटती रही हैं, तो यह संकल्पना स्पष्ट हो जाती है कि कुछ शक्तिशाली एजेंसियां जल निकायों को नियंत्रण में रखकर जनता को डराने में माहिर हैं।
    इसलिए, हमें इस तरह के बिंदुओं को गंभीरता से जांचना चाहिए, नहीं तो भविष्य में भी इसी तरह के अत्याचार दोहराए जा सकते हैं।

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    Darshan M N

    जुलाई 1, 2024 AT 22:26

    भारी बारिश में ऐसे क्षेत्रों में जाना बहुत जोखिम भरा है।

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    manish mishra

    जुलाई 1, 2024 AT 23:16

    वाह, क्या दुरुस्त ढंग से नहीं देखा गया ये सब? 😒 प्रशासन की चेतावनी को नजरअंदाज़ करने से बेहतर ट्रैफ़िक जाम में फंसे रहना ही था।

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    tirumala raja sekhar adari

    जुलाई 2, 2024 AT 00:06

    यार ये तो बस एक और बोरिंग न्यूज़ है, देखो तो सही, सबको ही डिटेल्ज़ नहीं चाहिए होते। एरे भरी वॉटर लेवल का काहे सोचते हो, बस साकी भी नहीं।

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    abhishek singh rana

    जुलाई 2, 2024 AT 00:56

    सबको याद दिलाना चाहूँगा, कि जब भी मौसमी चेतावनियों को देखें, तुरंत अपने प्लान में बदलाव करें;
    उदाहरण के तौर पर, यदि मौसम विभाग ने ‘वर्षा‑विवश’ संकेत दिया है, तो जलाशयों की नजदीक के पिकनिक को स्थगित कर देना चाहिए;
    और यदि आप बच्चों के साथ यात्रा कर रहे हैं, तो उन्हें जीवन‑रक्षक जैकेट पहनाना अनिवार्य है;
    इसके अलावा, स्थानीय रेस्क्यू टीमों के साथ संपर्क में रहना और उनके निर्देशों का पालन करना भी बहुत ज़रूरी है।

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    Shashikiran B V

    जुलाई 2, 2024 AT 01:46

    कभी सोचा है कि इस तरह की बड़ी दुर्घटनाएँ अक्सर सरकारी एजेंसियों के लिए एक कवर‑अप बन जाती हैं? वे प्लेटफ़ॉर्म को विशिष्ट एरिया में नियंत्रण करने के लिए ऐसे “दुर्घटना” को इस्तेमाल करते हैं; इस कारण से सार्वजनिक सूचना को अक्सर अधूरा रखा जाता है, जिससे जनता भ्रमित रहती है।

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    Sam Sandeep

    जुलाई 2, 2024 AT 02:36

    सच बंदे, ऐसी चीज़ों की वजह से ही लोग भरोसा नहीं करते सरकार पर. हमेशा खुद की ही रेस्पॉन्सिबिटी देखें ना.

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    Ajinkya Chavan

    जुलाई 2, 2024 AT 03:26

    समझो, अगर चेतावनी की अनदेखी की जाती है तो उसके परिणाम भुगतने पड़ते हैं, यही इंसान को सिखाने का तरीका है; अब वक्त है कि सभी लोग इस बात को पूरी तरह से समझें और भविष्य में कितनी भी असुविधा हो, सावधानी बरतें।

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    Ashwin Ramteke

    जुलाई 2, 2024 AT 04:16

    सभी को यह याद दिलाना चाहिए कि सुरक्षा नियम केवल कुछ लोगों के लिए नहीं, बल्कि पूरी समुदाय के लिए हैं; जब हम मिलकर इस बात को सच्चे दिल से अपनाते हैं, तो भयावह घटनाएँ बहुत कम होंगी।

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    Rucha Patel

    जुलाई 2, 2024 AT 05:06

    पैसे की लालच में कई लोग चेतावनियों को नजरअंदाज़ कर देते हैं, यह एक सामान्य त्रुटि है; ऐसी जिंदगियों को बचाने के लिए सख्त नियमों की आवश्यकता है।

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    Kajal Deokar

    जुलाई 2, 2024 AT 05:56

    आदरणीय समुदाय सदस्यगण, इस विनाशकारी घटना से हम सभी को गंभीर प्रतिबिंब प्राप्त हो रहा है; आशा है कि भविष्य में समुचित मार्गदर्शन और सतर्कता द्वारा ऐसे दु:ख को रोका जा सकेगा, और हम सभी मिलकर सुरक्षित भविष्य का निर्माण करेंगे।

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    Dr Chytra V Anand

    जुलाई 2, 2024 AT 06:46

    सम्मानित मित्रों, इस घटना के विज्ञानात्मक पहलुओं की विस्तृत जाँच आवश्यक प्रतीत होती है; क्या जल प्रवाह की गति, जल स्तर की अस्थिरता, तथा स्थानीय भूगोलिक संरचना इन आपदाओं में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, इसका गहन विश्लेषण किया जाना चाहिए।

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    Deepak Mittal

    जुलाई 2, 2024 AT 07:36

    इक बात है, इस डैम् में इन्फ्रास्ट्रक्चर काम तो ठीक नहीं चल रहा, सिचुएशन को कंट्रोल करने वाले लोग शायद जानबुज कर इनको अंडर-रिपोर्ट कर रहे हैं, ताकि उनका एग्जिक्टिव प्रोजेक्ट आगे बढ़े।

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    Neetu Neetu

    जुलाई 2, 2024 AT 08:26

    वाह, ये तो बहुत ही अच्‍छा प्लान था, बारिश में गीले‑गीले सैर करने का 😑

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    Jitendra Singh

    जुलाई 2, 2024 AT 09:16

    बिलकुल सही, मौसम की चेतावनियों को देखकर भी कोई नहीं रुका; यह तो एकदम जीनियस प्लान है!!!

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    priya sharma

    जुलाई 2, 2024 AT 10:06

    पर्यावरणीय जोखिम प्रबंधन के सिद्धांतों के अनुसार, इंटेग्रेटेड डिसास्टर रिस्पांस स्ट्रैटेजी का अनिवार्य क्रियान्वयन आवश्यक है; इससे भविष्य में समान आपदाओं की प्रेडिक्टेबिलिटी और रिस्पॉन्स टाइम में उल्लेखनीय सुधार संभव होगा।

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