ईस्माइल हनिया की हत्या: ईरान के अंदर वर्षों से चल रही इजरायली गुप्त ऑपरेशन्स की कहानी

ईस्माइल हनिया की हत्या: ईरान के अंदर वर्षों से चल रही इजरायली गुप्त ऑपरेशन्स की कहानी जुल॰, 31 2024

ईस्माइल हनिया की हत्या और इजरायली गुप्त ऑपरेशन्स

तेहरान में हामास प्रमुख ईस्माइल हनिया की हत्या ने एक बार फिर ईरान के अंदर इजरायली गुप्त ऑपरेशन्स की गहनता को उजागर किया है। यह घटना तब हुई जब ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन के अधिकारियों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान हनिया तेहरान में मौजूद थे। यह हत्या इजरायली खुफिया एजेंसी, मोसाद के द्वारा किए गए एक सटीक ऑपरेशन का हिस्सा मानी जा रही है। हनिया के साथ उनके एक अंगरक्षक की भी जान चली गई।

इस ऑपरेशन को हामास के खिलाफ इजरायल की कठोर प्रतिशोधकारी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है, जो 7 अक्टूबर को इजरायल पर किए गए हमले का प्रतिशोध है, जिसमें 1,200 लोग मारे गए थे और 250 लोगों को बंधक बना लिया गया था। हनिया हामास के एक प्रमुख नेता थे और उनकी हत्या से मध्य-पूर्व में तनाव और बढ़ सकता है। हनिया की हत्या ने इजरायल और हामास के बीच लंबे समय से चल रही हिंसक वारदातों की श्रंखला में एक नए अध्याय को जोड़ा है।

ईरान के अंदर इजरायली गुप्त ऑपरेशन्स का इतिहास

इजरायल की गुप्त कार्रवाईयों का इतिहास गहरा है। इसका सरल उदाहरण 2020 में शीर्ष ईरानी परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फख्रीज़ादेह की हत्या है। यह हत्या, जो इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद द्वारा किए जाने का शक है, विश्वभर में चर्चा का विषय बनी। यह कार्रवाई विभिन्न तात्कालिक उपायों और लंबे समय तक की गई गुप्त तैरियों का हिस्सा थी, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बाधित करने के लिए की गई थी।

इजरायल की गुप्त कार्रवाईयों की यह श्रृंखला कई दशकों से चली आ रही है। इजरायल ने हमेशा ही अपने दुश्मनों के खिलाफ प्रीम्टीव स्ट्राइक का औचित्य साबित किया है। यह रणनीति मुख्य रूप से उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा और अस्तित्व के प्रति उनकी सोच को दर्शाती है। हनिया की हत्या ही नहीं, इससे पहले भी इजरायल ने ईरान में विभिन्न प्रमुख वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाया है।

इजरायल और हामास के बीच लगातार चल रही तकरार का असर सिर्फ इन दोनों पर ही नहीं, बल्कि पूरे मध्यपूर्व क्षेत्र पर पड़ता है। दोनों पक्षों के बीच की यह लड़ाई इतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक मतभेदों से जड़ी है, जो आसानी से समाप्त होती नहीं दिखती। 7 अक्टूबर 2022 के हमले के बाद, इजरायली अनशन और हामास के तरफ से जवाबी कार्रवाईयों की एक नई कड़ी शुरू हो गई।

गज़ा में संघर्ष और मानवीय संकट

गज़ा में रह रहे आम नागरिक इस संघर्ष का सबसे बड़ा खामियाजा भुगत रहे हैं। गज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक 39,360 से अधिक फिलिस्तीनी इस संघर्ष में अपनी जान गंवा चुके हैं और 90,900 से अधिक घायल हो चुके हैं। यह आंकड़ा न सिर्फ हामास और इजरायली सेना के संघर्ष को दर्शाता है, बल्कि इस संघर्ष के कारण उत्पन्न मानवीय संकट को भी उजागर करता है।

गज़ा के नागरिक बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं, पानी और बिजली जैसी आवश्यक सुविधाओं की कमी का सामना कर रहे हैं। बच्चों और महिलाओं की स्थिति सबसे दयनीय है। हिंसा और संघर्ष ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। वहां के निवासियों को न सिर्फ गुप्त हमलों का डर सताता है, बल्कि रोजमर्रा की ज़िन्दगी भी एक संघर्ष बन गई है।

ईरान की राजधानी तेहरान में हनिया की यह हत्या इस संघर्ष के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैलने का संकेत देती है। मसूद पेज़ेशकियन के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान इस घटना का होना यह दर्शाता है कि राजनीति और सुरक्षा के मुद्दे कितने गहरे और उलझे हुए हैं।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भविष्य की संभावनाएं

हनिया की हत्या पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया भी तीखी रही है। कई देशों ने इस हत्या की निंदा की है और इसे मध्य-पूर्व में शांति प्रयासों के लिए झटका बताया है। संयुक्त राष्ट्र ने भी इस घटना पर चिंता व्यक्त की है और दोनों पक्षों से शांति और सहिष्णुता की अपील की है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस हत्या के बाद इजरायल और हामास के बीच तनाव और बढ़ सकता है। अभी तक कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं दिखता। इजरायल जहां अपनी सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाने को तैयार है, वहीं हामास भी अपने नेताओं के बलिदान को बल देते हुए संघर्षरत है।

इस घटना से एक बात साफ है कि मध्य-पूर्व में शांति के प्रयासों को कई स्तर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। दोनों पक्षों के बीच मतभेद गहरे हैं और इनकी समाधान की दिशा में रास्ता बहुत कठिन प्रतीत होता है। आने वाले दिनों में और भी घटनाओं और विवादों की संभावना है, जिनका असर न सिर्फ क्षेत्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पड़ सकता है।

हनिया की हत्या न सिर्फ इजरायल और हामास के बीच का तनाव उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि मध्य-पूर्व में शांति और स्थिरता स्थापित करना कितना चुनौतीपूर्ण कार्य है। भविष्य में इस क्षेत्र में और भी संघर्ष और हिंसा की घटनाएं हो सकती हैं, जिससे ना केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती है।