ईद उल अज़हा नमाज़ समय: दिल्ली, नोएडा, लखनऊ, मुंबई और हैदराबाद में बकरीद की नमाज़ के समय जानें

ईद उल अज़हा नमाज़ समय: दिल्ली, नोएडा, लखनऊ, मुंबई और हैदराबाद में बकरीद की नमाज़ के समय जानें जून, 16 2024

ईद उल अज़हा का महत्व और इतिहास

ईद उल अज़हा, जिसे बकरीद भी कहा जाता है, इस्लामी कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार पैगंबर इब्राहीम की अपने बेटे इस्माइल को अल्लाह के प्रति समर्पण के प्रतीक के रूप में कुर्बानी देने की दास्तान से जुड़ा है। ईद उल अज़हा के दौरान, मुसलमान पूरी दुनियाँ में अल्लाह के प्रति अपनी वफादारी और श्रद्धा प्रकट करने के लिए जानवरों की कुर्बानी देते हैं। इस मौके पर नमाज़ भी अदा की जाती है, जिसमें सभी मुसलमान मिलकर सामूहिक प्रार्थना करते हैं।

प्रमुख शहरों में प्रार्थना का समय

ईद उल अज़हा की नमाज़ समय महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि ये खास सीमित समय में ही अदा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि ईद की नमाज़ सूर्योदय के बाद और सूर्य के शीर्ष पर पहुंचने से पहले अदा की जानी चाहिए। यहाँ दिल्ली, नोएडा, लखनऊ, मुंबई और हैदराबाद में नमाज का समय दिया गया है:

  • दिल्ली: जामा मस्जिद में सुबह 10:00 बजे
  • नोएडा: स्थानीय मस्जिद में सुबह 9:30 बजे
  • लखनऊ: ईदगाह में सुबह 9:30 बजे
  • मुंबई: जुमा मस्जिद में सुबह 9:30 बजे
  • हैदराबाद: मकका मस्जिद में सुबह 10:00 बजे

इन जगहों पर समय के पालन के साथ-साथ सामूहिक प्रार्थना की भी महत्ता है।

ईद उल अज़हा के अवसर पर विशेष तैयारियाँ

ईद उल अज़हा के अवसर पर विशेष तैयारियाँ

ईद उल अज़हा के मौके पर मुसलमान पूरे जोश और उत्साह के साथ तैयारी करते हैं। घर-घर में साफ-सफाई की जाती है और विशेष पकवान तैयार किए जाते हैं। बकरीद के इस विशेष अवसर पर नए कपड़े पहने जाते हैं और लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस महान दिन को मनाते हैं।

कुर्बानी की रस्म

इस दिन की सबसे महत्वपूर्ण रस्म कुर्बानी होती है। यह रस्म पैगंबर इब्राहीम की अद्वितीय श्रद्धा और बलिदान की भावना को जीवित रखती है। कुर्बानी के बाद, मांस को तीन हिस्सों में बाँट दिया जाता है: एक हिस्सा परिवार के लिए, एक हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए और एक हिस्सा गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए। इस दिन की खासियत यह होती है कि हर कोई दूसरे की खुशियों को साझा करता है और एकता का संदेश फैलाता है।

ईद की प्रार्थना का महत्व और पालन

ईद की नमाज़ का इस्लाम में विशेष महत्व है। यह नमाज़ सामूहिक रूप से अदा की जाती है और इसमें अल्लाह की रहमत और दया की मांग की जाती है। प्रार्थना के दौरान हर मुसलमान दिल से अपने पापों की माफी माँगता है और भविष्य में सुधार की प्रेरणा लेता है।

सामाजिक और सामुदायिक महत्व

सामाजिक और सामुदायिक महत्व

ईद उल अज़हा सामाजिक और सामुदायिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस मौके पर लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं, मिठाईयां बाँटते हैं और अच्छाई और प्रेम का संदेश फैलाते हैं। यह त्यौहार मुस्लिम समुदाय को एकजुट करता है और उन्हें सामाजिक रूप से मजबूत बनाता है।

इस तरह, ईद उल अज़हा न केवल एक धार्मिक पर्व है बल्कि यह मानवीय गुणों को बढ़ावा देने वाला भी है। यह पर्व हमें बलिदान, प्रेम, सहयोग और एकता की भावना सिखाता है। इस विशेष दिन पर, हर मुसलमान को एक दूस के साथ अपनी खुशियाँ साझा करनी चाहिए और दुनिया में शांति और भाईचारे का संदेश फैलाना चाहिए।

16 टिप्पणि

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    Chhaya Pal

    जून 16, 2024 AT 19:33

    ईद उल अज़हा का आध्यात्मिक महत्व हमारे दिलों में गहरी भावना भर देता है। इस दिन का उद्देश्य केवल स्नाघ्य नहीं बल्कि इब्राहीम साहब की त्यागभावना को याद करना है। हर साल जब सूरज निकटतम शीर्ष पर पहुंचता है, तब समुदाय एकत्रित होकर प्रार्थना करता है। दिल्ली, नोएडा, लखनऊ, मुंबई और हैदराबाद में जामा मस्जिदों के समय को सही ढंग से पालन करना आवश्यक है। सुबह के समय के बाद नमाज़ का आरम्भ सामाजिक एकता को और भी सुदृढ़ बनाता है। सामूहिक प्रार्थना की शक्ति व्यक्तिगत इबादत से कहीं अधिक होती है। इस विशेष दिन पर हम सभी को अपने घरों को साफ़-सफ़ाई करके तैयार करना चाहिए। भोजन की तैयारी में संतुलित पोषण को ध्यान में रखना चाहिए। बकरियों की कुर्बानी के बाद मांस को तीन हिस्सों में बाँटना एक प्राचीन परम्परा है। पहला हिस्सा स्वयं परिवार के लिए, दूसरा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए, और तीसरा ज़रूरतमंदों के लिए दिया जाता है। इस वितरण से सामाजिक समानता और भाईचारा स्थापित होता है। आधुनिक समय में भी इस रस्म का पालन करना हमें समाज में सहयोग की भावना देता है। मौसमी मौसम के अनुसार रसोई में सफ़ाई और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन के दौरान बच्चों को इस इतिहास और परम्परा के बारे में शिक्षित करना भी महत्वपूर्ण है। ईद की नमाज़ के बाद जमादार मौजूद लोगों की मदद से वितरण कार्य को व्यवस्थित रूप से किया जा सकता है। अंत में, सभी का एक ही उद्देश्य – अल्लाह की खुशी और ह्रदय में शांति प्राप्त करना – हमें एकजुट रखता है।

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    Naveen Joshi

    जून 16, 2024 AT 22:20

    समय की पाबंदी से नमाज़ का असर और भी गहरा हो जाता है. इस तरह के शेड्यूल से लोग ज्यादा सजग बनते हैं.

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    Gaurav Bhujade

    जून 17, 2024 AT 01:06

    दिल्ली की 10 बजे की प्रार्थना का समय शहर की भीड़ को देखते हुए पर्याप्त है। इस समय कई लोग काम से जल्दी नहीं निकल पाते, इसलिए कुछ जगहों पर वैकल्पिक समय भी तैयार किया गया है।

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    Chandrajyoti Singh

    जून 17, 2024 AT 03:53

    ईद के अवसर पर सामाजिक एकता का संदेश अत्यंत महत्वपूर्ण है। विभिन्न समुदायों के लोग एक साथ मिलकर खुशियाँ बाँटते हैं, जिससे सामाजिक ताने‑बाने को मजबूती मिलती है। इस पवित्र दिन में सहयोग और दान की भावना को बढ़ावा देना चाहिए।

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    Riya Patil

    जून 17, 2024 AT 06:40

    इस बख़्ती में दिल की धड़कनें तेज़ हो उठती हैं।

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    naveen krishna

    जून 17, 2024 AT 09:26

    भाईयों, नमाज़ के बाद मांस की सही स्टोरेज के लिए रेफ़्रिजरेशन का प्रयोग करें :) यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। सभी को शुभकामनाएँ।

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    Disha Haloi

    जून 17, 2024 AT 12:13

    हमारी मुसलमान भाई-बहनों को इस ईद पर अपने देश की एकता का जश्न मनाना चाहिए, क्योंकि भारतीय होने का मतलब ही विविधता में एकजुटता है। किसी भी बाहरी बल की ताक़त को हम स्वीकार नहीं करेंगे जो हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को कमजोर करने की कोशिश करता है। इस विशेष दिन में हमें राष्ट्रीय भावना को भी साथ लेकर चलना चाहिए, तभी असली मुसलमानियत की परिभाषा पूरी होती है।

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    Mariana Filgueira Risso

    जून 17, 2024 AT 15:00

    ईद की तैयारी में सुरक्षित मांस टैंपरिंग बहुत ज़रूरी है। सबसे पहले मांस को कम से कम दो घंटे फ्रिज में रखें, फिर गरम पानी से धौंकर साफ़ करें। परोसने से पहले इसे कम से कम 75°C तक गरम करना चाहिए, ताकि किसी भी बैक्टीरिया का जोखिम कम हो। इसके अलावा, परिवार में सभी को हाथ धोने की आदत डालें, इसके बाद ही खाना सेवन करें। इससे न केवल स्वास्थ्य बनता है, बल्कि स्वाद भी बेहतर रहता है।

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    Dinesh Kumar

    जून 17, 2024 AT 17:46

    ईद का पर्व हमें आशा और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। हर साल इस दिन हम अपने अंदर की नैतिक शक्ति को पुनः स्थापित करते हैं। आत्म‑निरीक्षण और दान के माध्यम से हम अपने समाज को बेहतर बनाते हैं। यह एक सुंदर आध्यात्मिक यात्रा है जो हमें आगे बढ़ाती है।

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    Hari Krishnan H

    जून 17, 2024 AT 20:33

    समुदाय की एकजुटता के लिए यह जरूरी है कि हम सभी विभिन्न जातियों और वर्गों के लोगों को समान रूप से सम्मान दें। ईद के अवसर पर आपसी सहयोग से ही सामाजिक विकास संभव है। इस भावना को आगे बढ़ाते रहें।

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    umesh gurung

    जून 17, 2024 AT 23:20

    ईद की नमाज़, आशा, शांति, तथा भाईचारे के अवसर के रूप में, सभी को अपने-अपने घरों में, अपने-अपने परिवारों के साथ, इस पवित्र दिन को मनाने की बधाई, और यह संदेश, कि हमें एक दूसरे के साथ सहयोग एवं परस्पर सहायता के माध्यम से, इस पर्व की महत्वपूर्ण भावनाओं को साकार करना चाहिए, यह बात सभी को याद रखनी चाहिए।

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    sunil kumar

    जून 18, 2024 AT 02:06

    ईद उल अज़हा को एक इवेंट‑ड्रिवन एप्रोच से देखना चाहिए, जहाँ ट्रेनिंग‑सेशन, लॉजिस्टिक‑सिंक्रीज़न और रिसोर्स‑डिस्पैचर जैसी प्रैक्टिसेज़ का इम्प्लीमेंटेशन किया जाए। इससे बंटवारे की इन्फ्लुएंस कम होगी और ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी।

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    prakash purohit

    जून 18, 2024 AT 04:53

    आधिकारिक समय सूची को अक्सर मीडिया द्वारा बदल दिया जाता है, जिससे स्थानीय समुदायों को भ्रमित किया जाता है। इस प्रकार की ग़्लतफहमी सुरक्षा जोखिम पैदा करती है।

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    Darshan M N

    जून 18, 2024 AT 07:40

    प्रत्येक शहर में समय अलग हो सकता है, इसलिए स्थानीय मस्जिदों से पहले पुष्टि करना उचित रहेगा। सभी को ईद की बधाई।

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    manish mishra

    जून 18, 2024 AT 10:26

    बहुत लोग कह रहे हैं कि समय बहुत देर है, लेकिन मैं मानता हूँ कि यही सही समय है 😂। आप सभी को मुबारक हो।

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    tirumala raja sekhar adari

    जून 18, 2024 AT 13:13

    eid ke samay to sabko batta he h na? koi bhi vakt dhyan se padhen.

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