हाई कोर्ट के आदेश से टैक्स ऑडिट डेडलाइन में मिलाया गया विस्तार: राष्ट्रीय स्तर पर शर्तें बदलें

हाई कोर्ट का कदम और उसके प्रभाव
कर्नाटक हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2025 की तय की गई टैक्स ऑडिट डेडलाइन को एक महीने आगे बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दिया। यह आदेश तब आया जब कर्नाटक स्टेट चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन (KSCAA) ने अपनी कठिनाइयों को उजागर करते हुए petition दायर की थी। इसी तरह, राजस्थान के जोधपुर बेंच ने भी 24 सितंबर को समान आदेश जारी किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह समस्या सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं है।
इन कोर्ट आदेशों के बाद, केंद्रीय आयकर बोर्ड (CBDT) पर विभिन्न वर्गों से दबाव बना। गुजरात के सांसद देवुसिन्ह जेसिंगभाई चौहान सहित पाँच सांसदों ने 44AB धारा के तहत टैक्स ऑडिट रिपोर्ट के फाइलिंग की समय सीमा बढ़ाने की मांग की। इन प्रतिनिधियों की प्रस्तुति में कहा गया कि देय तिथि को लेकर करदाता और पेशेवर दोनों ही अनिश्चितताओं का सामना कर रहे हैं।
हैदराबाद के बीजेपी के CA नीतिन बंसल ने भी दिल्ली में CBDT के चेयरमैन से मुलाकात करके यह मुद्दा व्यक्तिगत तौर पर उठाया। उनकी 22 सितंबर की प्रस्तुति में कई कारणों का उल्लेख किया गया: आयकर रिटर्न (ITR) और ऑडिट यूटिलिटीज़ का देर से जारी होना, ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल में तकनीकी गड़बड़, अन्य वैधानिक दायित्वों के साथ टकराव, और उत्तर भारत में बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ।
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने भी CBDT के चेयरमैन को पत्र लिखकर समान समय‑सीमा की माँग की। उन्होंने बताया कि करदाताओं को रिटर्न फाइल करने में कठिनाइयाँ हो रही हैं और टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जमा करने में भी समस्या उत्पन्न हो रही है।

न्यायिक हस्तक्षेप से राष्ट्रीय नीति में बदलाव
इन सभी दबावों और हाई कोर्ट के आदेशों के जवाब में, CBDT ने आधिकारिक रूप से 30 सितंबर की नियत तिथि को 31 अक्टूबर कर दी। यह विस्तार आयकर अधिनियम की धारा 139(1) के क्लॉज़ (a) के तहत आने वाले सभी अस्सीसेस को लागू है, यानी पिछले वर्ष 2024‑25 के लिए फाइल करने वाले सभी करदाताओं पर इसका असर होगा।
यह समय‑विस्तार करदाताओं और पेशेवरों दोनों के लिये राहत का काम करता है, पर विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल आंशिक समाधान है। एसबीएचएस & एसोसिएट्स के संस्थापक भागीदार हिमंक सिंगला ने बताया कि जबकि टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की तिथि बदली गई है, आयकर रिटर्न, ट्रस्ट नवीनीकरण, ट्रांसफर प्राइसिंग केस, और जीएसटी दाखिल करने की नियत तिथियां भी अक्टूबर में ही पड़ती हैं। इस कारण अक्टूबर माह में एक गंभीर अनुपालन जामिन पैदा हो सकता है।
यदि करदाता 31 अक्टूबर की सीमा को चूक जाते हैं, तो सेक्शन 271B के अंतर्गत टैक्स विभाग 0.5% टर्नओवर या ग्रॉस रसीदों पर पेनल्टी लगा सकता है, जिसकी अधिकतम सीमा ₹1.5 लाख है। केवल तभी यह पेनल्टी नहीं लगेगी जब करदाता उचित कारण दिखा सके, जैसे गंभीर बीमारी, प्राकृतिक आपदा या तकनीकी गड़बड़।
दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस मुद्दे को प्रमुख न्यायालय के रूप में उठाया। 25 सितंबर को उसने TAX ऑडिट EXTENSION के लिए सुनवाई को स्थगित कर दिया, क्योंकि CBDT ने राजस्थान और कर्नाटक के हाई कोर्ट के नवीनतम फैसलों की समीक्षा का अनुरोध किया था। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स (AIFTP) ने कोर्ट से TAX ऑडिट रिपोर्ट की तिथि को 31 अक्टूबर और ऑडिट केसों में ITR फाइलिंग की तिथि को 30 नवंबर तक बढ़ाने का अनुरोध किया।
- कर्नाटक हाई कोर्ट: 30 सितंबर → 31 अक्टूबर
- रajasthan हाई कोर्ट (जोधपुर बेंच): समान विस्तार
- CBDT की राष्ट्रीय घोषणा: सभी अस्सीसेस के लिये लागू
- परिणाम: अक्टूबर में कई रिपोर्टों की समयसीमा टकराव
केंद्रीय बोर्ड ने भरोसा दिलाया कि ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल स्थिर है और अब तक 4.02 लाख TAX ऑडिट रिपोर्ट और 7.57 करोड़ ITR सफलतापूर्वक प्रोसेस हो चुके हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि तकनीकी क्षमताएं बड़ी मात्रा में फ़ाइलिंग संभालने में सक्षम हैं, पर फिर भी सॉफ़्टवेयर बग या सर्वर लोड की संभावनाओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
सारांश में, राज्य‑स्तर के हाई कोर्टों द्वारा दिए गए आदेश ने राष्ट्रीय नीति में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का काम किया। यह दिखाता है कि फेडरल ढांचे में न्यायालयीय हस्तक्षेप कैसे राष्ट्रव्यापी राहत प्रदान कर सकता है, न कि केवल मूल रूप से याचिका दायर करने वाले राज्य में। करदाता और पेशेवर दोनों ही इस प्रक्रिया से सीखें कि भविष्य में अनपेक्षित देरी से बचने के लिये पर्याप्त समय‑संकलन और तकनीकी तैयारी कितनी आवश्यक है।