Eid ul-Adha 2024: बकरीद के अवसर पर अपने प्रियजनों को भेजें ये दिल को छू लेने वाले संदेश
जून, 17 2024ईद उल-अज़हा: बलिदान और श्रद्धा का पर्व
17 जून, 2024 को मुस्लिम समुदाय द्वारा मनाई जाने वाली ईद उल-अज़हा का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व पैगंबर इब्राहीम के उस आस्था और श्रद्धा को दर्शाता है, जो उन्होंने अल्लाह के आदेश पर अपने पुत्र इस्माइल की बलि देने के लिए दिखाई थी। इस दिन, मुस्लिम परिवार बकरे की बलि देते हैं और उस बलिदान की याद में एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं।
प्रियजनों को भेजें दिल को छू देने वाले संदेश
ईद उल-अज़हा के अवसर पर अपने दोस्तों और परिवार को मुबारकबाद देने के लिए कुछ खास संदेश साझा कर सकते हैं। यह दिन खुशियों और दुआओं का दिन होता है, जहां हर कोई एक दूसरे की सलामती और खुशहाली की कामना करता है। यहां कुछ संदेश दिए जा रहे हैं जिन्हें आप अपने प्रियजनों के साथ साझा कर सकते हैं:
बकरीद के शुभकामना संदेश
- "फूलों की तरह हमेशा मुस्कुराते रहो, तुम्हारे सारे गम भूल जाएं, खुशी के गीत चारों ओर फैल जाएं, और तुम्हें खुशहाल बकरीद की शुभकामनाएं।"
- "अल्लाह की रहमत हमेशा तुम्हारे परिवार पर बनी रहे, तुम्हारे परिवार से सारे गम दूर हों, और तुम्हें खुशहाल बकरीद की मुबारकबाद मिले।"
- "अल्लाह तुम्हें इस पवित्र अवसर पर अपनी रहमतों से नवाजे और तुम्हारी दुआएं कबूल करे।"
- "खुशियों और जोश से भरी जिन्दगी की दुआ, हर दिन ईद जैसा खास बने।"
- "बकरीद का ये पवित्र पर्व आपके जीवन को खुशियों और आशीर्वादों से भर दे।"
ईद उत्साह और उल्लास का द्योतक
ईद उल-अज़हा का पर्व न केवल बलिदान को स्मरण करने का मौका है बल्कि यह उत्सव प्यार और सबसे बड़े सुख का भी प्रतीक है। मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन नमाज अदा करते हैं और ईदगाह में जाकर विशेष प्रार्थना करते हैं। इस दिन को परिवार और दोस्तों के साथ मनाने का भी रिवाज है, जहां एक दूसरे को बधाई और शुभकामनाएं देने की परंपरा है।
युवाओं में इस दिन का विशेष उत्साह देखा जाता है। वे नए कपड़े पहनकर अपने परिवार के साथ इस दिन को मनाते हैं। कई जगहों पर मेले और उत्सवों का भी आयोजन किया जाता है, जो इस पर्व की शोभा को और बढ़ा देते हैं। साथ ही, बकरों की खरीदारी और उनकी देखभाल का भी यह एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।
अरब देशों से मानी जाती है यह शुरुआत
ईद उल-अज़हा की शुरुआत अरब देशों से मानी जाती है, जहां इसे 'बकरीद' के नाम से अधिक जाना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने धू अल-हिज्जा में यह पर्व मनाया जाता है। हज यात्रा का भी इस समय विशेष महत्व होता है, जहां दुनिया भर से मुस्लिम तीर्थ यात्री मक्का की यात्रा करते हैं। बकरीद का दिन उसी यात्रा का अंतिम दिन होता है, जहां काबा की यात्रा के बाद बकरों की बलि देकर पर्व को मनाया जाता है।
सामाजिक और धार्मिक महत्व
ईद उल-अज़हा का पर्व सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह न केवल धार्मिक विश्वास को सुदृढ़ करता है, बल्कि समाज में दूसरों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने का भी प्रतीक है। मुस्लिम समुदाय के लोग अपने आसपास के लोगों के साथ खुशी और स्नेह बांटते हैं, जिससे समुदाय में भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है।
इस दिन, जरूरतमंदों और गरीबों की भी विशेष देखभाल की जाती है। बलि का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है – एक हिस्सा अपने परिवार के लिए, दूसरा दोस्तों और पड़ोसियों के लिए, और तीसरा हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए। इस तरह, यह पर्व सभी के लिए खुशियां और प्रेम का संदेश लेकर आता है।
ईद उल-अज़हा का पर्व वास्तव में विश्वास, बलिदान, और सामाजिक एकता का प्रतीक है। यह न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा देता है। इस पर्व पर सभी लोग एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और अपने प्रियजनों के साथ खुशनुमा पल बिताते हैं।