आरजी कर हॉस्पिटल में डॉक्टरों के बढ़ते विरोध प्रदर्शन का कारण और प्रभाव

आरजी कर हॉस्पिटल में डॉक्टरों के बढ़ते विरोध प्रदर्शन का कारण और प्रभाव अक्तू॰, 10 2024

पश्चिम बंगाल में चिकित्सकों के विरोध की शुरुआत

पश्चिम बंगाल में चिकित्सकीय समुदाय में उस समय हंगामा मच गया जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए कथित बलात्कार और हत्या के मामले ने तूल पकड़ा। इस मामले ने चिकित्सकों के बीच रोष फैलाने का काम किया है। घटना को लेकर चिकित्सकों के बीच असंतोष इतना गहरा हो गया है कि उन्हें विभिन्न तरीकों से इसे व्यक्त करने की आवश्यकता महसूस हुई। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधीन वरिष्ठ चिकित्सक और अन्य चिकित्सा स्टाफ भारी संख्या में इस्तीफे दे रहे हैं, जो इस मुद्दे की गंभीरता की ओर इशारा करता है।

डॉक्टरों की माँगें और उनका प्रभाव

डॉक्टरों का आरोप है कि अस्पतालों में सुरक्षा की कमी और चिकित्सीय सुविधाओं में कमी के चलते इस तरह की घटनाएं घट रही हैं। उनके अनुसार, अस्पतालों में सुरक्षा को लेकर ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। चिकित्सकों ने वरिष्ठ अधिकारी वर्ग को निशाना बनाते हुए सुरक्षा में सुधार की माँग की है। डॉक्टरों का कड़ा विरोध अस्पतालों के भीतर तनावपूर्ण वातावरण पैदा कर रहा है। ऐसे प्रदर्शन से स्वास्थ्य सुविधाओं में बाधा उत्पन्न हो रही है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।

सीबीआई की भूमिका और चिकित्सकों का आरोप

यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) तक पहुंचा है जिसने घटना की जाँच शुरू की। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में संजय रॉय नामक एक नागरिक पुलिसकर्मी को कथित बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपित किया है। लेकिन डॉक्टरों का आरोप है कि सीबीआई द्वारा एक ही व्यक्ति को आरोपी ठहराना उनकी अक्षमता को दर्शाता है। उनका मानना है कि इस मामले में और गहराई से जांच होनी चाहिए।

चिकित्सकों की अगली रणनीति

डॉक्टरों ने अपना विरोध प्रदर्शन तेज करने का निर्णय लिया है, उनकी योजना है कि वे कोलकाता के विभिन्न दुर्गा पूजा पंडालों में जाकर लोगो के बीच अपना संदेश फैलाएंगे और समर्थन मांगेंगे। इसके अलावा, डॉक्टरों ने सीबीआई के ऑफिस तक एक रैली करने की योजना भी बनाई है। जिससे वे इस मामले में व्यवस्था पर दबाव बना सकें। इस विरोध से उत्पन्न संकट ने राज्य सरकार को भी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने के संबंध में तनाव में डाल दिया है।

वर्तमान स्थिति और आगे का रास्ता

हड़ताल ने अब चौथे दिन में प्रवेश कर लिया है और मौजूदा स्थिति बहुत ही तनावपूर्ण हो गई है। राज्य सरकार का आरोप है कि हड़ताल के चलते कम से कम 29 लोगों की मौत हो चुकी है। इस प्रकार की परिस्थितियों ने सामाजिक और राजनीतिक मंचों पर भी प्रतिक्रिया पैदा की है। यह देखना जरूरी होगा कि राज्य सरकार और चिकित्सक समुदाय के बीच संवाद कैसे संभव होगा और किस प्रकार की नीतिगत कदमों के जरिए इस संकट का समाधान हो सकेगा। डॉक्टरों की दुर्दशा और उनकी मांगें इस समय राज्य प्रशासन के लिए एक बड़ा चुनौती है और इस स्थिति का शीघ्र निराकरण जरूरी है।