18 नवंबर 2025 को कोलकाता फटाफट के परिणाम विभिन्न साइटों पर अलग-अलग, खिलाड़ियों में भ्रम

18 नवंबर 2025 को कोलकाता फटाफट के परिणाम विभिन्न साइटों पर अलग-अलग, खिलाड़ियों में भ्रम नव॰, 18 2025

18 नवंबर 2025 को कोलकाता फटाफट के आठों बाज़ियों के परिणाम एक दिन में ही तीन अलग-अलग वेबसाइटों पर अलग-अलग दिखाए गए। ये नहीं कि एक जगह गलती हुई — बल्कि तीनों स्रोत, जिन्हें खिलाड़ी भरोसा करते हैं, एक ही दिन के एक ही बाज़ी के लिए अलग-अलग नंबर दे रहे थे। ये भ्रम केवल एक तकनीकी गड़बड़ी नहीं है। ये एक ऐसे खेल की गहरी अनिश्चितता को उजागर करता है, जिसका लाखों लोग रोज़ इंतज़ार करते हैं, लेकिन जिसकी नींव पर कोई नियंत्रण नहीं।

क्या हुआ था 18 नवंबर को?

कोलकाता फटाफट (Kolkata FF) के लिए ये दिन आम तौर पर एक साधारण ट्यूज़डे होता है — आठ बाज़ियाँ, हर 90 मिनट पर एक, 10:30 बजे से शुरू होकर रात 9 बजे तक। लेकिन इस दिन कुछ अजीब हुआ। kolkataff.icu के अनुसार, 6वीं बाज़ी का परिणाम 228 था (अंतिम अंक 2), जबकि kolkataff.in कह रहा था कि ये 259 है (अंतिम अंक 6)। और फिर royalbengalff.in ने बिल्कुल अलग संख्याएँ दीं: 6वीं बाज़ी 789 (अंतिम अंक 4), 7वीं 378 (अंतिम अंक 8), और 8वीं 188 (अंतिम अंक 7)। एक ही दिन, एक ही खेल, लेकिन तीन अलग-अलग विजेता।

इसके अलावा, कुछ साइट्स ने 8वीं बाज़ी का परिणाम बिल्कुल ही छोड़ दिया — एक डैश (—) के साथ। जबकि दूसरी साइट्स ने इसके लिए अलग से नंबर दिया। खिलाड़ियों के लिए ये बस एक गलती नहीं, बल्कि एक बड़ा सवाल है: कौन सा परिणाम सच है? और अगर कोई भी नहीं, तो फिर ये खेल किसके लिए है?

कैसे चलता है कोलकाता फटाफट?

कोलकाता फटाफट एक लॉटरी-शैली का खेल है, जो वास्तव में सत्ता मटका की परंपरा से जुड़ा हुआ है। यहाँ खिलाड़ी 0 से 9 तक के अंकों पर बेट लगाते हैं — या तो एकल अंक (जैसे 7) या तीन अंकों का संयोजन (पट्टी), जैसे 189। अगर आपने 5 रुपये का एकल अंक बेट लगाया और जीत गए, तो आपको 45 रुपये मिलते हैं (9x)। अगर आपने पट्टी पर बेट लगाया और सही निकली, तो 500 रुपये (100x)।

इस खेल का असली नाम नहीं है। इसे लोग फटाफट, फाटाफात, फटाफट भी कहते हैं। यहाँ के लोग अंकों को अपने तरीके से पुकारते हैं: 1 = इक्का, 2 = दुग्गी, 3 = तिग्गी, 4 = चौवा, 5 = पंजा, 6 = छक्का, 7 = सट्टा, 8 = अट्ठा, 9 = नाहका। ये नाम खेल को एक लोकप्रिय सांस्कृतिक रूप देते हैं — जैसे कि ये एक गाँव की बातचीत हो।

कानूनी दर्जा: जहाँ ये चलता है, वहाँ क्या है?

कोलकाता फटाफट को पश्चिम बंगाल, केरल, सिक्किम, नागालैंड और महाराष्ट्र जैसे 13 राज्यों में कानूनी रूप से चलाया जाता है। लेकिन ये एक राज्यीय लॉटरी नहीं है — ये कोई ऑफिशियल लॉटरी बोर्ड नहीं चला रहा। कोई सरकारी अधिकारी नहीं, कोई ऑडिट नहीं, कोई ट्रांसपेरेंसी नहीं। ये सिर्फ एक वेबसाइट और उसके बाद एक अन्य वेबसाइट के बीच एक अनुमान है।

इसका मतलब ये है कि जो भी खिलाड़ी अपनी जेब का पैसा इसमें लगाता है, वो किसी भी समय बर्बाद हो सकता है। एक दिन परिणाम एक हो सकता है, दूसरे दिन वही परिणाम दूसरा हो सकता है। और अगर आप जीत गए, तो क्या आपको पैसा मिलेगा? ये सवाल किसी के पास जवाब नहीं दे पाता।

यूट्यूब और टिप्स: धोखे का नया रूप

इस भ्रम के बीच, "Kolkata Fatafat Tips VR" जैसे यूट्यूब चैनल लाखों व्यूज पाते हैं। उनके वीडियो में लिखा होता है: "ये वीडियो सिर्फ शिक्षा के लिए है। हम कोई जुए की सलाह नहीं देते।" लेकिन ये वीडियो किसके लिए हैं? उनके वीडियो के कमेंट सेक्शन में लोग लिख रहे हैं: "मैंने 10,000 रुपये लगाए, लेकिन परिणाम नहीं आया।" और फिर वो वीडियो देख रहे हैं जिसमें वो अपने पैसे खोने का कारण बताया जा रहा है।

वेबसाइट kolkataresultff.com भी "Ghosh Babu Patti Tips & Tricks" का जिक्र करती है — लेकिन एक चेतावनी के साथ: "किसी को पैसे न दें।" लेकिन ये चेतावनी किसके लिए है? जो लोग इतने भाग्यशाली हैं कि वो ये टिप्स खरीदते हैं, वो अपनी बर्बादी के लिए खुद को जिम्मेदार नहीं मानते। वो चाहते हैं कि कोई और उनके लिए भाग्य बनाए।

क्यों ये खेल इतना लोकप्रिय है?

इसका जवाब सिर्फ धन नहीं है। ये खेल एक आशा का खेल है — एक ऐसी आशा जिसे लोग अपनी जिंदगी के अन्य हिस्सों में नहीं पा पाते। एक दिन के लिए, एक गरीब श्रमिक या एक छात्र अपने भाग्य को एक तीन-अंकीय संख्या में देखता है। ये उसके लिए एक ड्रीम है। लेकिन जब वो ड्रीम किसी के दिमाग से आता है, जिसकी पहचान नहीं है, तो वो ड्रीम एक भ्रम बन जाता है।

कलकत्ता के गलियों में अभी भी लोग अपने दोस्तों के साथ बैठकर ये बातें करते हैं — कल का परिणाम क्या था? आज क्या आएगा? लेकिन कोई नहीं पूछता: ये परिणाम कहाँ से आ रहे हैं? कौन बना रहा है? क्या ये सच है?

अगला कदम क्या होगा?

ये खेल अब बहुत बड़ा हो चुका है। ये सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि एक सामाजिक घटना है। लेकिन अगर इसकी नींव ही कमजोर है, तो ये एक दिन टूट जाएगा। अगर कोई खिलाड़ी अपने पैसे के बदले कुछ नहीं पाता, तो वो अपने आप को धोखेबाज समझने लगेगा। और फिर? फिर लोग अपनी निराशा को किसी और चीज़ की ओर मोड़ देंगे — शायद एक बड़ी आंदोलन के रूप में।

सरकार को ये खेल बर्दाश्त है। लेकिन क्या ये बर्दाश्त करने के बराबर है? क्या ये एक बेकार की आदत है, या एक गहरी सामाजिक जरूरत? ये सवाल अभी तक किसी के पास जवाब नहीं दे पाया।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

कोलकाता फटाफट के परिणाम कहाँ से आते हैं?

कोलकाता फटाफट के परिणाम किसी सरकारी स्रोत से नहीं आते। ये वेबसाइट्स जैसे kolkataff.icu, kolkataff.in और royalbengalff.in अपने-अपने तरीके से परिणाम प्रकाशित करती हैं। कोई ऑडिट, कोई निगरानी नहीं। ये एक अनियमित निकाय है, जिसकी जिम्मेदारी किसी के पास नहीं।

क्या ये खेल कानूनी है?

हाँ, लेकिन सिर्फ एक अनौपचारिक तरीके से। यह विशेष रूप से 13 राज्यों में चलता है, लेकिन कोई लाइसेंस नहीं, कोई टैक्स नहीं, कोई नियम नहीं। ये एक ग्रे जोन है — जहाँ लोग बेट लगाते हैं, लेकिन कोई उनकी सुरक्षा नहीं करता।

क्या यूट्यूब टिप्स वास्तविक हैं?

नहीं। ये सभी टिप्स ज्योतिष, संख्यावाद या अनुमान पर आधारित हैं। कोई भी व्यक्ति या एल्गोरिदम भविष्य के परिणाम का अनुमान नहीं लगा सकता। ये वीडियो दर्शकों को निराशा से बचाने के लिए बनाए गए हैं — न कि जीतने के लिए।

अगर मैं जीत गया, तो क्या मुझे पैसा मिलेगा?

ये निर्भर करता है कि आपने किस वेबसाइट से बेट लगाया। कई बार जीतने वाले लोगों को भुगतान नहीं मिलता — क्योंकि वेबसाइट बंद हो जाती है या फिर वो कहती है कि "परिणाम गलत था"। ये एक खुला धोखा है, और इसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होती।

क्या ये खेल भारत में सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही चलता है?

नहीं। ये खेल पश्चिम बंगाल से बाहर भी चलता है — विशेषकर केरल, नागालैंड, सिक्किम और महाराष्ट्र में। लेकिन हर राज्य में इसका अलग नाम और अलग अनुसरण है। ये एक अंतरराष्ट्रीय खेल नहीं, बल्कि एक स्थानीय आदत है, जो अब डिजिटल तक फैल गई है।

क्या सरकार इस खेल को रोक सकती है?

हाँ, लेकिन वो नहीं चाहती। क्योंकि इस खेल के जरिए लाखों लोग अपना दिन बिताते हैं — और अगर इसे रोक दिया जाए, तो ये एक अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाएगा। लेकिन एक ऐसा खेल जिसमें नियम न हों, वो एक दिन अपने ही खिलाड़ियों के खिलाफ उठ जाएगा।