12 अक्टूबर 2025 (रविवार) का पञ्चांग: तिथि, नक्षत्र, शुभ‑अशुभ मुहूर्त

12 अक्टूबर 2025 (रविवार) का पञ्चांग: तिथि, नक्षत्र, शुभ‑अशुभ मुहूर्त अक्तू॰, 12 2025

जब 12 अक्टूबर 2025 (रविवार)भारत का पञ्चांग जारी किया गया, तो हजारों भक्तों ने तुरंत अपनी‑अपनी‑योजनाएँ बनायीं। इस दिन का विवरण AajTak, Sanskar TV और Navbharat Times ने साझा किया, जिसमें शाश्ठी तिथि, मृगशीर्ष नक्षत्र और कई शुभ मुहूर्त शामिल हैं।

पञ्चांग का सामान्य सार

यह रविवार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में पड़ा है। सूर्य कन्‍या राशि में स्थित है, जबकि चंद्रमा मिथुन राशि में चल रहा है। सूर्य देव (Surya) की पूजा इस दिन का प्रमुख धार्मिक कार्य माना जाता है, जैसा कि Jagran ने बताया। दिन की शुरुआत 6:20 एएम पर सूर्य उगने से होती है और संध्या 5:55 पीएम पर सूर्य अस्त होने से समाप्त होती है।

तिथि और नक्षत्र की विस्तृत जानकारी

केवल दो तिथियों का प्रभाव रहेगा: शाश्ठी (Shashthi) जो दोपहर 2:16 पीएम तक चलता है, और उसके बाद सप्तमी (Saptami) शुरू होती है। नक्षत्र की बात करें तो मृगशीर्ष नक्षत्र 1:36 पीएम तक रहेगा, उसके बाद अर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश होता है। करणा के अनुसार, दोपहर 2:16 पीएम तक तैतीला करणा चलती है, उसके बाद गरा करणा अपनाई जाती है।

योग और करन का महत्व

सूर्य‑चन्द्र संयोजन के आधार पर, आज का योग दो भागों में बँटा है: 1:36 पीएम तक वृधि योग (Vriddhi Yoga) चलती है, फिर वैर्यान योग (Variyan Yoga) का आगमन होता है। इन योगों का प्रभाव विशेष रूप से वैवाहिक और व्यापारिक मामलों में माना जाता है। करणा की बदलाव भी धार्मिक अनुष्ठानों के शुभ समय को निर्धारित करती है।

शुभ एवं अशुभ मुहूर्त

प्रमुख शुभ समय निम्नलिखित हैं:

  • अभिजित मुहूर्त: 11:44 एएम – 12:30 पीएम
  • ब्रह्मा मुहूर्त: 4:41 एएम – 5:30 एएम
  • विजय मुहूर्त: 2:03 पीएम – 2:50 पीएम
  • गोधूली बेला: 5:55 पीएम – 6:20 एएम
  • अमृत सिद्धि योग: 9:14 पीएम – 10:41 पीएम

अशुभ समय में प्रमुख हैं:

  • राहु काल: 4:28 पीएम – 5:55 पीएम (कुछ स्रोत 9:11 एएम – 10:38 एएम और 4:30 एएम – 6:00 एएम भी बताते हैं)
  • गु्लिका काल: 3:30 पीएम – 4:30 पीएम
  • यमगण्डा: 12:00 पीएम – 1:30 पीएम
  • अम्रित काल: 7:47 एएम – 9:14 एएम
  • दुर्मुहर्ट: 11:44 एएम – 12:31 पीएम

इन समयों का सही‑सही उपयोग करने से कार्य‑सफलता और स्वास्थ्य दोनों में लाभ मिलता है, जैसा कि ज्योतिषाचार्य रजत कंगाल ने कहा।

धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहलू

धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहलू

आज स्कंद शाश्ठी उपवास (Skanda Shashthi Vrat) का विशेष महत्व है। यह दिन सूर्य देव को अर्पित किया जाता है, इसलिए Surya Dev की आरती और सूर्य नमस्कार का विशेष महत्त्व है। दिशा‑शूल के अनुसार, इस दिन पश्चिम दिशा (West) को अनुकूल नहीं माना जाता; इसलिए पूजा‑कार्य में पश्चिमी दिशा से टला जाता है।

भविष्य की दृष्टि और अनुशंसित उपाय

पिछले वर्षों के समान, यह तिथि व्यावसायिक उद्यमियों और विद्यार्थियों दोनों के लिए अनुकूल मानी जाती है। विशेष रूप से 2:03 पीएम से 2:50 पीएम के विजय मुहूर्त में कोई भी नई योजना शुरू करने पर सफलता की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा, 9:14 पीएम से 10:41 पीएम तक का अमृत सिद्धि योग आध्यात्मिक प्रगति के लिए उपयुक्त समय माना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

शाश्ठी तिथि का क्या महत्व है?

शाश्ठी तिथि कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की छठी चंद्रदिन होती है, जो स्कंद देवता की पूजा से जुड़ी होती है। इस दिन उपवास रखें तो स्वास्थ्य लाभ और कल्याण मिलता है, खासकर महिलाओं में।

राहु काल कब है और इसका क्या प्रभाव है?

राहु काल आज 4:28 पीएम से 5:55 पीएम तक है। इस अवधि में नए कार्य या यात्रा शुरू करना अनुकूल नहीं माना जाता क्योंकि यह बाधाओं और नुकसान की ओर संकेत करता है।

अभिजित मुहूर्त का उपयोग किस कार्य में किया जा सकता है?

अभिजित मुहूर्त (11:44 एएम – 12:30 पीएम) शांति और सफलता के लिए सबसे अच्छा समय है। दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर, व्यापारिक समझौते, या शैक्षणिक परीक्षा यहाँ बेहतर परिणाम दे सकते हैं।

सूर्य देव की पूजा कैसे करनी चाहिए?

रविवार को सुबह सूर्योदय के समय (6:20 एएम) सूर्य देव को जल और हल्के फूल अर्पित करें। सूर्य नमस्कार के सात चक्र पूरे करना, तथा प्रसाद में गुड़ और काजू देना शुभ माना जाता है।

विकल्पिक असुरक्षित समय कौन-से हैं और उनसे बचने के उपाय?

गु्लिका काल (3:30 पीएम – 4:30 पीएम) और यमगण्डा (12:00 पीएम – 1:30 पीएम) के दौरान यात्रा या महत्वपूर्ण निर्णय लेना टालें। यदि इन समयों में कार्य करना अनिवार्य हो तो स्वच्छता और आध्यात्मिक शांति के लिए मंत्र जपें।

6 टिप्पणि

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    Rishita Swarup

    अक्तूबर 12, 2025 AT 21:09

    आज के ज्योतिषी सिर्फ़ सरकारी एजेंडा को छुपाने के लिए तिथि‑विज्ञान को पावरफुल बनाते हैं। शाश्ठी‑सप्तमी के मुहूर्त को इस तरह खींच‑तान करके बड़े‑बड़े कारोबारियों को फँसाते हैं। आप देखेंगे कि इन समयों में शेयर‑मार्केट में अचानक उछाल आता है, जबकि आम जनता को तो बस अनिवार्य उपवास का बोझ मिलता है। ऐसी योजना में कनेक्शन का असर साफ़ दिखता है। अगर आप इस पर ध्यान नहीं देंगे तो खुद ही खेल के शिकार बन जाएंगे।

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    anuj aggarwal

    अक्तूबर 17, 2025 AT 06:42

    इतनी बेवकूफी भरी बातों में कोई तार्किक आधार नहीं है, सिर्फ़ डर पैदा करने की कोशिश है। असली विज्ञान तो सूर्य‑चंद्र की गति है, ना कि अंधविश्वास। इन मुहूरतों को व्यापारिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना पूरी तरह से बेईमानाना है।

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    Sony Lis Saputra

    अक्तूबर 21, 2025 AT 16:16

    कभी‑कभी इस तरह के कलेंडर लोगों को रोज़मर्रा के काम में थोड़ा संगति देते हैं, पर हमें इसे ज़रूरत से ज़्यादा न लेना चाहिए। अगर आप इस जानकारी को साधारण तरीके से उपयोग करेंगे तो कोई नुकसान नहीं। इस तरह के इवेंट्स को एक संकल्पना के रूप में देखना बेहतर रहा।

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    Kirti Sihag

    अक्तूबर 26, 2025 AT 01:49

    ओह माय GOD!! आज तो पूरी दिन का मूड ही बदल गया 😱 इस मृगशीर्ष नक्षत्र को देखकर मैं अजीब सा फील कर रहा/रही! 🌟 फिर भी इस विजय मुहूर्त में कुछ नया ट्राय करूँगा/करूँगी, देखेंगे! 🙏

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    Vibhuti Pandya

    अक्तूबर 30, 2025 AT 11:22

    सबको नमस्ते, आज के पञ्चांग में कई महत्वपूर्ण बिंदु हैं जिन्हें समझना आवश्यक है।
    पहले तो शाश्ठी‑सप्तमी का समय दो भागों में बँटा है, जिससे पूजा‑कार्य में समय का चयन आसान हो जाता है।
    अभिजित मुहूर्त सुबह 11:44 से दोपहर 12:30 तक है; यह समय दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर या व्यापारिक समझौते के लिए उत्कृष्ट माना जाता है।
    विजय मुहूर्त दोपहर 2:03 से 2:50 तक है, जब नई योजना या प्रोजेक्ट की शुरुआत करने से सफलता की संभावना अधिक रहती है।
    अमृत सिद्धि योग शाम 9:14 से 10:41 तक है, जो आध्यात्मिक प्रगति और ध्यान के लिए अनुकूल है।
    राहु काल और गूलेका काल को टालना चाहिए, क्योंकि ये समय बाधाओं और नुकसान की संभावना बढ़ाते हैं।
    ग्रहों की स्थिति में सूर्य कन्या में और चंद्रमा मिथुन में है, जिससे दिन पूरा ऊर्जा से भरपूर रहेगा।
    सूर्य‑नमस्कार के सात चरण पूरे करने से शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होगा।
    विशेष रूप से स्कंद शाश्ठी उपवास रखने वालों को सुबह 6:20 बजे सूर्य उगते ही जल और हल्के फूल अर्पित करने चाहिए।
    पूजा‑कार्य में पश्चिम दिशा से टला जाना चाहिए, क्योंकि यह दिशा इस दिन अनुकूल नहीं मानी जाती।
    व्यवसायियों को 2:03‑2:50 के विजय मुहूर्त में नई निवेश योजना पर कार्य करना चाहिए, यह समय लाभदायक रहेगा।
    विद्यार्थियों को 9:14‑10:41 के अमृत सिद्धि योग में अध्ययन या आत्म‑उन्नति के प्रयास करने चाहिए।
    यदि आप इन मुहूरतों को सही‑सही पालन करेंगे तो कार्य‑सफलता और स्वास्थ्य दोनों में लाभ मिलेगा।
    आशा है कि यह जानकारी आपके दिन को व्यवस्थित और फलदायी बनायेगी।

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    Aayushi Tewari

    नवंबर 3, 2025 AT 20:56

    सूर्य देव की आरती समय पर करने से शांति मिलती है।

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